रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए बेलारूस के नेता अलेक्जेंडर लुकाशेंको के एक कदम के चलते एक नई चुनौती खड़ी हो गई है. पश्चिमी देशों और अमेरिका की संभावित नाराजगी के चलते पुतिन के लिए अपने दोस्त लुकाशेंको का बचाव करना मुश्किल हो रहा है. कहा जाता है कि मानवाधिकार मामलों को लेकर अलेक्जेंडर लुकाशेंको पहले से ही पश्चिमी देशों के कठोर प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं लेकिन उन पर इसका असर नहीं दिखा, क्योंकि उन्हें व्लादिमीर पुतिन का समर्थन हासिल है. मगर इस बार खुद पुतिन के लिए सिरदर्द वाली स्थिति पैदा हो गई है.
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असल में, बीते रविवार 23 मई को रायनएयर की फ्लाइट को रोककर जबरन बेलारूस की राजधानी मिंस्क में उतारने और इस पर सवार सरकार के आलोचक पत्रकार रोमन प्रोत्साविच की गिरफ्तारी को लेकर पूरे यूरोप में भारी नाराजगी है. यह विमान बेलारूस के हवाई क्षेत्र से होते हुए यूनान से लिथुएनिया जा रहा था. इसी दौरान बेलारूस ने अपना लड़ाकू विमान भेजकर इस नागरिक विमान को रोक लिया.
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बम होने की आशंका का दावा करते हुए बेलारूस के फाइटर जेट ने विमान के पायलट को अपना आदेश मानने के लिए मजबूर कर दिया. यूरोपीय संघ और अमेरिका ने इस घटना की निंदा की है. कई देशों ने बेलारूस से आने-जाने वाली उड़ानों पर पाबंदी लगा दी है. यूरोप के 27 देशों ने एक साथ पाबंदी लगाने का फैसला किया है जिसका अमेरिका ने स्वागत किया है.
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मगर बेलारूस के सत्तावादी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको की यह मनमानी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए सिरदर्द बन गई है. असल में, अलेक्जेंडर लुकाशेंको और पुतिन का एक दूसरे के प्रति झुकाव है. हालांकि दोनों देशों के हित अलग-अलग हैं. फिर भी दोनों में दोस्ती है. पुतिन बेलारूस पर अपना प्रभाव जमाना चाहते हैं तो बेलारूस एक मजबूत नेता की छवि की छांव को अपने लिए सुरक्षा कवच समझता है. 95 लाख नागरिकों वाला बेलारूस पुतिन का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है, लेकिन अब यह उनके लिए सिरदर्द बनता दिख रहा है.
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दरअसल, कुछ दिनों में पुतिन की अगले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ पहली आमने-सामने बैठक होने वाली है. लेकिन बेलारूस की हरकत से अमेरिका सहित अधिकतर पश्चिमी देश उससे नाराज हैं. ऐसे में पुतिन को यह तय करना होगा कि वो लुकाशेंको का समर्थन जारी रखने के लिए कितना आगे बढ़ सकते हैं. रूस, अमेरिका से अपने रिश्तों को सुधारना चाहता है, लेकिन बेलारूस की घटना के चलते पुतिन के लिए एक नया संकट खड़ा हो गया है. पुतिन के लिए यह सम्मान का मामला इसलिए भी हो गया है क्योंकि खुद रूसी अफसरों ने दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करके के लिए अमेरिका से संपर्क साधा था.
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न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक रूसी अधिकारियों और क्रेमलिन समर्थक मीडिया संस्थानों ने विमान हाईजैक करने की घटना में बेलारूस का पक्ष लिया है. रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने पश्चिमी देशों पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि दूसरे देशों में हुई इसी तरह की घटनाओं को लेकर अमेरिका और यूरोपीय देशों की प्रतिक्रिया बहुत अलग रही है.
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मगर बेलारूस में लुकाशेंको के विरोधियों का मानना है कि रूस सिर्फ दिखावे का समर्थन कर रहा है. बेलारूस की निर्वासित विपक्षी नेता स्वेतलाना तिखानोव्स्काया की वरिष्ठ सलाहकार फ्रानक वियाकोरका ने फोन पर कहा, "क्रेमलिन में रूसी विदेश मंत्रालय में मुझे लगता है कि लोग लुकाशेंको को बर्दाश्त नहीं कर सकते. लेकिन चूंकि कोई और रूसी समर्थक नहीं है, इसलिए उनके पास लुकाशेंको को अभी साथ रखने की मजबूरी है."
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सेन बेन सासे, आर-नेब जैसे कुछ पश्चिमी नेताओं ने रायनएयर घटना को लेकर बेलारूस पर प्रतिबंध लगाने का रूस से आह्वान किया है. लेकिन लुकाशेंको के बेलारूसी विरोधी और आलोचक हकीकत को और अधिक जटिल बता रहे हैं. बेलारूस का विपक्ष पश्चिमी देशों से मास्को के बजाय मिंस्क (बेलारूस की राजधानी) पर फोकस करने का आग्रह कर रहा है. विपक्ष का कहना है कि लुकाशेंको को पुतिन की कठपुतली के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.
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इस विचार को खारिज करते हुए कि बेलारूस के नेता ने रयानएयर विमान की जबरन लैंडिंग से पहले रूस से अनुमति मांगी होगी, वियाकोरका ने कहा कि लुकाशेंको किसी की नहीं सुनते हैं. "वह बिल्कुल अप्रत्याशित, बल्कि स्वच्छंदी शख्स है. अपने मन की करते हैं चाहे उसका नतीजा कुछ भी हो."
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