यरुशलम की अल अक्सा मस्जिद के पास गुरुवार की रात भड़की हिंसा के बाद से हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं. इजरायली सुरक्षाबलों और फिलिस्तीनियों के बीच हिंसा जारी है और इसमें अब तक 24 फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है. अतिवादी संगठन हमास के रॉकेट हमले के बाद इजरायली सुरक्षा बलों ने भी सोमवार को गजापट्टी पर हवाई हमले किए. सोशल मीडिया पर अल-अक्सा मस्जिद के भीतर इजरायली सुरक्षा बलों की कार्रवाई की तस्वीरें शेयर की जा रही हैं. इस्लामिक दुनिया से इस पर कड़ी प्रतिक्रिया आ रही है.
तुर्की, पाकिस्तान, सऊदी, ईरान और कई मुल्कों ने रमजान के पवित्र महीने में इस हिंसा को लेकर इजरायल पर निशाना साधा है. सऊदी अरब ने तो दो टूक कहा है कि वो यरुशलम को इजरायल में मिलाने की योजना को खारिज करता है. दूसरी तरफ, पाकिस्तान से भी तीखी प्रतिक्रिया आ रही है.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के शिक्षा मंत्री मुराद रास ने मंगलवार को एक भड़काऊ ट्वीट किया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, ''यह हैरान करने वाला है कि इजरायल वाले हथियारों से लैस रहते हैं जबकि फिलिस्तीन के लोग दशकों से पत्थरों का इस्तेमाल कर रहे हैं. फिलिस्तीनियों को मदद में जो पैसे मिलते हैं, वे कहां चले जाते हैं. वे अपनी रक्षा के लिए एक बंदूक भी क्यों नहीं खरीदते हैं? इन पर कब से बम फेंके जा रहे हैं और गोली मारी जा रही है पर ये 2021 में भी पत्थर ही चला रहे हैं.''
It is shocking to see that Israel has always been armed to the teeth but Palestinians are using Stones for decades. Where does all the Palestine support money go? Why can’t they buy a single gun to defend themselves. Being bombed and shot - 2021 still using stones???
— Murad Raas (@DrMuradPTI) May 11, 2021
हालांकि मुराद के इस ट्वीट की पाकिस्तान के लोगों ने आलोचना भी की है. पाकिस्तान की पत्रकार सादिया अहमद ने मुराद के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा, ''ये शिक्षा मंत्री की शिक्षा है.'' पाकिस्तानी पत्रकार ताहिर इमरान मियां ने लिखा है, ''देवियों और सज्जनों ये हमारे महापुरुष हैं. ऐसे तो हमारे शिक्षा मंत्री हैं. खुदा हमें बचाए.''
पाकिस्तान की सरकार की तरफ से भी इजरायल को लेकर तीखे बयान आ रहे हैं. मंगलवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ट्वीट कर कहा, ''मैंने अपने भाई तुर्की के विदेश मंत्री से फिलीस्तीन में अन्यायपूर्ण स्थिति को लेकर फोन पर बात की है. तुर्की ने पूरे मामले पर ओआईसी और यूएन की बैठक बुलाने का समर्थन किया है. इस्लाम के पहले किबला मस्जिद अल-अक्सा में उपद्रव, बच्चों की हत्या और फिलीस्तीनियों को जबरन निकाला जाना अस्वीकार्य है.''
Spoke to brother @MevlutCavusoglu on the increasingly dire and oppressive situation in Palestine. Fully support Turkey’s call to convene meeting of @OIC_OCI & UN. Storming 1st Qibla of Islam Masjid Al Aqsa, killing children and forcing evictions - absolutely unacceptable.
— Shah Mahmood Qureshi (@SMQureshiPTI) May 11, 2021
इससे पहले भी पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने फिलिस्तीनियों के समर्थन में कई ट्वीट किए थे. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी अल-अक्सा मस्जिद में हिंसा के लिए इजरायल की निंदा में ट्वीट किए थे. इमरान खान ने अपने एक ट्वीट में लिखा था, रमजान महीने में फिलीस्तीनियों पर इजरायली सुरक्षा बलों के हमले की कड़ी निंदा करता हूं, ये मानवता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों की भारी अवहेलना है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को फिलीस्तीनियों और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.
पाकिस्तान के सोशल मीडिया में भी इजरायल को लेकर गुस्से का इजहार किया जा रहा है. पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर #IsraeliAttackonAlAqsa टॉप ट्रेंड में है.
पाकिस्तान के इस्लामिक स्कॉलर तारिक जमील ने ट्वीट कर कहा है, ''रमजान के महीने में निहत्थे फिलिस्तीनियों पर पहले किबला में जुल्म निंदनीय है. अल्लाह तुम्हीं इस पवित्र शहर और जिन पर जुल्म ढाए जा रहे हैं, उनकी रक्षा करो. रमजान के पवित्र महीने में हमारे भाइयों और बहनों पर जुल्म हो रहा है.''
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने इस घटना को शर्मनाक करार दिया है. उन्होंने ट्वीट किया, ये शर्मनाक है कि फिलिस्तीनियों के प्रति इजरायल का भेदभावपूर्ण रवैया जारी है. शांति से नमाज अदा कर रहे मुस्लिमों पर घृणित हमले को मीडिया में टकराव का नाम दिया जा रहा है. मेरे (फिलिस्तीनी) भाइयों, आप उम्मीद ना छोड़ें.
पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन माजरी ने भी इस हमले को लेकर इजरायल की आलोचना की. माजरी ने अल अक्सा मस्जिद में नमाज अदा कर रहे मुसलमानों पर हमले को इजरायल समर्थित आतंकवाद कहा. उन्होंने ट्वीट किया, "रमजान महीने में इजरायली सुरक्षा बल मस्जिद की मीनारों तक पहुंच गए और अजान रोक दी. उसके बाद उन्होंने मस्जिद परिसर में पारंपरिक इफ्तार करने से रोक दिया. और अब ये सब!"