ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने भारतीय कंपनी भारत बायोटेक से कोरोना वैक्सीन की खरीद में गड़बड़ी के आरोपों पर सफाई दी है. उन्होंने गुरुवार को कहा कि ब्राजील ने भारतीय कंपनी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के लिए कभी भुगतान नहीं किया और न ही उसे वैक्सीन की कोई डोज मिली है. ऐसे में भ्रष्टाचार कहां हुआ है?
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संघीय अभियोजक कार्यालय और एक विशेष सीनेट समिति भारत बायोटेक के कोवैक्सीन के सौदे की जांच कर रही है. आरोप लगाया जा रहा है कि ब्राजील सरकार ने फाइजर की किफायती वैक्सीन के बजाय भारतीय कंपनी की महंगी वैक्सीन का सौदा किया. फाइजर ने 2020 में ब्राजील को किफायती वैक्सीन मुहैया कराने का प्रस्ताव दिया था जिसे ब्राजील सरकार ने नजरअंदाज कर दिया.
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रॉयटर्स के मुताबिक, राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने कहा, 'हमने कोवैक्सीन की खरीद पर एक प्रतिशत भी खर्च नहीं किया है. हमें कोवैक्सीन की एक भी डोज नहीं मिली है, तो यह किस प्रकार का भ्रष्टाचार है?'
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राष्ट्रपति ने वादा किया कि अगर उनकी सरकार में कोई भ्रष्टाचार पाया जाता है तो वह कार्रवाई करेंगे. साथ ही ब्राजील के राष्ट्रपति ने भारतीय कंपनी के पक्ष में अपना रुख भी जाहिर किया. बोल्सोनारो ने कहा कि भारत के टीकों की कीमत मोटे तौर पर अन्य देशों के अनुरूप ही है. ब्राजील के राष्ट्रपति ने कहा कि संघीय स्वास्थ्य प्राधिकरण अन्विसा की मंजूरी के बाद ही सरकार हमेशा टीकों की खरीद करती रही है.
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इससे पहले, ब्राजील स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने आरोप लगाया था कि कोवैक्सीन की खरीद को लेकर आंतरिक दबाव को लेकर उन्होंने राष्ट्रपति को अलर्ट किया था. राष्ट्रपति ने इस मामले में पुलिस प्रमुख से बात करने को भी कहा था.
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बहरहाल, ब्राजील में Covaxin को अभी तक सार्वजनिक उपयोग के लिए हरी झंडी नहीं मिली है. लेकिन इसे एक ब्राज़ीलियाई कंपनी के माध्यम से तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति मिली गई है. स्वास्थ्य अधिकारी लुइस रिकार्डो मिरांडा ने अभियोजकों को बताया कि राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एडुआर्डो पज़ुएलो के सहयोगी एलेक्स लियाल मारिन्हो ने उन पर वैक्सीन की खरीद को लेकर दबाव डाला था.
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वैक्सीन सौदे की जांच से बोल्सोनारो के लिए असहज करने देने वाली स्थिति खड़ी कर दी है. सवाल उठ रहा है कि उन्होंने मिरांडा के आरोपों पर क्या कदम उठाए? पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एडुआर्डो पज़ुएलो भी सवालों के घेरे में हैं. ब्राजील में कोरोना महामारी से निपटने के तौर तरीकों की जांच चल रही है.
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गड़बड़ी के आरोपों के बाद भारत बायोटेक ने भी बुधवार को बयान जारी किया था. कंपनी का कहना था कि उसने अभी तक ब्राजील को वैक्सीन की आपूर्ति नहीं की है. कंपनी सभी सरकारों के साथ अपने मूल्य निर्धारण में सुसंगत और पारदर्शिता बरतती है.
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ब्राजील का संघीय अभियोजक कार्यालय बायोटेक के कोवैक्सीन के सौदे में अनियमितताओं की जांच कर रहा है. अटॉर्नी जनरल के अनुसार, समझौते के तहत मंत्रालय को ब्राजील में भारत बायोटेक के प्रतिनिधि प्रेसिसा मेडिकैमेंटोस को 15 डॉलर प्रति डोज के हिसाब से 32 करोड़ डॉलर का भुगतान करना होगा. इस समझौते पर फरवरी में हस्ताक्षर किए गए थे.
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