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'इफ्तार पार्टी मंजूर, रामनवमी नहीं?' पद्मश्री काजी अख्तर ने बंगाल में धर्मनिरपेक्षता पर उठाए सवाल

पद्मश्री सम्मानित काजी मासूम अख्तर ने जादवपुर विश्वविद्यालय में आयोजित रामनवमी समारोह में शामिल हुए. उन्होंने धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि भगवान राम का सभी धर्मों में सम्मान होता है, तो रामनवमी पर विवाद क्यों? उन्होंने तर्क दिया कि अन्य धार्मिक आयोजन जैसे सरस्वती पूजा और इफ्तार पार्टी होते हैं, तो राम नवमी क्यों नहीं?

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काजी मासूम अख्तर (सोशल मीडिया- फेसबुक)
काजी मासूम अख्तर (सोशल मीडिया- फेसबुक)

पद्मश्री से सम्मानित काजी मासूम अख्तर ने जादवपुर विश्वविद्यालय के जनरल स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा आयोजित राम नवमी समारोह में शिरकत की. समारोह को संबोधित करते हुए काजी मासूम ने कहा कि हम यहां सरस्वती पूजा भी करते हैं, तो फिर राम नवमी को लेकर इतना विवाद क्यों? काजी मासूम ने धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाए हैं. 

काजी मासूम अख्तर ने क्या कहा?

काजी मासूम अख्तर ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि जिस राष्ट्रगान के लिए हमारे पूर्वजों ने खून बहाए, ताकि आने वाली पीढ़ी उनका सम्मान करे. लेकिन, यहां 'आजाद कश्मीर' क्यों लिखा है? सभी लोग भगवान राम का सम्मान करते हैं, सभी लोगों को रामनवमी को भी सम्मान करना चाहिए. हम यहां सरस्वती पूजा मनाते हैं तो फिर रामनवमी को लेकर विवाद क्यों? अगर किसी तरह की कोई समस्या है तो कुछ शर्तें लगाई जा सकती हैं. लेकिन रामनवमी त्योहार मनाने के लिए पूरी तरह से अनुमति न देना उचित नहीं है. 

यह भी पढ़ें: पश्चिम बंगाल में रामनवमी पर जगह-जगह जुलूस और शोभायात्राएं, गूंज रहा जय श्री राम का नारा... हाई अलर्ट पर पुलिस

काजी मासूम ने कहा, अगर प्रदेश में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जा सकता है तो फिर रामनवमी का क्यों नहीं? यह करोड़ों लोगों की भावनाओं का अपमान है. राज्यपाल ने मुझे कुलपति चुनने की जिम्मेदारी दी है. मैं खुद ही विश्वविद्यालय से 'आजाद कश्मीर' जैसे नारों को मिटाऊंगा. चाहे इसके लिए जितना भी खतरा उठाना पड़े, मैं तैयार हूं. कुछ लोगों को लगता है कि देश से नफरत करना आधुनिकता है. लेकिन यह सोच गलत है. 

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कौन हैं काजी मासूम अख्तर?

काजी मासूम अख्तर पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं. 2020 में उन्हें साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. अख्तर की कहानी संघर्ष और समर्पण की एक प्रेरणादायक गाथा है. उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के प्रति भी विशेष ध्यान दिया और उन्हें सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए.

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