तालिबान और पाकिस्तान की करीबी किसी से छुपी नहीं है. अफगानिस्तान में तालिबान के दबदबे के बीच ये भी कहा जा रहा है कि पाकिस्तान ही उसे मदद मुहैया करा रहा है. हालांकि, तालिबान ने अफगानिस्तान सरकार के खिलाफ पाकिस्तान से समर्थन मिलने के दावों को खारिज किया है. तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद सुहैल शाहीन ने कतर की राजधानी दोहा से इंडिया टुडे को बताया कि तालिबान को पाकिस्तान का समर्थन मिलने का दावा निराधार है.
सुहैल शाहीन वार्ता दल के सदस्य और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के लिए तालिबान के प्रवक्ता हैं. इंडिया टुडे के साथ एक विशेष इंटरव्यू में उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान भारत और पाकिस्तान के बीच प्रतिद्वंद्विता का हिस्सा नहीं बनना चाहता है.
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तालिबान के प्रवक्ता ने दोहा समझौते का हवाला देते हुए कहा कि तालिबान किसी अन्य देश के खिलाफ अफगान धरती का इस्तेमाल नहीं होने देगा. सुहैल शाहीन ने कहा कि अपने घायल लड़ाकों पाकिस्तान के अस्पताल में इलाज की रिपोर्ट गलत है और इसके लिए तालिबान संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति (ICRC) के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं.
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सुहैल शाहीन से पूछा गया कि अगर पाकिस्तान का समर्थन नहीं मिलता तो क्या तालिबान उतना ही मजबूत होता जितना वह आज है? इस पर तालिबान प्रवक्ता ने कहा, 'यह काबुल प्रशासन की भाषा है. वे जमीन पर हमारा सामना नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए ऐसे दावे कर रहे हैं.'
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सुहैल शाहीन ने कहा, 'पाकिस्तान हमारा पड़ोसी मुल्क है. हमारे लाखों शरणार्थी पाकिस्तान में रहते हैं. यह सच नहीं है कि वे दुनियाभर के 44-54 देशों से लड़ रहे हैं, और पिछले 20 वर्षों से अमेरिका से लड़ रहे हैं. पाकिस्तान के लिए उनसे (अमेरिका और अफगान सरकार) लड़ना और उन्हें हराना मुमकिन नहीं था. यह अफ़ग़ानिस्तान के लोग हैं जो कब्जे के खिलाफ उठ खड़े हुए और मुकाबला किया.' तालिबान प्रवक्ता ने कहा कि इस युद्ध में पाकिस्तान के शामिल होने की बात महज एक आरोप है.
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#Exclusive: Talks with India on condition of “impartiality”, says Taliban spokesperson.
— IndiaToday (@IndiaToday) August 11, 2021
No talks have taken place between Indian and Taliban officials
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सुहैल शाहीन से पूछा गया कि आप शांति प्रक्रिया में पाकिस्तान की भूमिका को कहां देखते हैं? एक तरफ आगे बढ़ने की बात करते हैं लेकिन दूसरी तरफ पाकिस्तान से समर्थन और फंडिंग की खबरें आ रही हैं और तालिबान के घायल लड़ाकों को पाकिस्तानी अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है?
तालिबान प्रवक्ता ने कहा, 'मैं यहां पिछले 40 साल से जिहाद कर रहा हूं. उनमें से कई आरोप भारत में लगाए गए हैं. उनका कोई आधार नहीं है. हम आपके (भारत) और पाकिस्तान के बीच लड़ाई का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं. हम आजादी के लिए लड़ने वाले लोग हैं; हम अफगानिस्तान के लोग हैं. हम कब्जे के खिलाफ लड़ रहे हैं.'
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सुहैल शाहीन ने कहा, 'एक आजाद देश होने का हमारा अधिकार है जैसा कि आपके पास (भारत) है. आपके लोगों (भारतीयों) ने ब्रिटिश राज के खिलाफ संघर्ष किया और उसी तरह हमारा भी समान अधिकार हासिल करने का मकसद है.'
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तालिबान लड़ाकों के पाकिस्तानी अस्पताल में इलाज के दावों को भी सुहैल शाहीन ने खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, 'घायल तालिबान लड़ाकों का पाकिस्तान में इलाज किया जा रहा है, सही बात नहीं है. हमारे प्रशासनिक क्षेत्रों में हमारे सैकड़ों क्लीनिक हैं. हम आपातकालीन अस्पताल चलाने वाले आईसीआरसी (रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति) के साथ सहयोग कर रहे हैं; हम संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग कर रहे हैं. वे हमारे घायल लोगों के इलाज में हमारी मदद कर रहे हैं. ये आरोप जमीनी हकीकत से ज्यादा राजनीति से प्रेरित हैं.'
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ऐसी रिपोर्टें सामने आई हैं जिनमें कहा जा रहा है कि बहुत से आतंकवादी संगठन- लश्कर-ए-तैयबा, आईएसआईएस/दाएश, अल-कायदा- सभी तालिबान के साथ खड़े हैं और लड़ रहे हैं. पाकिस्तान तालिबान को समर्थन देकर एक छद्म युद्ध लड़ रहा है, क्या यह सच है?
तालिबान प्रवक्ता ने कहा कि यह काबुल प्रशासन का दुष्प्रचार है. जब वे दाएश (IS/ISIS) के बारे में बात कर रहे हैं, जबकि उनमें से लगभग 2,000 ने काबुल प्रशासन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. वे अभी काबुल में हैं, यहां नहीं.
'जहां तक दूसरे संगठनों का सवाल है तो उनकी अफगानिस्तान में मौजूदगी नहीं है, क्योंकि हमने दोहा समझौते में प्रतिबद्धता जताई है कि हम किसी भी व्यक्ति, किसी भी संस्था को दुनिया के किसी भी देश के खिलाफ अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देंगे.'
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सुहैल शाहीन ने कहा, 'हम जानते हैं कि यह हमारे लिए, नई सरकार के लिए, देश में शांति और स्थिरता के लिए, देश के पुनर्निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है. यह हमारे राष्ट्रीय हित के लिए महत्वपूर्ण है. तो, यह हमारी प्रतिबद्धता है और यह स्पष्ट है.'
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