7 अक्टूबर को इजरायल पर फिलीस्तीनी आतंकवादी समूह हमास ने अचानक से हमला कर दिया. हजारों रॉकेट्स दागे गए. चारों तरफ चीख पुकार और दहशत का मंजर था.
लोग अपनी जान बचाने के लिए यहां वहां जाने लगे. लेकिन हमास के आतंकवादियों ने फिर भी बर्बरता दिखाते हुए कई लोगों को बंधक बना लिया.
उधर इजरायल भी कहां चुप बैठने वाला था. उसने भी आतंकवादियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. हमास के नियंत्रण वाले गाजा में इजरायली वायुसेना ने ताबड़तोड़ हमले किए.
न तो हमास और न ही इजरायल, कोई भी अब झुकने को तैयार नहीं है. जंग अभी जारी है. हमास-इजरायल जंग में अब तक 1,200 लोगों के मारे जाने की खबर है.
इसी बीच ये बात सामने आई कि हमास की मदद कोई और नहीं बल्कि, ईरान कर रहा है. लेकिन ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई ने इस पर अपनी सफाई दी है.
कहा कि हमने हमास का समर्थन बेशक किया है. लेकिन उसकी इस हमले में कोई मदद नहीं की है.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने भी कहा है कि उसने अब तक ऐसे सबूत नहीं देखे हैं जो ये बताते हों कि ईरान इन हमलों के पीछे था.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि ईरान कई सालों तक फिलिस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास का मुख्य वित्त पोषक रहा है.
उन्होंने कहा कि ईरान इस संगठन को सिर्फ आर्थिक मदद ही नहीं भारी संख्या में हथियार और रॉकेट भी देता रहा है. लेकिन इस बार उसने ये हमला करवाया इसका कोई सबूत नहीं है.
वहीं, इसराइली खुफिया एजेंसी मोसाद के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी हाइम तोमेर ने कहा कि ईरान ने हमास की हथियारों और उपकरणों से खूब मदद की है.
उन्होंने कहा कि लेकिन मेरे विचार से 7 अक्टूबर के हमले का फैसला 75% फैसला हमास ने किया था. ईरान की भूमिका अब तक इसमें नजर नहीं आई है.