खेती-किसानी को लेकर लोगों में आम धारणा है कि ये काफी महंगा काम है.
Pic Credit: urf7i/instagramऐसे में अगर ये कहा जाए की जीरो बजट में भी खेती करना संभव है तो ज्यादातर लोग इसपर भरोसा नहीं करेंगे.
Pic Credit: urf7i/instagramहालांकि, काफी हद तक ऐसा किया जा सकता है.
Pic Credit: urf7i/instagramजीरो बजट खेती के तहत फसलों के उत्पादन में केमिकल (रासायनिक खादों) के स्थान पर प्राकृतिक खाद का उपयोग किया जाता है.
Pic Credit: urf7i/instagramइसके अलावा रासायनिक कीटनाशकों से भी किनारा किया जाता है.
Pic Credit: urf7i/instagramजीरो बजट प्राकतिक खेती का आधार जीव-अमृत है.
Pic Credit: urf7i/instagramइसे बनाने में देशी गाय के गोबर, मूत्र और पत्तियों से खाद और कीटनाशक का उपयोग किया जाता है.
Pic Credit: urf7i/instagramऐसा करने में किसानों को लागत ना के बराबर आती है.
Pic Credit: urf7i/instagramइस तरह की खेती में जीवामृत, बीजामृत, अच्चादान-मल्चिंग, व्हापासा(भाप) का इस्तेमाल खाद और कीटनाशक के तौर पर किया जाता है.
Pic Credit: urf7i/instagramप्राकृतिक कीटनाशक और खाद का उपयोग करने से शून्य बजट प्राकृतिक खेती के दौरान जमीन का उपजाऊपन बना रहेगा.
Pic Credit: urf7i/instagramऐसे में फसलों की पैदावार भी पहले के मुकाबले बढ़ेगी और लागत भी कम आती है.
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