अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा मंगलवार रात अफगानिस्तान की अघोषित यात्रा पर काबुल पहुंचे. उन्होंने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई से मुलाकात की.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अफगानिस्तान के साथ एक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
ओबामा मंगलवार को अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में मार गिराए जाने की पहली बरसी पर अफगानिस्तान की अघोषित यात्रा पर पहुंचे थे.
ओबामा के राष्ट्रपति बनने के बाद से यह उनकी तीसरी अफगानिस्तान यात्रा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा मंगलवार रात अफगानिस्तान की अघोषित यात्रा पर काबुल पहुंचे.
अपनी तीसरी अफगानिस्तान यात्रा के दौरान ओबामा ने यहां बगराम एयर फील्ड में सैनिकों को संबोधित भी किया.
ओबामा ने कहा, 'इस समझौते के साथ मुझे पूरा विश्वास है कि अफगानिस्तान के लोग यह समझ सकेंगे कि अमेरिका उनके साथ खड़ा है.'
उम्मीद है कि 2012 के अंत तक अमेरिका यह संख्या 65,000 तक सीमित कर देगा और 2014 के अंत तक उसके सैनिकों की संख्या 20,000 से कम रह जाएगी.
गौरतलब है कि नाटो सेनाएं 2014 में अफगानिस्तान से चली जाएंगी. वर्तमान में अफगानिस्तान में अमेरिका के 90,000 से ज्यादा सैनिक तैनात हैं.
यह एक ऐसा समझौता है जो उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) नेतृत्व वाली गठबंधन सेनाओं की अफगानिस्तान से विदाई के बाद वहां अमेरिकी सेना की मौजूदगी का रास्ता बनाता है.
ओबामा की यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब अफगानिस्तान व अमेरिका की सरकारों ने एक सप्ताह पहले ही अमेरिका-अफगानिस्तान सामरिक समझौते का मसौदा तैयार कर लिया था.
ओबामा ने कहा कि अमेरिका यहां संसाधनों या जमीन पर अपना दावा ठोकने के लिए नहीं आया था. उन्होंने कहा, 'हम अलकायदा के खात्मे की बहुत स्पष्ट दृष्टि के साथ यहां आए थे.'
अफगानिस्तान से अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं के जाने के बाद की स्थिति पर चिंता जताते हुए ओबामा ने कहा, 'इस समझौते के साथ मुझे पूरा विश्वास है कि अफगानिस्तान के लोग यह समझ सकेंगे कि अमेरिका उनके साथ खड़ा है.'
समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान ओबामा ने कहा कि कोई देश युद्ध नहीं चाहता और अब दोनों देश शांतिपूर्ण भविष्य के लिए साथ में काम करेंगे.
ओबामा ने यहां बगराम एयर फील्ड में सैनिकों को संबोधित भी किया.