भारत के पावर ग्रिड पर साइबर हमले की रिपोर्ट को चीन ने खारिज कर दिया है. दरअसल, अमेरिकी अखबार न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत को सरहद पर आक्रामक होने से रोकने के लिए चीन ने उसके पावर ग्रिड पर साइबर हमले को अंजाम दिया और इसी हमले की वजह से पिछले साल मुंबई में पावर सप्लाई ठप पड़ गई थी.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन से सोमवार को नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सवाल किया गया कि क्या चीन ने भारत को सीमा विवाद के मुद्दे पर चेतावनी देने के लिए साइबर हमले का सहारा लिया था? वेनबिन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, साइबर सुरक्षा के संरक्षक होने के नाते, चीन सभी तरह के साइबर हमलों का विरोध करता है और उनके खिलाफ कार्रवाई करता है. साइबर हमले के मुद्दे पर कयासबाजी और मनगढ़ंत कहानियों की कोई भूमिका नहीं हो सकती है क्योंकि साइबर हमले की उत्पत्ति का लगाना बेहद मुश्किल है. चीनी प्रवक्ता ने कहा, इस तरह से किसी एक पर आरोप लगाना बेहद गैर-जिम्मेदाराना है जबकि इसके कोई पर्याप्त सबूत नहीं है. चीन इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना और गलत इरादों से किए गए क्रियाकलापों का कड़ा विरोध करता है.
दरअसल, न्यूयार्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में मुंबई में पिछले साल हुए पावर फेल को गलवान में भारत-चीन के बीच चल रहे संघर्ष से जोड़ा गया था. रिपोर्ट में कहा गया कि मुंबई में पावर कट में चीनी साइबर हमले की भूमिका थी. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के इलेक्ट्रिक सप्लाई के कंट्रोल सिस्टम में एक मैलवेयर को डाल दिया गया जिससे मुंबई की पावर सप्लाई ठप पड़ गई थी.
कोरोना वायरस की महामारी के बीच मुंबई के अस्पतालों में बिजली गुल होने से अफरा-तफरी मच गई थी. अस्पतालों को वेंटिलेटर्स ऑन रखने के लिए इमरजेंसी जेनरेटरों का सहारा लेना पड़ा था. रिपोर्ट में कहा गया कि ये चीन की तरफ से भारत को एक चेतावनी थी कि अगर भारत ने सरहद पर ज्यादा आक्रामक रुख दिखाया तो वह पूरे देश की बिजली गुल कर सकता है.
NYT की रिपोर्ट में बताया गया था कि मैलवेयर ट्रेसिंग साइबर सिक्योरिटी कंपनी रिकॉर्डेड फ्यूचर ने किया है. कंपनी का दावा है कि सभी मैलेवेयर ऐक्टिव नहीं थे. इसका मतलब है कि मैलेवेयर का एक छोटा प्रोपोर्शन मुंबई में पावर आउटेज का कारण बना. इसके लिए कंपनी ने RedEcho को जिम्मेदार बताया है. RedEcho चीनी स्टेट स्पॉन्सर्ड ग्रुप है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रिक ग्रिड या दूसरे संवेदनशील इन्फ्रास्ट्रक्चर में मैलवेयर डालना ये दिखाता है कि कैसे परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किए बिना या जंग लड़े बिना ही किसी देश को गंभीर नुकसान पहुंचाया जा सकता है. भारत की हार्डवेयर के मामले में चीन की निर्भरता इस खतरे को और बढ़ा देती है.
भारत के जाने-माने रणनीतिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने भी इस रिपोर्ट को लेकर कहा कि चीन भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए हर पैंतरे का इस्तेमाल कर रहा है. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, भूमि अतिक्रमण और पानी की लड़ाई से लेकर साइबर हमले तक चीन भारत की सुरक्षा पर हर मुमकिन दबाव डालने की कोशिश कर रहा है. चीन ने बड़े पैमाने पर साइबर हमले की क्षमता में निवेश किया है. भारत का जरूरत से ज्यादा रक्षात्मक दृष्टिकोण चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भारत की कमजोरियों का फायदा उठाने के लिए और प्रोत्साहित करेगा.
From territorial aggrandizement and water wars to cyber aggression, China is bringing Indian security under increasing pressure. China has invested large sums in cyberwar capabilities. India’s overly defensive mindset only encourages Xi's regime to exploit Indian vulnerabilities.
— Brahma Chellaney (@Chellaney) March 1, 2021
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, चीन स्पष्ट तौर पर भारत के पावर ग्रिड पर साइबर हमले की रिपोर्ट को खारिज नहीं कर सका. चीन ने अपना बचाव करते हुए दावा किया कि साइबर हमले की उत्पत्ति को ट्रेस करना बहुत ही मुश्किल है. भारत ने भी स्वीकार किया है कि स्टेट स्पॉन्सर्ड चीनी हैकर्स ने उसके प्लांट को लगातार निशाना बनाने की कोशिश की है.
भारत के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल और साइबर एक्सपर्ट डीएस. हुड्डा ने न्यू यॉर्क टाइम्स से कहा, मुझे लगता है कि चीन दिखाना चाहता है कि संकट के दौर में वो क्या करने की क्षमता रखता है. ये भारत को चेतावनी देने की तरह है. भारत और चीन दोनों के पास ही परमाणु हथियार हैं जो एक-दूसरे को पारंपरिक जंग से रोकते रहे हैं. इसीलिए चीन अब साइबर हमले का इस्तेमाल कर रहा है जो परमाणु हमले की तरह विंध्वंसक तो नहीं है लेकिन इससे उसे रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक बढ़त जरूर हासिल हो जाती है. रूस ने भी इस विकल्प का इस्तेमाल यूक्रेन में किया था और वहां दो बार बिजली गुल कर दी थी. ऐसे ही जब अमेरिका को पता चला कि रूसी हैकर्स ने अमेरिकी पावर ग्रिड में सेंध लगाई है तो अमेरिका ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को आगाह करने के लिए रूसी ग्रिड में कोड प्लेस कर दिए थे.
पिछले कुछ सालों में सूचनाओं की चोरी करने में चीन जोर-शोर से लगा हुआ है.चीन इन्फ्रास्ट्रक्चर सिस्टम्स की कोडिंग के मामले में भी काफी सक्रिय हो गया है. साइबर पीस फाउंडेशन के मुताबिक, भारत के पावर सेक्टर को निशाना बनाने वाले मैलवेयर की संख्या बढ़ी है. पिछले साल से भारत के पेट्रोलियम रिफाइनरियों से लेकर न्यूक्लियर पावर प्लांट को भी टारगेट करने की कोशिश की जा रही है. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि मुंबई पावर कट के अलावा कहीं और एनर्जी सप्लाई में कोई बाधा नहीं आई.
सैन्य विशेषज्ञ भी मोदी सरकार से मांग कर रहे हैं कि भारत के पावर सेक्टर और रेल सिस्टम से चीनी हार्डवेयर को रिप्लेस किया जाए. जनरल हुड्डा ने कहा, ये एक और मोर्चा है जहां पर हम विदेशी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर अपनी निर्भरता से छुटकारा नहीं पा सके हैं. अधिकारियों का कहना है कि भारत के सूचना तकनीक से जुड़े कई समझौतों की समीक्षा हो रही है जिसमें चीनी कंपनियां भी शामिल हैं. हालांकि, ये भी एक तथ्य है कि भारत के लिए मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर को हटाना महंगा होने के साथ-साथ मुश्किल भी है.