चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और म्यांमार की नेता आंग सांग सू की ने 33 बड़े समझौतों पर दस्तखत किए हैं. इनमें वन बेल्ट-वन रोड परियोजना में म्यांमार की भागीदारी भी शामिल है. यह वही समझौता है जिसके अंतर्गत चीन का हिंद महासागर में दखल बढ़ेगा. यह चीन की महात्वाकांक्षी योजना है. (Photos: Reuters)
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दरअसल, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपने दो दिवसीय म्यांमार दौरे के दौरान शनिवार को म्यांमार की काउंसलर आंग सांग सू की के साथ मुलाकात की. इसके बाद शी चिनफिंग ने कहा कि हाल ही में चीन और म्यांमार का राष्ट्रीय विकास नये दौर में प्रवेश हुआ है.
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आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक चिनफिंग ने कहा कि हमें भविष्य में विभिन्न क्षेत्रों के आदान प्रदान और सहयोग के लिए योजना बनाकर अच्छी तरह कार्यान्वयन करना चाहिए, ताकि चीन-म्यांमार संबंध एक नई मंजिल पर विकसित हो सके.
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चीन-म्यांमार संबंध की चर्चा में शी चिनफिंग ने चार सुझाव पेश किए. पहला, दोनों पक्षों को आर्थिक कॉरिडोर के निर्माण को अच्छी तरह करना चाहिए और आर्थिक, व्यापारी सहयोग का कार्यान्वयन करना चाहिए.
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चीन-म्यांमार आर्थिक कॉरिडोर का निर्माण बेल्ट एंड रोड के निर्माण का एक अहम भाग है. दोनों को यथाशीघ्र ही इस के निर्माण को शुरू करना चाहिए. दूसरा, दोनों देशों को आपसी संपर्क को मजबूत कर सड़कों, रेल मार्ग और बिजली नेट जैसे प्रोजेक्टों को आगे विकसित करना चाहिए.
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तीसरा, व्यापार और निवेश का विस्तार कर स्थानीय सहयोग को घनिष्ठ करना चाहिए. चौथा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को गहराते हुए आर्थिक कॉरिडोर के आसपास के लोगों के जन-जीवन, सुरक्षा और बुनियादी संरचनाओं के निर्माण को आगे बढ़ाना चाहिए.
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इसके अलावा वार्ता में आंग सांग सू की ने कहा कि म्यांमार द्विपक्षीय मित्रता को बड़ा मूल्यवान समझता है. उन्होंने कहा कि काफी अरसे से चीन ने म्यांमार को बड़ा समर्थन दिया है, जिसे म्यांमार की जनता हमेशा याद रखेगी. हाल में कुछ देशों ने मानवाधिकार, जाति और धर्म आदि बहाने से दूसरे देश के अंदरूनी मामलों में दखलंदाजी की है.
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सू की ने कहा कि म्यांमार इस तरह के दबाव और हस्तक्षेप को कतई स्वीकार नहीं करेगा, आशा है कि चीन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में मध्यम और छोटे देशों का समर्थन करता रहेगा और म्यांमार की घरेलू शांतिपूर्ण प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में रचनात्मक भूमिका निभाएगा. (All Photos: Reuters)