नरभक्षी थे इंसान? हज़ारों साल बाद हुआ खुलासा, मिला ये चौंकाने वाला सबूत

नरभक्षी थे इंसान? हज़ारों साल बाद हुआ खुलासा, मिला ये चौंकाने वाला सबूत

Credit- Pixabay, Pexels, File Photos

एक रिसर्च में हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ है. इसमें कहा गया है कि इंसान नरभक्षी थे.

रिसर्च में कहा गया है कि इंसान एक दूसरे को मारकर खाया करते थे. इस अध्ययन को साइंस जर्नल नेचर में प्रकाशित किया गया है.

पुरातात्विदों ने ये दावा एक सबूत के आधार पर किया. उन्हें प्राचीन समय के इंसानों की एक हड्डी पर इसके सबूत मिले हैं.

इस हड्डी पर कट मार्क्स यानी काटे जाने के निशान हैं. कहा जा रहा है कि इंसान जीवित रहने के लिए एक दूसरे को मारकर उनका मांस खाया करते थे.

सोमवार को प्रकाशित इस रिसर्च में कहा गया है कि केन्या के कूबी फोरा में मिली हड्डी पर काटे जाने के निशान पाए गए हैं.

इसमें कहा गया है कि 1.45 मिलियन वर्ष पुरानी होमिनिन (मानव पूर्वजों की) हड्डी पर वैसे ही निशान मिले हैं, जो जानवरों पर पाए जाते हैं.

हड्डी को देखकर ऐसा लगता है कि उस पर किसी औजार से मारा गया था. जिससे साबित होता है कि प्राचीन मानव एक दूसरे को मारकर उनका मांस खाते थे.

शोधकर्ताओं ने देखा है कि 1.45 मिलियन वर्ष पुरानी बाईं पिंडली की हड्डी पर कट के नौ निशान मिले हैं, जो आधुनिक मानव के पूर्वजों से संबंधित हैं.

उत्तरी केन्या में हुई इस खोज को लेकर रिसर्च की सह लेखक और वाशिंगटन डीसी में स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन में पुरामानवविज्ञानी ब्रियाना पोबिनर ने अधिक जानकारी दी.

उन्होंने कहा सबसे तार्किक निष्कर्ष यह है कि अन्य जानवरों की तरह होमिनिन को भी खाने के लिए मार दिया जाता था.

उन्होंने कहा कि यह खोज चौंकाने वाली, ईमानदारी से की गई और बहुत आश्चर्यजनक, लेकिन बहुत रोमांचक थी.

पोबिनर ने कहा कि वह राजधानी नैरोबी के राष्ट्रीय संग्रहालय में जानवरों के काटने के निशान देखने के लिए जीवाश्मों के संग्रह की जांच कर रही थीं.

उन्होंने कहा कि उन्हें एक अज्ञात होमिनिन प्रजाति से संबंधित टिबिया के जीवाश्म पर कुछ मिलीमीटर लंबे निशान मिले हैं.

उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि हालांकि ये निशान किसी जानवर के काटने जैसे नहीं लग रहे थे, लेकिन वे पत्थर के औजारों से बने निशानों से मिलते जुलते थे.

पोबिनर ने उनकी तुलना एक डाटाबेस में मौजूद करीब 900 निशानों से की, जो नई हड्डियों पर बनाए गए थे, जिन्हें उनके सहयोगियों ने विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करके चिह्नित किया था.

शोधकर्ताओं ने तब निष्कर्ष निकाला कि 11 में से दो निशान शेर के काटने से बने थे, हालांकि, अन्य नौ पत्थर के औजारों से बने थे, जिससे पता चलता है कि एक इंसान ने दूसरे को मार डाला होगा.

रिपोर्ट के अनुसार, पोबिनर ने कहा कि लेखकों ने निशान बनाने की अन्य प्रक्रियाओं को खारिज कर दिया, जैसे कि हड्डी की खोज के बाद उसे संभालने वाले लोगों ने उस पर घिसाव किया हो या धब्बे बनाए हों.

निशानों का रंग हड्डी की सतह से मेल खाता है, जो दर्शाता है कि वो एक ही समय में बने थे.

येल विश्वविद्यालय की पुरातत्वविज्ञानी जेसिका थॉम्पसन ने कहा कि एक इंसान द्वारा दूसरे इंसान पर की गईं खरोंच का संदर्भ और स्थिति जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि हो सकता है मांस को खाने के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए भी इन्हें काटा जा सकता हो, जैसे अंतिम संस्कार का कोई रीति रिवाज.

हालांकि, उस समय केन्याई समाज में ऐसा किया जाना नहीं पाया गया है. थॉम्पसन ने कहा कि ये खोज दुर्भाग्यपूर्ण और बहुत पहले की घटना की एक अनोखी कहानी से कहीं अधिक चीजें बताती है.

इससे पता चलता है कि होमिनिन अन्य होमिनिन को काटने और खाने के लिए पत्थर के औजारों का उपयोग करते थे. ये हमारे पूर्वजों के जीवन का एक विशिष्ट हिस्सा था.

शिकागो विश्वविद्यालय, इलिनोइस के एक पुरामानवविज्ञानी जेरेसेन एलेमसेगेड ने कहा कि इस वक्त साक्ष्य इतने कम हैं कि हम केवल पॉइंट्स जोड़ रहे हैं.

उन्होंने कहा, हम शुरुआती होमिनिड्स के दिमाग के अंदर जाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसका मतलब है कि यह बहुत जटिल होने वाला है.