टाइटन पनडुब्बी हादसे ने एक बार फिर टाइटैनिक हादसे की यादें ताजा कर दी हैं. ये समुद्री इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा हादसा था.
1912 में टाइटैनिक जहाज अटलांटिक महासागर में डूब गया था. इस पर कुल 2200 लोग सवार थे, जिनमें से 1500 की मौत हो गई.
केवल 700 लोग की लाइफबोट्स के जरिए बच पाए. इन्हीं में शामिल थे इंग्लैंड के फ्रैंक प्रेंटाइस. उन्होंने 1997 में एक इंटरव्यू दिया था, जो वायरल हो रहा है.
फ्रैंक टाइटैनिक में असिस्टेंट स्टोरकीपर का काम करते थे. उन्होंने अपने इंटरव्यू में 1912 के उस मनहूस अप्रैल महीने की कहानी सुनाई थी, जो आज भी लोगों को डरा देती है.
टाइटैनिक इंग्लैंड से अमेरिका की यात्रा करते वक्त डूबा था. फ्रैंक उसमें क्रू मेंबर थे. वो तैरकर नजदीक की लाइफबोट पर सवार हो गए थे, जिससे उनकी जान बच सकी.
उन्होंने बताया कि जहाज अचानक से रुक गया था, मानो गाड़ी के ब्रेक जाम पड़ गए हों. आसमान खुला था और सितारे चमक रहे थे. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है.
उन्होंने कहा कि वो कैबिन से निकले और डेक की तरफ गए. उन्हें जहाज पर बर्फ दिखाई दी. तब तक बर्फ के टुकड़े का कोई निशान नहीं था. क्योंकि वो टकराकर गुजर गया था.
छेद से दिखाई दिया की पानी पर रोशनी चमक रही थी. तब वॉटरलाइन पर क्षति होने के कोई निशान नहीं थे. तभी लाइफबोट पर बैठने का आदेश जारी हुआ.
फ्रैंक ने बताया कि लाइबोट्स की काफी कमी थी. उन पर केवल महिलाओं और बच्चों को बचाया जा रहा था. शुरुआती बोट्स तो लगभग खाली गईं.
कई लोग तो ऊंचाई से कूदकर बोट पर बैठने से डर रहे थे, तो कुछ को लगा कि जहाज नहीं डूबेगा. अगर ठीक से लोगों को बिठाते तो 800 लोग बचाए जा सकते थे.
फ्रैंक को लगा कि वो बोट में नहीं बैठ पाएंगे क्योंकि लोग एक दूसरे को बचाने के लिए धकेल रहे थे. उन्होंने हनीमून पर आए एक कपल को देखा, और उस महिला की मदद की.
एक नर्स अपने पति को छोड़कर नहीं जा रही थी उसकी भी मदद की. उन्होंने बताया कि वो दूर से जहाज को डूबता हुआ देख सकते थे. हर तरफ शव पड़े थे.
उन्होंने बताया कि रात के 2 बजकर 20 मिनट पर जहाज रुक गया था. इसके बाद वो डूब गया. उन्हें रात को बुरे सपने आया करते थे. उनकी 1982 में 93 साल की उम्र में मौत हो गई.