अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिक लौट रहे हैं. लेकिन इससे इस युद्धग्रस्त देश में अफरा-तफरी जैसे हालात बन रहे हैं. विदेशी सैनिकों की वापसी के साथ ही तालिबान की गतिविधियां बढ़ती जा रही है. इस बीच, शुक्रवार को अमेरिकी सैनिकों की अंतिम टीम अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस से चली गई. अमेरिकी सैनिकों के जाते ही बगराम एयरबेस पर लूट मच गई. अमेरिकी सैनिकों ने एयरबेस को अचानक खाली करने की स्थानीय प्रशासन को कोई जानकारी नहीं दी थी जिससे लोकल लोग मौका पाते ही लूटपाट करने लगे.
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बगराम एयरबेस काबुल से उत्तर में 30 मील की दूरी पर स्थित है, जो अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों का रणनीतिक केंद्र रहा है. लेकिन अब यह खाली हो गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कार्यभार संभालते ही 11 सितंबर 2021 तक अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी का ऐलान किया है. अमेरिका की घोषणा के बाद नाटो ने भी अपने सैनिकों को बुलाने का ऐलान कर दिया.
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अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्ध 20 साल पहले शुरू हुआ था. और यह अमेरिका का सबसे लंबा चलने वाला युद्ध है. इस युद्ध में 2,312 अमेरिकी सैनिक मार गए. तालिबान से युद्ध में अमेरिकी सेना के 816 अरब डॉलर खर्च हो गए.
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बहरहाल, रक्षा विशेषज्ञों को डर है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी के बाद से अफगानिस्तान में नए सिरे से अराजकता फैल सकती है. जैसा कि शुक्रवार की सुबह हुई लूट से स्पष्ट है.
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डेली मेल ने रक्षा अधिकारियों के हवाले से पुष्टि की है कि सभी अमेरिकी सैनिकों ने शुक्रवार तक बगराम छोड़ दिया था, और कहा कि एयरबेस को पूरी तरह से अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा बल को सौंप दिया गया है.
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बगराम शहर के जिला प्रशासक के रूप में कार्य करने वाले दरवेश रऊफी ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि 'अमेरिकी बिना किसी पूर्व सूचना के चले गए' और हवाई क्षेत्र को खुला छोड़ दिया, जिससे लूटपाट हुई.
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बगराम एयरबेस पर स्थानीय समयानुसार तड़के लगभग 4 बजे लूटेरे खुली पड़ी इमारतों में घुस गए. प्लास्टिक और मेटल के सामान चुरा ले गए. खाली पड़ी इमारतों में कई घंटों तक लूटपाट जारी रही. बाद में अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा बल के जवान मौके पर पहुंचे और एयरबेस को अपने कब्जे में लिया.
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एक चश्मदीद ने बताया कि यहां लोगों को लूटने की आदत है. इसलिए अफगानिस्तान दिन-ब-दिन तबाह होता जा रहा है. यह घटना उस अशांति का संकेत है जो अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद बढ़ने वाली है.
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फोर्ब्स की रिपोर्ट बताती है कि जवानों की वापसी के बाद तालिबान ने पिछले एक महीने में अकेले अमेरिकी सैनिकों के 700 बख्तरबंद सैन्य वाहनों पर कब्जा कर लिया है. अफगान बलों को राजधानी काबुल में सुरक्षा बंदोबस्त को दुरुस्त बनाए रखने के लिए बगराम हवाई क्षेत्र पर नियंत्रण बनाए रखना होगा. यह एयरबेस तालिबान पर दबाव बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा.
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सोवियत संघ ने 1950 के दशक में अफगानिस्तान की बर्फ से ढकी पहाड़ियों के बीच बगराम एयरबेस को तैयार किया था. 1979 में अफगानिस्तान पर आक्रमण करने के बाद सोवियत संघ के लिए यह एक महत्वपूर्ण हवाई क्षेत्र बन गया. हालांकि, सोवियत संघ 1989 में अफगानिस्तान से हट गया. 1990 के दशक के अंत तक यह एयरबेस खाली पड़ा रहा.
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11 सितंबर, 2001 के हमलों के बाद अमेरिकी सेना ने बगराम हवाई पट्टी पर कब्जा कर लिया. 1990 से पहले इस एय़रबेस का इस्तेमाल सोवियत संघ करता रहा. राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के शासन में जंग के शुरुआती सालों में सीआईए ने बगराम को अपने अड्डे के तौर पर स्थापित कर लिया. सीआईए ने इसे डिटेंशन सेंटर के रूप में इस्तेमाल किया. संदिग्धों के उत्पीड़न पर अमेरिकी सरकार की काफी आलोचना हुई. इसे राष्ट्रपति रहते हुए बराक ओबामा ने भी स्वीकार किया.
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