तुर्की और सीरिया में सोमवार तड़के एक के बाद एक दो शक्तिशाली झटके महसूस किए गए हैं. झटके इतने तेज थे कि कंपन से दोनों देशों में सैकड़ों इमारतें भरभराकर गिर गईं. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 7.8 थी. अब तक दोनों देशों में 360 लोगों की मौत हो गई. जबकि 100 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं.
अधिकारियों ने मौतों की संख्या और बढ़ने की आशंका जताई है. तुर्की में भूकंप स्थानीय समय के मुताबिक, सुबह 04:17 बजे आया. इसकी गहराई जमीन से 17.9 किलोमीटर अंदर थी.
भूकंप का केंद्र गाजियांटेप के पास था. यह सीरिया बॉर्डर से 90 किमी दूर स्थित है. ऐसे में सीरिया के कई शहरों में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए. बताया जा रहा है कि बॉर्डर के दोनों ओर भारी तबाही हुई है.
पिछले 24 वर्षों में आए भूकंपों की वजह से तुर्की में 18 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. सोमवार को यहां 7.8 तीव्रता के भूकंप के बाद 7.5 तीव्रता का दूसरा बड़ा भूकंप आया. इससे लोग खौफ में आ गए. दोनों भूकंपों ने तुर्की और सीरिया को कम से कम छह बार जोर-जोर से हिलाया.
सबसे बड़ा झटका 40 सेकेंड तक महसूस किया गया. इसी ने सबसे ज्यादा तबाही भी मचाई. असल में तुर्की चार टेक्टोनिक प्लेटों के जंक्शन पर बसा हुआ है. इसलिए किसी भी प्लेट में जरा सी हलचल पूरे इलाके को हिला देता है.
उधर, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान ने ट्वीट कर बताया कि भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में रेस्क्यू अभियान जारी है. भूकंप के दौरान कम से कम 6 बार झटके लगे. इरदुगान ने लोगों से अपील की कि वे क्षतिग्रस्त इमारतों में प्रवेश न करें.
सिविल डिफेंस के मुताबिक, सीरिया में तुर्की से लगे इलाकों में कई इमारतें गिर गईं. दमिश्क में भी भूकंप के झटकों के बाद लोग सड़कों पर आ गए. लेबनान में करीब 40 सेकेंड तक भूकंप के झटके महसूस किए गए.
बता दें, तुर्की की भौगोलिक स्थिति के चलते यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं. यहां 1999 में आए भूकंप में 18000 लोगों की मौत हो गई थी. अक्टूबर 2011 में आए भूकंप में 600 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी.
तुर्की में लोग भूकंप प्रभावित क्षेत्रों से निकलने की कोशिश में जुट गए हैं. ऐसे में सड़कों पर भारी जाम लग रहा है. ऐसे में रेस्क्यू टीमों को प्रभावित इलाकों में पहुंचने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. प्रशासन ने लोगों से सड़क पर न उतरने की अपील की है.