सोशल मीडिया पर 2 साल की भारतीय बच्ची को लेकर खूब ट्वीट किए जा रहे हैं. लोग बायकॉट जर्मनी लिख रहे हैं. बच्ची को भारत लाने की मांग हो रही है.
अपने पोस्ट्स में लोग जर्मनी को लेकर काफी गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. इससे कुछ वक्त पहले भी इसी तरह के पोस्ट सामने आए थे. मामले में भारत सरकार भी कोशिश कर रही है.
ये कहानी गुजराती मूल के जर्मनी में रहने वाले धरा और भावेश शाह की बेटी अरिहा शाह की है. उसकी कस्टडी का मामला फिर से तूल पकड़ता जा रहा है.
ये दंपत्ति 2018 में जर्मनी गया था. उनकी बेटी अरिहा को जर्मनी के फोस्टर केयर में रहते हुए 20 महीने हो गए हैं. यानी उसे 7 माह की उम्र में माता-पिता से अलग कर दिया गया.
भारत सरकार के राजनयक दबाव के बाद अरिहा शाह के समर्थन में 59 सांसदों ने जर्मनी के राजदूत को चिट्ठी लिखी है.
अरिहा के परिवार को उम्मीद है कि भारतीय लोगों, सांसदों की चिट्ठी और सरकार की कोशिशों के चलते उन्हें उनकी बेटी वापस मिल जाएगी.
अब इस पूरे मामले के बारे में जान लेते हैं. बात साल 2021 के सितंबर महीने की है. तब धरा शाह ने अपनी बेटी के डायपर में खून देखा था.
प्रारंभिक जांच के बाद डॉक्टर ने कहा कि कुछ भी गंभीर नहीं है. जब वो फॉलो अप के लिए गईं, तो बड़े अस्पताल जाने को कहा गया.
इसके बाद साढ़े सात महीने की अरिहा को जर्मन चाइल्ड लाइन सर्विस भेजा गया. डॉक्टरों ने अरिहा के साथ कथित यौन उत्पीड़न का मामला होने की बात कही.
इसी के बाद अरिहा को फोस्टर केयर में भेजा गया. जांच के बाद डॉक्टरों ने कहा कि बच्ची के साथ यौन शोषण नहीं हुआ है. 2022 में पुलिस ने केस बंद कर दिया.
लेकिन फिर भी बच्ची को परिवार को नहीं लौटाया गया. चाइल्ड लाइन सर्विस ने कोर्ट में पैरेंटिंग राइट्स टर्मिनेट का केस बरकरार रखा. यानी बच्ची उसके माता-पिता को नहीं दी जा सकती.
कोर्ट ने बच्ची के अभिभावकों की मनोवैज्ञानिक जांच कराने की बात भी कही थी. तभी से बच्ची को वापस उसके परिवार को सौंपने के लिए एक जंग चल रही है.
धरा शाह ने कहा कि कोर्ट में जारी सुनवाई में केवल पैरेंटिंग स्किल्स पर बात होती है. लेकिन अभी तक कोई आदेश नहीं आया है. बेटी को स्पेशल नीड्स फैसिलिटी में डाला गया है. उसमें हमारी सामान्य बच्ची को क्यों डाला है?
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि विदेश मंत्रालय और बर्लिन में भारतीय दूतावास अरिहा की वापसी की लगातार कोशिशें कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि 'वो बच्ची एक भारतीय नागरिक है. जो 23 सितंबर, 2021 से जर्मनी के यूथ वेलफेयर ऑफिस की कस्टडी में है. वो बीते 20 महीने से फोस्टर में है.'