शहरी आबादी में बहुत बड़ा हिस्सा किराए के मकानों में रहता है. कानून में किराएदार और मकानमालिक दोनों के अधिकार सुनिश्चित किए गए हैं.
कानूनन हर संपत्ति मालिक को किरायेदार का पुलिस वेरिफिकेशन करवाना जरूरी है. ऐसा नहीं करना IPC की धारा 188 का उल्लंघन है.
दोषी पाए जाने पर एक महीने की जेल या 200 रुपये या दोनों की सजा हो सकती है. इसलिए वेरिफिकेशन को गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
हर पुलिस थाने में टेनेंट फॉर्म होता है, जिसमें किरायेदार की सारी डिटेल भर सकते हैं. इसमें किरायेदार की हर एक डिटेल देनी होती है.
अगर किरायेदार का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड होगा तो वेरिफिकेशन से पता चल जाएगा. वेरिफिकेशन ऑनलाइन भी कराया जा सकता है.
मॉडल टेनेंसी एक्ट 2021 के मुताबिक, संपत्ति मालिक और किरायेदार के बीच लिखित रेंट एग्रीमेंट होना जरूरी है. ये एग्रीमेंट 11 महीने के लिए होता है.
इस एग्रीमेंट में किरायेदार कब तक रहेगा, कितना किराया देगा, डिपोजिट की रकम कितनी होगी. ये सारी जानकारी देनी होती है.
एग्रीमेंट की तारीख खत्म होने के बाद अगर मकान मालिक फिर उसी किरायेदार को रखना चाहता है तो दोबारा से एग्रीमेंट करवाना होगा.
एग्रीमेंट खत्म हो जाने के बाद किरायेदार घर खाली नहीं करता है या घर खाली करने में असमर्थ है तो उसे मकान मालिक को बढ़ा किराया देना होगा.