पश्चिम बंगाल में एक बार फिर सत्तारूढ़ टीएमसी और विपक्ष में बैठी बीजेपी आमने-सामने है. बीजेपी नेता और नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी के बयान पर विवाद बढ़ गया है और टीएमसी ने चुनाव आयोग से सुवेंदु के खिलाफ शिकायत की है और कार्रवाई की मांग की है. टीएमसी का कहना है कि सुवेंद्र ने आचार संहिता का उल्लंघन किया है. उन्होंने जो बयान दिया है, वो नफरत से भरा है.
पश्चिम बंगाल में छह विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव है. आज प्रचार का आखिरी दिन है. बीजेपी और टीएमसी दोनों ने इन सीटों पर जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. इस बीच, वोटिंग से दो दिन पहले बंगाल की राजनीति में सुवेंदु अधिकारी के एक बयान पर विवाद बढ़ गया है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के 3 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में कुणाल घोष, शशि पांजा और जय प्रकाश मजूमदार ने सोमवार को बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ कथित टिप्पणियों के के साथ चुनाव आयोग को शिकायत सौंपी.
टीएमसी ने ECI से सुवेंदु के खिलाफ तुरंत और सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है. टीएमसी ने आरोप लगाया कि सुवेंदु ने 9 नवंबर को तालडांगरा में एक चुनाव रैली में हिस्सा लिया और वहां भड़काऊ और सांप्रदायिक बयान दिए.
टीएमसी ने क्या आरोप लगाए
टीएमसी का कहना था कि सुवेंदु ने कथित तौर पर टीएमसी को निशाना बनाया और पड़ोसी बांग्लादेश से जुड़ी सांप्रदायिक घटनाओं का जिक्र किया. टीएमसी के अनुसार, इस तरह की विभाजनकारी बयानबाजी बीजेपी की व्यापक चुनाव रणनीति का प्रतीक है. टीएमसी का दावा है कि इस बयानबाजी का उद्देश्य पश्चिम बंगाल के सांप्रदायिक सद्भाव और संवैधानिक लोकतंत्र को अस्थिर करना है.
टीएमसी ने कार्रवाई की मांग की
टीएमसी ने ईसीआई को जो पत्र सौंपा है, उसमें कहा, इस तरह की घृणित आपराधिक बयानबाजी बीजेपी के चुनाव प्रचार के अनुरूप है और संवैधानिक लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है. नतीजतन, टीएमसी ने सुवेंदु अधिकारी के भाषणों की सख्त सेंसरशिप और उनके और बीजेपी दोनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. टीएमसी ने ईसीआई से तत्काल हस्तक्षेप का आह्वान किया है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी ने दावा किया कि सुवेंदु अधिकारी ने अपने भाषण में कहा, क्या आपने बांग्लादेश की तस्वीरें देखी हैं? उन्होंने 596 मंदिरों को तबाह कर दिया है. हिंदुओं और आदिवासियों के खिलाफ क्या जुल्म किए गए? वे (टीएमसी) पश्चिम बंगाल को दूसरा बांग्लादेश बनाना चाहते हैं.
टीएमसी का कहना था कि इस तरह के बयान ना सिर्फ अस्वीकार्य हैं, बल्कि भारतीय लोकतांत्रिक नियमों का भी उल्लंघन है. यह ना सिर्फ निराधार आरोप हैं, बल्कि सांप्रदायिक प्रकृति के भी हैं. टीएमसी ने चुनाव आयोग से आग्रह किया कि वह आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को रोकने के लिए बीजेपी को तत्काल कड़े निर्देश जारी करे.