शांति वार्ता बाधित होने के बाद अफगानिस्तान में हिंसा तेजी से बढ़ी है. तालिबान तेजी से अफगान क्षेत्र पर कब्जा जमा रहा है. एक अमेरिकी रक्षा अधिकारी ने बुधवार को कहा कि तालिबान लड़ाके 90 दिनों में काबुल पर कब्जा कर सकते हैं. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, तालिबान की हिंसा के डर से अफगानिस्तान के विभिन्न हिस्सों से लोग भागकर काबुल पहुंच रहे हैं. लोगों ने शहर की गलियां और पार्कों में पनाह ले रखी है.
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अफगानिस्तान सरकार तालिबान से शांति वार्ता में पाकिस्तान से मदद मांगती रही है. पाकिस्तान अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए तालिबान को बातचीत के लिए राजी करने का अफगान सरकार को आश्वासन दिया था, लेकिन पाकिस्तान अपना वादा पूरा नहीं कर पाया. अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पाकिस्तान के वादे पर सवाल भी खड़ा किया. बैकफुट पर आए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान गनी के आरोप पर झल्ला गए.
पिछले महीने उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में आयोजित मध्य-दक्षिण एशिया सम्मेलन में इमरान खान ने कहा था कि अफगानिस्तान में जब विदेशी सैनिकों की मौजूदगी थी, उसी दौरान तालिबान से वार्ता की जानी चाहिए. अब के हालात में तालिबान को मनाना मुश्किल काम है.
अब फिर से इमरान खान ने कहा है कि मौजूदा हालात में राजनीतिक समझौता मुश्किल दिख रहा है. उन्होंने बुधवार को कहा कि तालिबान नेताओं ने कहा है कि जब तक अशरफ गनी राष्ट्रपति बने रहेंगे, तब तक वे अफगान सरकार के साथ बातचीत नहीं करेंगे.
रॉयटर्स के मुताबिक, पीएम इमरान खान ने इस्लामाबाद में अपने घर पर विदेशी पत्रकारों से कहा, "मैंने तीन से चार महीने पहले जब तालिबान के नेता यहां आए थे, तब मैंने उन्हें मनाने की कोशिश की थी." इमरान खान ने तालिबान नेताओं के हवाले से कहा, 'शर्त यह है कि जब तक अशरफ गनी हैं, हम (तालिबान) अफगान सरकार से बात नहीं करने वाले हैं.'
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तालिबान के साथ अफगान सरकार के वार्ताकारों की पिछले साल सितंबर में बातचीत शुरू हुई थी. लेकिन इसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला. तालिबान अफगानिस्तान में अशरफ गनी सरकार को अमेरिका की कठपुतली सरकार के तौर पर देखता है.
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अमेरिका सहित कई अन्य देशों के प्रतिनिधि अभी कतर की राजधानी दोहा में हैं, जो 31 अगस्त से पहले संघर्षविराम के लिए दोनों पक्षों से बात कर रहे हैं. अमेरिका सहित सभी विदेशी सैनिकों का 31 अगस्त तक अफगानिस्तान मिशन समाप्त हो जाएगा.
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पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें लगता है कि अफगान सरकार अब अमेरिका को वापस आने और फिर से हस्तक्षेप करने के लिए मनाने की कोशिश कर रही है. अफगानिस्तान में अमेरिका की भूमिका पर इमरान खान ने कहा, "वे यहां 20 साल से हैं. अब वे क्या करेंगे जो उन्होंने 20 साल तक नहीं किया?"
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बहरहाल, तालिबान के खिलाफ अफगान बलों के समर्थन में अमेरिकी सेना का हवाई हमला जारी है. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि 31 अगस्त के बाद भी अमेरिका का ऐसा समर्थन जारी रहेगा या नहीं.
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