इजरायल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि एक इस्लामिक पार्टी और दक्षिणपंथी पार्टी सरकार बनाने के लिए साथ आए हैं. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को सत्ता से बाहर करने के मकसद ने बिल्कुल अलग विचारधाराओं वाली दो पार्टियों को साथ लाकर खड़ा कर दिया है. इजरायल की अरब आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी यूनाइटेड अरब लिस्ट यानी रा'म के नेता मंसूर अब्बास ने बुधवार रात को दक्षिणपंथी नेफ्टाली बेनेट को अपना समर्थन देने का ऐलान किया.
नेतन्याहू को संसद में बुधवार आधी रात तक बहुमत साबित करना था लेकिन उसके पहले येश एटिड पार्टी के नेता येर लेपिड ने राष्ट्रपति रुवेन रिवलिन को सूचित किया कि वो नई सरकार बनाने के लिए तैयार हैं. येर लेपिड ने राष्ट्रपति से कहा है कि इस सरकार में प्रधानमंत्री यामिना पार्टी के नेफ्टाली बेनेट होंगे. समझौते के अनुसार, बेनेट सितंबर 2023 तक प्रधानमंत्री रहेंगे. उसके बाद लेपिड प्रधानमंत्री बनेंगे और नवंबर 2025 तक रहेंगे. इस समझौते पर रा'म (Ra'am) पार्टी के नेता मंसूर अब्बास ने भी हस्ताक्षर किए. यह पहली बार होने जा रहा है जब इस्लामिक पार्टी सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा बनने जा रही है. मंसूर अब्बास की रा'म पार्टी को चुनाव में चार सीटें हासिल हुई थीं और वह सबसे आखिरी पायदान पर थी. इसके बावजूद, सरकार बनाने में उनकी भूमिका अहम है.
कई दशकों से अरब-इजरायली पार्टियां इजरायल की राजनीति में निर्णायक भूमिका से दूर रही हैं. एक तरफ, यहूदी पार्टियां उन्हें चरमपंथी करार देती हैं तो दूसरी तरफ अरब-इजरायली दलों में खुद को दोयम दर्जे का नागरिक समझने वाली और फिलिस्तीनियों का दमन करने वाली सरकार का हिस्सा बनने को लेकर असहजता रहती थीं.
हालांकि, अतीत के गिले-शिकवे भुलाकर 47 साल के मंसूर अब्बास इजरायल के संभावित प्रधानमंत्री नेफ्टाली बेनेट के साथ आए हैं. यामिना पार्टी के नेफ्टाली बेनेट को नेतन्याहू से भी ज्यादा दक्षिणपंथी माना जाता है और वह पूरे वेस्ट बैंक को इजरायल में मिलाने के हिमायती हैं. जबकि अब्बास की रा'म पार्टी की बुनियाद रूढ़िवादी इस्लामिक विचारधारा पर टिकी है. रा'म पार्टी के सांसद फिलिस्तीन के समर्थक हैं और पार्टी के चार्टर में फिलिस्तीनियों को उनके अधिकार लौटाने की बात कही गई है. यही नहीं, अब्बास की पार्टी यहूदीवाद को नस्लवादी और आक्रांताओं की विचारधारा के तौर पर देखती है.
हालांकि, पेशे से डेंटिस्ट रहे अब्बास, गठबंधन की नई सरकार में अरब नागरिकों के लिए हालात सुधरने की उम्मीद जता रहे हैं जो इजरायल की सरकारों की तरफ से उपेक्षा की शिकायत करते रहे हैं. अब्बास ने नेफ्टाली बेनेट और विपक्ष के नेता येर लेपिड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद कहा, "हमने इजरायल में राजनीतिक संतुलन साधने के लिए सरकार में शामिल होने का फैसला किया है."
अब्बास की पार्टी के बयान में कहा गया है कि गठबंधन को लेकर हुए समझौते में अरब कस्बों में अपराध पर लगाम लगाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए 16 अरब डॉलर से ज्यादा धनराशि आवंटित किए जाने का प्रावधान शामिल किया गया है. इसके अलावा, अरब गांवों में बिना परमिट के घर गिराने पर रोक और बेदूंइन गांवों को आधिकारिक मान्यता देने की भी बात शामिल है.
अब्बास ने कहा, मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि जब सरकार हमारे समर्थन पर बन रही है तो हम अरब समाज के लिए कई उपलब्धियां हासिल करने और सरकार के महत्वपूर्ण फैसले प्रभावित करने की स्थिति में भी होंगे.
अब्बास गैलिली समुद्र के नजदीक माघर गांव से आते हैं. यहां द्रूज, मुस्लिम और ईसाई रहते हैं. उनकी पार्टी इजरायल के इस्लामिक आंदोलन की राजनीतिक शाखा है जिसकी स्थापना 1971 में हुई थी. इसकी जड़ें मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़ी हुई हैं. गठबंधन के लिए हुए समझौते पर हामी भरने से पहले अब्बास ने इस्लामिक मूवमेंट की धार्मिक सलाहकार समिति शूरा काउंसिल की इजाजत ली. संसद में एलजीबीटी और अन्य मुद्दों पर भी शूरा काउंसिल ही पार्टी का मार्गदर्शन करती रही है.
अब्बास की पार्टी 23 मार्च को हुए चुनाव से पहले इजरायल के मुख्य अरब गठबंधन 'द जॉइंट लिस्ट' से अलग हो गई थी. अब्बास अपनी इस बात को मनवाने में नाकाम रहे थे कि अरब लोगों की भलाई के लिए नेतन्याहू और बाकी दक्षिणपंथी धड़ों के साथ मिलकर काम करना चाहिए. कई अरबी अब्बास के रुख की आलोचना कर रहे हैं. उनका कहना है कि अब्बास एक ऐसी सरकार में कैसे शामिल हो सकते हैं जो वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनियों को बेदखल कर सैन्य कब्जा करना चाहती है.
दक्षिणी इजरायल के राहत कस्बे के निवासी मूसा अल-जायदना ने कहा, कुछ नया प्रयोग करने के लिए अब्बास की तारीफ होनी चाहिए लेकिन अगर गाजा के साथ दूसरा संघर्ष छिड़ता है और वह सरकार में रहते हैं तो उन पर फिलिस्तीन के मुद्दे को पीछे छोड़ने का दबाव रहेगा.
जॉइंट लिस्ट पार्टी के सदस्य सामी शेहदेह ने कहा कि अब्बास की इस्लामिक पार्टी ने बेनेट और बाकी दक्षिणपंथी नेताओं के साथ जुड़कर अपने राजनीतिक व्यवहार को नाटकीय ढंग से बदल दिया है. उन्होंने इसे बड़ा अपराध करार दिया. उन्होंने कहा, "नेफ्टाली बेनेट येशा काउंसिल के प्रमुख थे. हम यहां बेहद खतरनाक लोगों के बारे में बात कर रहे हैं और उन्हें समर्थन देने का मतलब है कि मंसूर अब्बास अपने ही लोगों के हितों के खिलाफ दक्षिणपंथियों के साथ जाकर खड़े हो गए हैं."
मई महीने में इजरायली सुरक्षा बलों और फिलिस्तीनियों के बीच अल-अक्सा मस्जिद में संघर्ष छिड़ा तो अब्बास ने गठबंधन को लेकर बातचीत टाल दी थी. पुलिस ने अल-अक्सा मस्जिद में हुई हिंसा को लेकर कहा कि उसने दंगे रोकने के लिए कार्रवाई की जबकि अरब-इजरायलियों ने इसे मुस्लिमों पर हमले के तौर पर देखा. अब्बास की पार्टी के समर्थकों में इसे लेकर और भी ज्यादा नाराजगी थी.