इस किताब के लेखक ने कहा था, 'मैंने अपने पाठकों से मांग की है कि उन्हें मेरे काम को पढ़ने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करना चाहिए.'
ये लेखक आयरलैंड के जेम्स जॉयस थे. उनकी लिखी किताब 628 पन्नों की है. तब उनकी बात पर किसी को भरोसा नहीं हुआ.
लोग इससे ज्यादा पेज की किताब कुछ दिनों में ही खत्म कर देते हैं. लेकिन कुछ लोगों ने उनकी कही बात को सच साबित करके दिखा दिया.
इस Finnegan's Wake नाम की किताब को एक ग्रुप पिछले 28 साल से पढ़ रहा है. ये एक नोवल है.
ग्रुप का कहना है कि वो हाल में ही इसके अंतिम पन्नों पर आए हैं. किताब में आखिर ऐसा क्या है कि पढ़ने वालों को इतना वक्त लग जाता है?
ये किताब पहली बार 2 फरवरी, 1922 में पैरिस में पब्लिश हुई थी. हर महीने इसे पढ़ने के लिए लाइब्रेरी में 10-30 लोगों का ग्रुप आता था.
शुरुआत में इन्हें दो पेज पढ़ने में पूरा महीना लग गया. अब ये ग्रुप जूम मीटिंग करता है. ये लोग आखिरी पेज पर अक्टूबर में पहुंचे थे.
यहां तक आने में इन्हें 28 साल लग गए. अमेरिका के कैलिफोर्निया का ये ग्रुप इसे समझने में अधिक वक्त देता है.
किताब के 628 पन्नों को लिखने में जॉयस को 17 साल लगे थे. वहीं इसे पढ़ने वाले 28 साल में भी पूरा नहीं कर पा रहे.
किताब को 80 भाषाओं को संदर्भित करते हुए ऐसे शब्द, वाक्य और संकेत लिखे गए हैं, जिन्हें समझने में लोगों को इतना ज्यादा वक्त लगता है.