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विश्व

नागरिकता कानून को लेकर US ने दिया बयान, सांसदों ने जताई चिंता

नागरिकता कानून को लेकर US ने दिया बयान, सांसदों ने जताई चिंता
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नागरिकता संशोधन बिल गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मुहर लगने के बाद कानून बन गया. इस कानून के तहत, अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. नागरिकता संशोधन कानून को लेकर अब अमेरिका ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.
नागरिकता कानून को लेकर US ने दिया बयान, सांसदों ने जताई चिंता
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अमेरिका ने कहा है कि भारत को अपने संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा करनी चाहिए.

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अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा, हम नागरिकता संशोधन बिल को लेकर हो रहे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. धार्मिक आजादी और समानता का व्यवहार दोनों लोकतांत्रिक देशों के मूल सिद्धांतों में शामिल है.
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अमेरिका भारत से अपील करता है कि वह अपने संवैधानिक मूल्यों के तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की हिफाजत करे. अमेरिका के विदेश मंत्रालय और विदेश नीति पर प्रभाव रखने वाली विदेश मंत्रालय समिति ने भी बिल को लेकर ट्वीट किया था और इसे नागरिकता के लिए धार्मिकता परीक्षण करार दिया था.
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नागरिकता बिल के राज्यसभा से पारित होने के बाद अमेरिकी सासंदों ने भी चिंता जाहिर की है. यूएस हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव के एक सदस्य एंड्रे कार्सन ने कहा, "आज हम भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को एक और घातक कदम उठाते हुए देख रहे हैं. हालांकि मोदी की भारतीय जनता पार्टी और इसके सांप्रदायिकता भड़काने के इतिहास को देखते हुए यह हैरानी भरा नहीं है. लेकिन यह भारत में मुस्लिमों को दोयम दर्जे के नागरिक की तरफ धकेलने की एक और कोशिश है."

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कार्सन ने कहा, कई अन्य मामलों में मोदी ने नागरिकता परीक्षण के साथ भारत के अल्पसंख्यक समुदाय मुस्लिम को निशाना बनाया है और यह समुदाय के संवैधानिक अधिकारों और आजादी को खारिज करने की कोशिश है. नया नागरिकता कानून भारत के बहु सांस्कृतिक समाज की नींव पर हमला करता है.
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हाउस फॉरेन अफेयर्स कमिटी ने इसी सप्ताह बिल के बारे में ट्वीट किया था और इसे नागरिकता के लिए धार्मिकता परीक्षण करार दिया था. कमिटी ने कहा था, भारत और अमेरिका दोनों की नींव धार्मिक विविधता पर ही रखी गई है और दोनों देशों के समान मूल्य हैं. नागरिकता के लिए किसी भी तरह का धार्मिकता टेस्ट इस लोकतांत्रिक तानेबाने को कमजोर करेगा.
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इससे पहले, अमेरिका के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने भी नागरिकता संशोधन बिल को लेकर आलोचना की थी. आयोग ने गृह मंत्री अमित शाह पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग कर दी थी. हालांकि, अमित शाह ने बिल की आलोचना पर कहा था कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं इसलिए उन्हें इस बिल से बाहर रखा गया है.
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