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विश्व

तालिबान के पाले में जा रहे अफगान सैनिक, गनी को देना पड़ सकता है इस्तीफा

अफगानिस्तान सरकार
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अफगानिस्तान सरकार के एक समर्थक कमांडर के पाला बदलने के बाद तालिबान रणनीतिक तौर पर अहम समांगन प्रांत की राजधानी ऐबक पर भी कब्जा जमाने में कामयाब रहा है. इसके साथ ही आतंकी गुट उत्तरी अफगानिस्तान पर लगभग-लगभग अपना कब्जा जमा चुका है जिससे काबुल में राजनीतिक संकट गहरा गया है. 

(फोटो-Geety Images)

Taliban
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पिछले तीन दिनों में चार अन्य प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा करने के बाद तालिबान लड़ाकों ने बिना किसी प्रतिरोध का सामना किए बगैर ऐबक पर कब्जा जमा लिया है. इससे उत्तरी अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ पर तालिबान को हमला करने में बढ़त मिल गई है. तालिबान लड़ाकों ने सोमवार को अलग-अलग शहरों पर हमला किया, हालांकि वे अभी तक कोई खास पैठ नहीं बना पाए हैं. तालिबान की पश्चिमी अफगानिस्तान के मुख्य शहर हेरात में भी सरकारी सुरक्षा बलों से भिड़ंत हुई है. 

(फोटो-AP)

तालिबान
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अमेरिकी अखबार 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने सरकार के एक वरिष्ठ सदस्य के हवाले से कहा कि युद्ध के मैदान में मिल रही लगातार शिकस्त राष्ट्रपति अशरफ गनी का संकट बढ़ा सकती है. वह सलाहकारों की एक छोटी टोली पर भरोसा करते हैं और अक्सर प्रमुख मंत्रियों और सैन्य कमांडरों को बदलते रहते हैं. अशरफ गनी के सामने अब यह चुनौती है कि वह मौजूदा हालात से निपटते हैं अथवा किनारा कर लेते हैं. सरकार के इस वरिष्ठ सदस्य ने चेतावनी दी कि अगर तालिबान विरोधी सभी राजनीतिक ताकतें मुकाबले के लिए नई योजना के साथ एकजुट नहीं हुईं तो काबुल कुछ ही हफ्तों में आतंकी गुट के हाथों में जा सकता है और अशरफ गनी को इस्तीफा सौंपना पड़ सकता है.

(फोटो-AP)

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जो बाइडेन
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राष्ट्रपति जो बाइडेन के अप्रैल में अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी के ऐलान के बाद से तालिबान ने अपने हमले तेज कर दिए हैं. ट्रंप प्रशासन के साथ फरवरी 2018 में दोहा में अफगानिस्तान में शांतिपूर्ण समाधान को लेकर हुए समझौते के बावजूद तालिबान लगातार हमलावर है. दोहा समझौते में तालिबान ने हमला न करने का वादा किया था, लेकिन हकीकत इससे इतर है.  

(फोटो-AP)

तालिबान
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अफगानिस्तान में तालिबान के आक्रामक रवैये के आगे अमेरिकी प्रशिक्षित सैन्य बलों के जवान टिक नहीं पा रहे. अफगानिस्तान में तालिबान को कमांडो इकाइयों, सुरक्षा खुफिया एजेंसी के राष्ट्रीय निदेशालय और मुजाहिदीन सरदारों से संबद्ध मिलिशिया गुटों से कड़ी टक्कर मिल रही है.  

(फोटो-AP)
 

तालिबान
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मगर लंदन में पूर्व अफगान राजदूत और मुजाहिदीन कमांडर अहमद शाह मसूद के भाई अहमद वली मसूद कहते हैं, "यहां की भ्रष्ट सरकार और भ्रष्ट राजनेताओं की खातिर लड़ने को लेकर सेना के पास कोई प्रेरणा नहीं है. वे (सरकार समर्थक कमांडर या सरदार) गनी के लिए नहीं लड़ रहे हैं. उन्हें ठीक से खाना भी नहीं मिल रहा है. उन्हें क्यों लड़ना चाहिए? किस लिए? तालिबान के साथ उनका बेहतर संबंध है, यही वजह है कि वे इस तरह पाला बदल रहे हैं." अहमद वली मसूद के भाई अहमद शाह मसूद की 2001 में अल कायदा ने हत्या कर दी थी. 

(फोटो-AP)

अशरफ गनी
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बीते कुछ हफ्तों में देश के अधिकांश हिस्सों में सरकारी नियंत्रण ध्वस्त होने के बावजूद राष्ट्रपति गनी आशावादी बयान जारी कर रहे हैं. शनिवार को, जैसे ही तालिबान ने प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा करना शुरू किया, उन्होंने अटॉर्नी-जनरल के कार्यालय में सुधार कार्यक्रमों और फिर देश के लोक प्रशासन में डिजिटलीकरण सुधारों को लागू करने पर एक और बैठक की. राष्ट्रपति गनी ने सोमवार को सत्ता के गलियारे में दखल रखने वाले और मुजाहिदीन कमांडरों के साथ कई बैठकें कीं, और कहा कि तालिबान विरोधी मिलिशिया गुटों को सरकारी समर्थन मिलता रहेगा.

(फोटो-AP)
 

तालिबान
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निचले स्तर के कमांडर तो पहले ही तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर चुके हैं. लेकिन सोमवार को समांगन प्रांत के पूर्व सीनेटर और ताजिक जमीयत-ए-इस्लामी पार्टी के कदावर नेता आसिफ अज़ीमी ने पाला बदल लिया. अज़ीमी का यह कदम अन्य रसूखदार लोगों के विचार को प्रभावित कर सकता है. इसके नतीजे दूरगामी हो सकते हैं और अन्य प्रभावशाली लोग भी तालिबान की तरफ अपना रुख मोड़ सकते हैं.

(फोटो-Getty Images)
 

तालिबान
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अफगानिस्तान में जमीयत-ए-इस्लामी वही संगठन है जिसके प्रमुख अहमद शाह मसूद के नेतृत्व में, 2001 में तालिबान विरोधी अमेरिकी गठबंधन बना था. इस संगठन से जुड़े सरदार तालिबान के खिलाफ जंग में अमेरिका के साथ लड़े.

(फोटो-Getty Images)

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तालिबान
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वॉल स्ट्रीट जर्नल के संवाददाता यारोस्लाव ट्रोफिमोव, एलन कुलिसन और एहसानुल्ला अमीरिक ने समांगन में अज़ीमी से फोन पर संपर्क किया. अज़ीमी ने कहा कि जमीयत-ए-इस्लामी की स्थापना इस्लामिक शासन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी. उस समय जमीयत ने 1980 के दशक में सोवियत समर्थित शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी, लेकिन अमेरिका के साथ गठबंधन करने के बाद संगठन अपने मकसद से भटक गया.
 
(फोटो-Getty Images)

Taliban
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अज़ीमी ने तालिबान को समर्थन देने के अपने फैसले पर कहा, “हम एक इस्लामी सरकार चाहते हैं. यह सरकार अमेरिका की कठपुतली है. जो कोई भी इसके खिलाफ खड़ा होगा, हम उसका समर्थन करेंगे.” उन्होंने कहा कि उनका फैसला सैकड़ों लोग मानने को तैयार हैं.

(फोटो-Getty Images)

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