आपने कभी सोचा है कि भारत में सभी नंबर्स के आगे +91 कोड क्यों लिखा होता है. इस कोड को कंट्री कोड कहते हैं, लेकिन भारत को +91 कोड ही क्यों मिला है.
इसके लिए हमें कंट्री कोड के सिस्टम को समझना होगा. कंट्री कॉलिंग कोड या कंट्री डायल-इन कोड का यूज टेलीफोन नंबर प्रीफिक्स के तौर पर यानी फोन नंबर के आगे होता है.
कंट्री कोड इंटरनेशनल टेलीफोन नंबरिंग प्लान का हिस्सा है. इनका इस्तेमाल एक देश से दूसरे देश में कालिंग के लिए यूज किया जाता है. अपने देश में ये कोड ऑटोमेटिक लग जाता है.
जहां भारत के लिए +91 कोड का इस्तेमाल होता है. वहीं पाकिस्तान का कंट्री कोड +92 है. इस कोड को इंटरनेशनल सब्सक्राइबर्स डायलिंग भी कहा जाता है.
इन कोड्स को इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन (ITU) जारी करता है. ये एक स्पेशल एजेंसी है, जो यूनाइटेड नेशन्स का हिस्सा है. इसकी शुरुआत 17 मई 1865 में हुई थी.
उस वक्त इस एजेंसी का नाम इंटरनेशनल टेलीग्राफ यूनियन था. ये एजेंसी इन्फॉर्मेशन और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी से जुड़े मुद्दों पर काम करती है.
इसका हेडक्वार्टर जेनेवा में है. इस यूनियन का हिस्सा कुल 193 देश हैं. कंट्री कोड जारी करना इस एजेंसी के तमाम काम में से एक है.
किस देश को कौन सा कोड मिलेगा, ये उसके जोन और नंबर के आधार पर तय होता है. भारत 9वीं जोन का पहला देश है, इसलिए यहां का कोड +91 है.
9वें जोन में ज्यादातर मिडिल ईस्ट और साउथ एशिया के देश शामिल हैं. तुर्कि का कोड +90 है, वहीं पाकिस्तान का +92, अफगानिस्तान का +93 और श्रीलंका का +94 है.