By: Aajtak.in
4 अप्रैल 1896 के दिन एक मछुआरे को थेम्स नदी में एक पैकेट में लिपटी छोटी सी बच्ची की लाश मिली. जिसकी उम्र एक साल से भी कम थी.
उसकी गर्दन के चारों ओर एक सफेद टेप लिपटी हुई थी. देखने से लग रहा था कि बच्ची को इसी टेप से गला घोंटकर मारा गया है.
साथ ही एक कागज भी लाश के साथ था जिसमें एक घर का पता लिखा हुआ था. मछुआरे ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी.
पुलिस ने लाश को कब्जे में ले लिया. फिर उस पते पर जा पहुंची जो उस कागज में लिखा हुआ था. यह पता था अमेलिया डायर नामक महिला का.
पुलिस ने जैसे ही अमेलिया के घर में एंट्री ली तो उन्हें वहां इंसानी मांस की बदबू आई. उन्हें टीकाकरण के कागजात और छोटे बच्चों के कपड़े भी मिले.
इसी के साथ उन्हें कुछ अखबारें मिलीं जिसमें पाया गया कि अमेलिया ने कई नामों से बेबी फार्मिंग के इश्तेहार छपवाए थे.
वहां पुलिस को वैसे ही पेपर और टेप भी मिली जो कि उस बच्ची की लाश के पास बरामद हुई थी. पुलिस ने तुरंत ड्रैगिंग ऑपरेशन शुरू किया.
उस ड्रैगिंग ऑपरेशन के दौरान पुलिस को नदी से 50 से ज्यादा बच्चों की लाशें मिली. पूछताछ में अमेलिया ने बताया कि उसने 400 से ज्यादा बच्चों को मारा है
अमेलिया ने बताया कि लोग बेबी फार्मिंग के लिए अपने बच्चे उसके पास छोड़ जाते थे. इसके बदले उसे काफी रुपये मिलते थे.
उसे तब तक उन बच्चों का ख्याल रखना होता था जब तक कि कोई दूसरा कपल उन बच्चों को गोद न ले ले. बच्चों का खर्च वह उठाना नहीं चाहती थी.
इसलिए वह पैसे लेकर बच्चों को किसी को गोद नहीं देती थी. बल्कि उन्हें मार डालती थी. जिससे उन बच्चों का खर्च उसे उठाना न पड़े.
इस गुनाह के लिए कोर्ट ने अमेलिया को फांसी की सजा सुनाई. जिसके बाद 10 जून 1896 में उसे फांसी पर लटका दिया गया.