पाकिस्तान के पूर्व आर्मी जनरल आसिम बाजवा को पिछले साल चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना सीपीईसी (चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर) की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. लेकिन पाकिस्तान के पूर्व आर्मी जनरल आसिम बाजवा के भ्रष्टाचार में फंसने की वजह से इमरान खान की सरकार घिर गई है. पाकिस्तान में अपनी सबसे अहम परियोजना सीपीईसी और उसके चेयरमैन आसिम बाजवा को लेकर खड़े हो रहे सवालों के बीच चीन की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं.
इमरान खान के स्पेशल असिस्टेंट और सीपीईसी के चेयरैमन आसिम बाजवा पर आरोप है कि उन्होंने भ्रष्टाचार के जरिए अपने परिवार के नाम पर अमेरिका में एक पिज्जा चेन के जरिए अरबों डॉलर का कारोबार खड़ा कर लिया है. आसिम बाजवा पर ये गंभीर आरोप एक स्वतंत्र वेबसाइट फैक्ट फोकस में छपी रिपोर्ट में लगाए गए थे. वेबसाइट के को-फाउंडर और पत्रकार अहमद नूरानी ने ट्विटर पर लिखा कि रिपोर्ट छापने के बाद से उन्हें रॉ एजेंट और देशद्रोही कहा जा रहा है. पत्रकार ने बताया है कि उन्हें जान से मारने की धमकियां भी मिल रही हैं. सीपीईसी की बागडोर पाकिस्तान की सेना के हाथ में ही है और सेना पर सवाल उठाना यहां इतना आसान नहीं है. पाकिस्तान की सरकार और ताकतवर सेना पुरजोर कोशिश कर रही है कि आसिम सलीम बाजवा को लेकर लगे भ्रष्टाचार के आरोप मीडिया कवरेज में ना आ पाएं.
बाजवा को जब अप्रैल महीने में इमरान खान का विशेष सहायक नियुक्त किया गया तो उन्हें अपनी संपत्ति का ब्योरा पेश करना था. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बाजवा ने अमेरिकी पिज्जा चेन पापा जॉन्स के कारोबार में अपनी पत्नी की हिस्सेदारी घोषित नहीं की. रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना में कद बढ़ने के साथ-साथ आसिम बाजवा की संपत्ति में भी इजाफा होता गया.
पाकिस्तानी सेना के पूर्व प्रवक्ता रहे आसिम बाजवा ने कहा कि उन पर लगे आरोप उनके और उनके परिवार के खिलाफ दुष्प्रचार की कोशिश है. इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने भी ट्विटर पर इन आरोपों को सीपीईसी पर हमला करार दिया और कहा कि सोशल मीडिया पर विदेश से बैठकर भारतीय एजेंडे को पूरा करने की कोशिश की जा रही है.
इमरान खान की पार्टी ने इन आरोपों को लेकर #IndianProxiesAttackCPEC के साथ एक मीडिया कैंपेन भी चला दिया. इसे कई राष्ट्रवादी टीवी चैनलों का भी समर्थन मिला. एक तरफ सोशल मीडिया पर इस तरह के कैंपेन चलाए जा रहे थे तो दूसरी तरफ मुख्यधारा की मीडिया में बाजवा के खिलाफ लगे आरोपों को लेकर कवरेज दबाने की कोशिश हुई.
अमेरिकी थिंक टैंक विल्सन सेंटर में सीनियर साउथ एशिया एसोसिएट माइकल कुगलमैन कहते हैं, चीन और पाकिस्तान का एक ही मकसद है कि कैसे भी हो, इन आरोपों को आम लोगों की नजरों से दूर रखा जाए. जब तक मीडिया में इसे लेकर ज्यादा चर्चा नहीं होती है, दोनों देशों की सरकारें इन्हें साजिश करार देकर मुद्दे को रफा-दफा कर सकती हैं. लेकिन अगर इन पर ज्यादा लोगों की नजरें पड़ने लगी तो फिर ये आरोप सीपीईसी के लिए ज्यादा नुकसानदेह साबित हो सकते हैं और चीन-पाकिस्तान दोनों के लिए बड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. सीपीईसी में पहले भी कई घोटाले होने की खबरें आती रही हैं.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज ने मंगलवार को इमरान खान की सरकार को आड़े हाथों लिया. मरियम ने कहा कि बाजवा पर अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित करने को लेकर लगे आरोपों को सीपीईसी पर हमला बताया जा रहा है.
मरियम ने कहा कि सीपीईसी के फाउंडर नवाज शरीफ पाकिस्तान में 60 अरब डॉलर का चीनी निवेश लेकर आए थे. लेकिन जब उनके पिता ने यूएई में फैमिली बिजनेस से पैसा लेने की बात का संपत्ति ब्योरे में ऐलान नहीं किया तो सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए कह दिया.
भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच गुरुवार को एक टीवी इंटरव्यू में आसिम बाजवा ने कहा कि वह इमरान खान के विशेष सहायक के पद से इस्तीफा दे देंगे लेकिन सीपीईसी अथॉरिटी के चेयरमैन बने रहेंगे. बाजवा ने कहा कि वह अपनी पूरी ऊर्जा सीपीईसी पर लगाएंगे क्योंकि वहां ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. हालांकि, आलोचकों का कहना है कि बाजवा ने ये फैसला इसलिए लिया है ताकि उनके और उनके परिवार के विशाल कारोबार साम्राज्य को लेकर और सवाल ना खड़े हों. अगर वह कैबिनेट की पोजिशन नहीं छोड़ेंगे तो इसकी जांच-पड़ताल होती रहेगी. हालांकि, इमरान खान ने बाजवा के इस्तीफे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है और कहा है कि वह पूर्व जनरल के परिवार के 70 मिलियन डॉलर के कारोबार को लेकर दिए गए स्पष्टीकरण से संतुष्ट हैं.
पाकिस्तान के विपक्षी दल चीन और पाकिस्तान की दोस्ती का तो खुलकर समर्थन करते हैं लेकिन सीपीईसी अथॉरिटी के गठन और बाजवा को इसका प्रमुख बनाए जाने के खिलाफ रहे हैं. कुगलमैन कहते हैं, कई पाकिस्तानी बाजवा के खिलाफ लगे आरोपों को भारत की साजिश के तौर पर देखने लगे हैं और वे अपनी सरकार के समर्थन में उतर आए हैं. पाकिस्तान में बाजवा पर लगे आरोपों को भारत की चाल के तौर पर पेश किया जा रहा है. ऐसा दिखाया जा रहा है कि चूंकि भारत के चीन के साथ संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं इसलिए भारत चीन और पाकिस्तान की दोस्ती को तोड़ने की कोशिश कर रहा है. इस तरह की परिस्थिति में पाकिस्तान की सरकार जिम्मेदारी से भागते हुए पूरा दोष आसानी से बाहरी ताकतों पर मढ़ सकती है.
दिलचस्प बात ये है कि इमरान खान कभी खुद सीपीईसी के आलोचक थे. जब वह विपक्ष में थे और उनके पूर्ववर्ती नवाज शरीफ ने इस परियोजना को लॉन्च किया तो उन्होंने इसे कर्ज का जाल करार दिया था. अमेरिका भी चीन के कर्ज को डेब्ट ट्रैप ही कहता है. इमरान खान की पार्टी ने शरीफ और विपक्षी दलों के नेताओं पर सीपीईसी में करप्शन करने को लेकर कई आरोप लगाए. हालांकि, सत्ता में आते ही इमरान खान के सुर बदल गए. जब पिछले साल अगस्त महीने में भारत ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किया तो पाकिस्तान को चीन की और भी ज्यादा जरूरत महसूस हुई. इमरान खान ने अक्टूबर में चीन का दौरा किया तो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कश्मीर मुद्दे को यूएनएसी में उठाने का वादा किया. हालांकि, चीन ने पाकिस्तान से सीपीईसी की धीमी रफ्तार को लेकर शिकायत की थी. इस दौरे के तुरंत बाद ही बाजवा को सीपीईसी अथॉरिटी का चेयरमैन घोषित कर दिया गया.
चीन का कूटनीतिक समर्थन पाकिस्तान के लिए इसलिए भी जरूरी हो गया था क्योंकि उसके प्रमुख सहयोगी सऊदी अरब ने कश्मीर पर उसका नहीं बल्कि भारत का साथ दिया. सऊदी अरब की वजह से ही पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर 57 सदस्यीय इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की बैठक बुलाने में नाकाम रहा. इसी झल्लाहट में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक इंटरव्यू में कह दिया कि वह कश्मीर मुद्दे पर सऊदी अरब से अलग जाकर मुस्लिम देशों की बैठक बुलाएंगे. इन देशों में सऊदी के दुश्मन तुर्की और ईरान भी शामिल थे. कुरैशी के बयान के बाद सऊदी अरब नाराज हो गया और उसने पाकिस्तान से 3.2 अरब डॉलर का कर्ज चुकाने के लिए कह दिया. पाकिस्तान ने चीन की मदद से सऊदी को 1 अरब डॉलर का कर्ज वापस कर दिया. बाद में सऊदी को मनाने के लिए पाकिस्तान ने अपने सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को भेजा.
20 अगस्त को दिए इंटरव्यू में इमरान खान ने सऊदी से किसी तरह के मनमुटाव से इनकार किया लेकिन ये भी स्पष्ट कहा कि अब चीन के साथ ही पाकिस्तान का भविष्य है. इमरान खान ने कहा, चीन ही एक ऐसा देश है जो हर अच्छे और बुरे वक्त में पाकिस्तान के साथ राजनीतिक रूप से साथ खड़ा रहा है. चीन को भी पाकिस्तान की बहुत जरूरत है.
21 अगस्त को कुरैशी और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की मुलाकात के बाद जो बयान जारी किया गया, उसमें इमरान खान के इस बयान की झलक साफ दिखी. राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रुभता की सुरक्षा में सहयोग देने के लिए चीन को शुक्रिया अदा करते हुए पाकिस्तान ने कहा कि चीन के हितों से जुड़े और उसके संवेदनशील मुद्दों जैसे ताइवान, शिनजियांग, तिब्बत और हॉन्ग कॉन्ग को लेकर वो हमेशा चीन के साथ खड़ा रहेगा.
पाकिस्तान की सरकार ने इससे पहले वीगर मुसलमानों पर आधिकारिक तौर पर चीन का समर्थन नहीं किया था. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से जब भी शिनजियांग में वीगर मुसलमानों की प्रताड़ना को लेकर सवाल पूछा जाता था, वो इस मामले से अनजान बन जाते थे.
हालांकि, चीन और पाकिस्तान के बीच गहराती दोस्ती के बीच बाजवा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगना दोनों देशों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. माइकल कुगेलमैन कहते हैं, भले ही पहली नजर में ये एक घरेलू मुद्दा हो लेकिन पाकिस्तान में चीन की परियोजना सीपीईसी के प्रमुख पर ऐसे गंभीर आरोप लगते हैं तो ये रणनीतिक रूप से अहम परियोजनाओं के लिए चुनौतियां खड़ी कर सकता है.