साबूदाने की खीर, खिचड़ी और वड़ा लगभग सभी को पसंद आते हैं. इसे व्रत में खाया जाता है. लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि ये कैसे बनता है.
साबूदाना बनाने का प्रोसेस काफी लंबा है. इसे फैक्ट्री में तैयार किया जाता है. सबसे पहले साबूपाम नामक पौधे के तनों से टैपिओका रूट को निकाला जाता है.
ये दिखने में शकरकंद जैसा होता है. इसे किसानों से लेकर फैक्ट्री में भेजा जाता है. मशीन इसे छीलकर इस पर से मिट्टी हटाती है. फिर इसे क्रश किया जाता है.
गूदे से निकलने वाले दूध को कई फिल्टर की मदद से साफ किया जाता है. फाइबर को एक जगह जमा किया जाता है. फिर इसमें मौजूद पानी को ब्रश से हटाते हैं.
इस दूध में पानी और स्टार्च होता है. दूध को प्रोसेस किया जाता है. जिससे पानी तो हट जाता है, लेकिन स्टार्च रह जाता है. स्टार्च को दोबारा फिल्टर किया जाता है. इसमें अशुद्धियां होती हैं.
स्टार्च को पानी के साथ मिलाया जाता है. फिर मिश्रण को पतला कर फिल्टर से गुजारा जाता है. फाइबर हटने के बाद ये काफी मुलायम हो जाता है. अंत में एक सफेद रंग का प्रोडक्ट निकलता है.
इसी प्रोडक्ट से साबूदाने की गोलियां बनाई जाती हैं. साबूदाने को तैयार किए जाने के बाद भूना जाता है. जिससे ये जैल जैसा हो जाता है. फिर इसे ड्रायर से निकाला जाता है.
इसमें कुछ गांठें हो सकती हैं. जिन्हें मशीन के जरिए तोड़ा जाता है. इसके बाद जो प्रोडक्ट हमारे सामने निकलकर आता है, वो पाउडर और गोलियां (यानी बॉल्स) के रूप में होता है.
साबूदाने को सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है. इससे कई तरह की डिश बनकर तैयार होती हैं. जो लोगों को काफी पसंद आती हैं. वहीं इसके स्टार्च से बहुत सी जगह बिस्टिक और चॉकलेट बनाए जाते हैं.