बचपन के दिन यूं तो ख्वाब से ही होते हैं. बचपन में हम कई ऐसी तमन्नाएं करते हैं जिन्हें उस वक्त पाना बड़ा मुश्किल होता है. जब हम बड़े हो जाते हैं तो बचपन के उन सपनों पर हंसी आती है और कई दफा तो झेंप से आंखें झुक जाती हैं. हम आज आपको बताते हैं बचपन के उन Dream Jobs के बारे में जिन्हें बड़े होने के बाद आप कभी नहीं करना चाहेंगे.
यह बचपन से जवानी की ओर का एक ऐसा ख्वाब है जिसके बारे में इंसान किसी को बताता तक नहीं है. महिलाओं के अंतर्वस्त्रों की दुकान लगाने वालों के साहस पर रीझने का मन करता था. ग्राहकों को इतने करीब से जानने वाले इन दुकानदारों में शामिल होने की हसरत उस उम्र का बड़ा ख्वाब था.
जिस उम्र में लड़कियों से आंखें मिलाने तक में हम मारे लाज सकुचाए रहते थे, एक अधेड़ उम्र के अंकल को देखते ही मोहल्ले भर की महिलाओं के चेहरे खिल जाया करते थे. ये अंकल थे चूड़ी वाले. महिलाओं के हाथ अपने हाथों में लेकर चूड़ियां पहनाते थे. मुस्कुराहट बांटने के इस धंधे में हम भी शरीक होना चाहते थे तो क्या बुरा चाहते थे.
तस्वीर देखकर धोखा मत खाइएगा, मैं बात कर रहा हूं गर्ल्स हॉस्टल के गार्ड्स की. जिस बिल्डिंग के चक्कर काटने में हमारे दिन तमाम होते थे उसी बिल्डिंग के अंदर विराजमान होने वाले गार्ड्स को देखकर छाती धक-धक करने लगती थी.
जब हम कन्याओं की विस्तृत कल्पना मात्र से सिहर उठते थे, हमारे ही मोहल्ले के सलीम भाई के पास उनके भूगोल का एक्युरेट डाटा मौजूद होता था. लेडीज टेलर होने का जो लुत्फ उन्होंने उठाया था उससे हम नौनिहालों में काफी उम्मीद जगी. हम भी उनके कपड़े सिलना चाहते थे.
चेहरा है या चांद खिला है, जुल्फ घनेरी शाम है क्या. हम जब पड़ोस की पिंकी को 'होंठ है गुलाब' जैसे टाइप कविताएं लिख रहे थे मेकअप वाले भैया उसके होठों में गुलाबी रंग भर रहे थे. जी जल के कोयला होता और मन में यही संकल्प जगता कुछ करिए कुछ करिए नस-नस मेरी खौले.
किसी लड़की का हाथ पकड़ने के ख्याल मात्र से बदन में बिजली दौड़ जाती थी. उस कमसिन उम्र में मेहंदी वाले भाई साहब के हाथों में अपना हाथ थमाने को बेचैन लड़कियों की कतार देखकर मन में रणभेरी बजी, गुरु जिंदगी में कुछ करना है तो यही करना है.
समंदर में नहा के और भी नमकीन हो गई हो...बचपन से जवानी की तरफ भाग रही उम्र में कई बार ऐसे हसीन ख्याल आते थे कि काश ऐसी नौकरी मिल जाए जहां तरणताल माने स्विमिंग पूल में तैर रही जलपरियों के साथ हमको भी लहराने का मौका मिले. इस लिहाज से स्विमिंग ट्रेनर दुनिया का सबसे खुशनसीब आदमी लगता था.