अपने साथ तबाही का खौफ लिए बिपोर्जॉय तूफान तेजी से आगे बढ़ रहा है. बंगाली भाषा में बिपोर्जॉय का मतलब आपदा होता है. इसका असर गुजरात और महाराष्ट्र के बड़े हिस्से में देखा जा रहा है.
यहां के तटीय इलाकों में तेज हवाएं चल रही हैं. गुजरात में हाई अलर्ट जारी हुआ है. यहां कच्छ, द्वारका, जामनगर, पोरबंदर, समेत कई जिलों में 14-15 जून तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है.
सरकार का कहना है कि सेना समेत राहत बचाव की टीमें हर तरह की स्थिति के लिए तैयार हैं. पाकिस्तान में भी तूफान का खतरा बना हुआ है. यहां भारी तबाही होने की आशंका है.
इस बीच हम आपको एक ऐसे तूफान के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आज से 25 साल पहले गुजरात में आया था. इस खौफनाक तूफान को आज भी लोग नहीं भूले हैं.
गुजरात के कांडला में 9 जून की दोपहर अचानक हालात बदलने लगे थे. जो हवा पहले 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी, वो अब 160-180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने लगी. तुर्की हैं.
तूफान के कारण समुद्र में पानी का स्तर तेजी से बढ़ रहा था. लोगों को ऊंचे स्थानों पर शिफ्ट करना पड़ा. मगर फिर भी ऐसी तबाही मची कि इंसान आज भी सुनकर रो पड़े.
अरब सागर में कम दबाव होने के कारण चक्रवात कांडला में लैडफॉल हुआ था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, तूफान ने 1173 लोगों की जान ले ली और 1774 लोग लापता हुए, जिनका आज भी पता नहीं चला है.
11 हजार पशुओं की मौत हुई. हालांकि तूफान की भयावहता इन आंकड़ों से कहीं ऊपर है. शहर में लाशों के ढर लग गए और सड़ते शवों की बदबू हर तरफ फैल गई.
वहीं मरने और लापता होने वालों की असल संख्या इससे कहीं अधिक थी. सरकार ने अनुमान लगाया कि अकेले कांडला में ही 1,855.33 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
शवों से भरे ट्रक अस्पताल की तरफ जा रहे थे. इन शवों को अस्पताल में रखा जा रहा था. हालात इतने बदतर थे कि अस्पताल की लॉबी और वेटिंग हॉल्स को अस्थायी मुर्दाघर में तब्दील करना पड़ा.
अनगिनत सड़े हुए शवों को एक जगह पर रखकर सामूहिक चिताएं जलाई गईं. कांडला के अलावा जामनगर, जूनागढ़ और राजकोट की भी यही हालत थी.
आज भी सटीक आंकड़ा नहीं है कि तब कितने घर, वाहन और अन्य इमारतें बहीं. तब आईएमडी ने 7 जून को ही सौराष्ट्र, कच्छ और कांडला के लिए चेतावनी जारी कर दी थी. मगर फिर भी इतना बड़ा नुकसान हुआ.