लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद अभी सुलझा भी नहीं है कि चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा पेश कर दिया है. अरुणाचल प्रदेश में चीन के एक नया गांव बसाने की रिपोर्ट्स को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि निर्माण कार्य एक सामान्य गतिविधि है क्योंकि ये उसके "अपने क्षेत्र में" किया जा रहा है.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने मीडिया ब्रीफ्रिंग में कहा, "चीन-भारत की सीमा के पूर्वी सेक्टर या जैंगनान (दक्षिणी तिब्बत) को लेकर चीन की स्थिति स्पष्ट है. हमने कभी भी चीनी क्षेत्र में अवैध रूप से बनाए गए कथित अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी. चीन का अपने क्षेत्र में निर्माण कार्य करना पूरी तरह से संप्रुभता का मामला है. चीन की अपने क्षेत्र में विकास और निर्माण से जुड़ीं गतिविधियां बिल्कुल सामान्य बात है."
भारत-चीन के बीच सीमा विवाद 3488 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) को लेकर है. चीन एलएसी को मान्यता नहीं देता है और करीब 90,000 वर्गकिलोमीटर की जमीन पर अपना दावा पेश करता है. बीजिंग अरुणाचल प्रदेश को अपने मानचित्र में दक्षिणी तिब्बत दिखाता है. विश्लेषकों का कहना है कि चीन निर्माण कार्य के जरिए इस इलाके पर अपने दावे को और मजबूत करना चाहता है.
एक मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में 101 घरों का एक नया गांव बना दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह गांव भारत की वास्तविक सीमा के 4.5 किलोमीटर अंदर बना हुआ है. रिपोर्ट्स में कुछ सेटेलाइट इमेजेस के हवाले से कहा गया है कि इस गांव को नवंबर 2019 से नवंबर 2020 के बीच बनाया गया है. इसे लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी गुरुवार को बयान जारी किया.
हालांकि, विदेश मंत्रालय ने चीन के गांव बनाने की खबर का खंडन नहीं किया और कहा कि भारत सरकार देश की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले सभी घटनाक्रमों पर नजर रख रही है. इसके साथ ही अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है.
भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने भारत के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन के निर्माण कार्य पर हालिया रिपोर्ट देखी है. बयान में कहा गया है, चीन पिछले कई सालों से अरुणाचल प्रदेश के बॉर्डर से सटे इलाकों में इस तरह के ढांचे के निर्माण कर रहा है. इसके जवाब में भारत सरकार ने भी बॉर्डर पर रोड, पुल आदि सहित कई सारे इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किए हैं, जिससे बॉर्डर के पास रह रहे स्थानीय लोगों को मदद मिली है.
चीन की सरकारी मीडिया ने भी इसे लेकर कई आर्टिकल प्रकाशित किए हैं. चीन की सरकारी मीडिया ने कहा कि गांव बसाने की खबर को भारत में बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की कोशिश की जा रही है. ग्लोबल टाइम्स से बातचीत में एक चीनी एक्सपर्ट झांग योंगपन ने कहा, भारतीय मीडिया की रिपोर्ट्स भारत-चीन सीमा पर हालात को और जटिल बनाने वाली हैं.
सिंगुआ यूनिवर्सिटी में नेशनल स्ट्रेटजी इंस्टिट्यूट में रिसर्च स्कॉलर कियान फेन ने ग्लोबल टाइम्स से कहा, इस इलाके को चीन की सरकार ने कभी मान्यता नहीं दी. चीन और भारत ने इस इलाके में सीमा रेखा का निर्धारण तक नहीं किया है इसलिए वे चीन पर भारतीय क्षेत्र में गांव बनाने का आरोप नहीं लगा सकते हैं.
चीन, तिब्बत के साथ अरुणाचल प्रदेश पर भी दावा करता है और इसे दक्षिणी तिब्बत कहता है. शुरू में अरुणाचल प्रदेश के उत्तरी हिस्से तवांग को लेकर चीन दावा करता था. यहां भारत का सबसे विशाल बौद्ध मंदिर है. हालांकि, चीन की चाल को छोड़ दें तो अरुणाचल प्रदेश को लेकर कोई विवाद नहीं है. इसको लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कोई विवाद नहीं है. अरुणाचल प्रदेश के साथ भारत की संप्रभुता को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली हुई है. अंतरराष्ट्रीय मानचित्रों में भी अरुणाचल प्रदेश भारत का ही हिस्सा है.