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विश्व

जब अकेला अरब देशों पर भारी पड़ा था इजरायल, 6 दिन में बदल गया था मिडिल ईस्ट का नक्शा

ARAB-ISRAELI CONFLICT
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इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच खूनी संघर्ष शुरू होने से फिर जंग की आशंका जताई जाने लगी है. इस टकराव से दुनिया के शक्तिशाली देश चिंतित हैं. मौजूदा हालात को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र मध्य पूर्व के दूत टोर वेन्स्लैंड ने आगाह किया है कि हम पूरी तरह से युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं. 

(फोटो-AP)

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इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फिलिस्तीनियों के चरमपंथी गुट हमास को चेतावनी दी है कि उनके खिलाफ ऐसी कार्रवाई की जाएगी कि वे सपने में भी इजरायल पर हमला करने के बारे में नहीं सोचेंगे. इजरायल के राष्ट्रपति रियूवेन रिवलिन ने लोगों से सशस्त्र तरीके से चौकस रहने का आह्वान किया है. इजरायली सेना का दावा है कि सोमवार 10 मई से अब तक हमास ने एक हजार से ज्यादा रॉकेट हमले किए हैं. दुनिया के मुस्लिम मुल्क फिलिस्तीनियों के पक्ष में खड़े हैं और इजरायल के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग कर रहे हैं.

(फोटो-AP)

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मगर, सवाल है कि अगर इजरायल से युद्ध छिड़ता है तो क्या अरब वर्ल्ड उसका मजबूती से मुकाबला कर पाएगा. अतीत में इजरायल अरब दुनिया को जंग में मात दे चुका है. इजरायल और अरब देशों के बीच 1967 में हुए युद्ध ने मध्य पूर्व के भौगोलिक नक्शे को ही बदल दिया था.  

(फोटो-AP)  

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जून 1967 में इजरायल और अरब देशों मिस्र, सीरिया और जॉर्डन के बीच छह दिन चली जंग के नतीजे ऐतिहासिक रहे. इससे पहले इस युद्ध को टालने के लिए इजरायल और अरब देशों के बीच राजनयिक खींचतान चली लेकिन इसे टाला नहीं जा सका. इजरायल की वायुसेना के हमले ने मिस्र और उसके सहयोगी देशों की एयरफोर्स को तबाह कर दिया. इस जंग में इजरायल को जीत मिली और उसने मिस्र से सिनाई प्रायद्वीप, गाजा पट्टी, जॉर्डन से वेस्ट बैंक, पूर्वी यरुशलम और सीरिया से गोलान हाइट्स छीन लिया. छह दिन चला यह युद्ध संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप और संघर्षविराम समझौते के बाद खत्म तो हुआ, लेकिन तब तक बहुत कुछ बदल चुका था. 

(फोटो-Getty Images)

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असल में, 1948 में इजरायल के पड़ोसी अरब मुल्कों ने नए स्थापित हुए इस देश के अस्तित्व को मिटाने के लिए एक नाकाम हमला किया था. इनके बीच दूसरा बड़ा संघर्ष स्वेज संकट को लेकर 1956 में उभरकर सामने आया. उस दौरान इजरायल, ब्रिटेन और फ्रांस ने मिस्र के राष्ट्रपति की तरफ से स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण किए जाने के बाद मिस्र पर धावा बोल दिया था.

(फोटो-Getty Images)

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अरब देशों से संघर्ष में 1948 में यहूदियों ने अपनी पवित्र भूमि पर कब्जा कर लिया. फिलिस्तीनियों ने 1948 की इस घटना को अल-नकबा अथवा विनाश करार दिया. करीब सात लाख फिलिस्तीनियों को उनकी जमीन से बेदखल करके इजरायल अस्तित्व में गया और उन फिलिस्तीनियों को कभी लौटने नहीं दिया गया. 1950 के दशक के अंत में और 1960 के दशक की शुरुआत में मध्य पूर्व में हालात काफी हद तक शांत रहे. लेकिन भीतर ही भीतर राजनीतिक हलचल बनी रही.

(फोटो-Getty Images)

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वहीं, कई इजरायली इस खतरे को महसूस करते रहे कि उन्हें आने वाले दिनों में मिस्र और अन्य अरब देशों से युद्ध का सामना करना पड़ सकता है. सीमा को लेकर लगातार जारी विवादों के चलते अरब देशों और इजरायल के बीच जंग छिड़ी. 1960 के दशक के मध्य तक, सीरिया-समर्थित फिलिस्तीनी छापामारों ने सीमा पार इजरायल पर हमले शुरू कर दिए थे, ताकि इजरायली रक्षा बलों को उकसाया जा सके. 

(फोटो-Getty Images)
 

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अप्रैल 1967 में इजरायल और सीरिया में संघर्ष बढ़ गया. इसमें सीरिया के छह विमान नष्ट हो गए थे. अप्रैल के हवाई युद्ध के मद्देनजर, सोवियत संघ ने मिस्र को यह खुफिया जानकारी दी कि इजरायल अपने सैनिकों के साथ सीरिया की उत्तर सीमा की तरफ बढ़ रहा है. रूस ने मिस्र को आगाह किया कि इजरायल जंग की तैयारी में है. सोवियत संघ की यह सूचना गलत साबित हुई लेकिन इसने मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर को कार्रवाई के लिए उकसा दिया था.

(फोटो-Getty Images)

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नासिर ने अपने सीरियाई सहयोगियों के साथ मिस्र की सेना को सिनाई जाने का आदेश दिया. मिस्त्र ने संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षक बलों को बाहर कर दिया गया जो एक दशक से इजरायल से उनकी सीमा की सुरक्षा कर रहे थे. बाद के दिनों में नासिर का सब्र जवाब देता रहा. 22 मई 1967 को उन्होंने तिरान के जलडमरूमध्य से इजरायल के समुद्री मार्ग पर प्रतिबंध लगा दिया. यह क्षेत्र लाल सागर और अकाबा की खाड़ी को जोड़ने वाला समुद्री मार्ग. इसके एक हफ्ते बाद उन्होंने जॉर्डन के सुल्तान शाह हुसैन के साथ एक रक्षा समझौता भी किया. 

(फोटो-Getty Images)

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मध्य-पूर्व में हालात बिगड़ने के साथ ही अमेरिका के राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन ने दोनों पक्षों को आगाह किया और कहा कि कोई भी पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ पहली गोली नहीं दागेगा. साथ ही उन्होंने जलडमरूमध्य का रास्ता तिरान को फिर से खुलवाने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयास का समर्थन किया. 

(फोटो-Getty Images)

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अमेरिकी प्रयास की यह योजना कभी अमल में नहीं आ पाई, और जून 1967 की शुरुआत में इजरायली नेताओं ने अरब की सेना से मुकाबले की वकालत करनी शुरू कर दी...5 जून 1967 को इजरायल की वायुसेना ने अपना ऑपरेशन फोकस शुरू किया और मिस्र के हवाई ठिकानों पर अटैक कर दिया. इजरायल के करीब 200 लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी और मिस्र की वायुसेना के ठिकानों को निशाना बनाया. 

(फोटो-Getty Images)

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इजरायल के इस हमले से मिस्र भौचक्का रह गया. इजरायल ने मिस्र के 18 विभिन्न ठिकानों को निशाना बनाया और मिस्र की वायुसेना को 90 फीसदी तक तबाह कर दिया. इसके बाद इजरायल ने अपने हमले का रुख जॉर्डन, सीरिया और इराक की वायु सेना की तरफ किया और उन्हें तबाह कर दिया.

(फोटो-Getty Images)
 

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5 जून 1967 की शाम तक इजरायली वायुसेना ने मध्य पूर्व के आसमान पर अपना कब्जा जमा लिया था. इजरायल ने पहले ही दिन करीब करीब जंग में जीत हासिल कर ली थी लेकिन जमीन पर यह युद्ध अगले कई दिनों तक जारी रहा. मिस्र में जमीनी युद्ध 5 जून से शुरू हुआ था. हवाई हमलों के साथ, इज़रायली टैंक और सेना सीमा पार कर सिनाई प्रायद्वीप और गाजा पट्टी में घुस गई.

(फोटो-Getty Images)

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मिस्र की सेना भी पूरी बहादुरी से लड़ी. लेकिन बाद में मिस्र के फील्ड मार्शल अब्देल हकीम आमेर की तरफ से मोर्चे से पीछे हटने के आदेश सेना के जवान खफा हो गए. अगले कई दिन तक इजरायली सेना बम बरसाती रही जिसमें काफी लोग हताहत हुए. जॉर्डन ने छह दिन चले इस जंग में इजरायल की जीत को झूठा करार दिया. उसने यरुशलम में इजरायली ठिकानों पर गोलीबारी शुरू कर दी. वहीं इज़रायल ने पूर्वी यरुशलम और वेस्ट बैंक पर जॉर्डन के विनाशकारी पलटवार का जवाब दिया. 7 जून को इजरायली जवानों ने यरुशलम की पवित्र धरती पर कब्जा जमा लिया और वेस्टर्न वॉल पर प्रार्थना करके अपनी जीत का जश्न मनाया.

(फोटो-Getty Images)

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जंग के अंतिम चरण में इजरायली सेना 9 जून 1967 को सीरिया की उत्तरी सीमा पर पहुंच गई. भारी बमबारी के बाद इजरायल ने इस इलाके पर कब्जा जमा लिया जिसे गोलन हाइट्स कहा जाता है. 10 जून 1967 संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद संघर्षविराम का समझौते के साथ यह जंग खत्म हुई. लेकिन इस युद्ध ने मध्यपूर्व का नक्शा बदल दिया. अपनी हार से अरब के नेता आश्चर्यचकित थे. मिस्र के राष्ट्रपति नासिर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. 

(फोटो-Getty Images)
 

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