इटली का क्रूज शिप कोस्टा कॉन्कॉर्डिया 13 जनवरी को हादसे का शिकार हो गया और समंदर में डूब गया.
3000 करोड़ का ये टाइटेनिक देखते ही देखते समंदर की गहराइयों में समा जाता है. हादसे के वक्त इस जहाज़ में 4302 मुसाफिर सवार थे जिनमें 202 मुसाफिर हिंदुस्तानी थे.
समंदर के सीने पर रोमांस का सफर. 13 तारीख, शुक्रवार को रंगीनियत को लगी तबाही की नज़र और फिर मच गया 'कोस्टा कॉन्कॉर्डिया' पर कोहराम. 4229 लोगों ने साक्षात देखा टाइटैनिक 2012.
टाइटैनिक के डूबने का 100 साल पहले का खौफनाक मंज़र तैरने लगा 13 जनवरी की शाम क्रूज़ शिप कोस्टा कॉन्कॉर्डिया पर सवार 4429 लोगों की आंखों में.
इटली की इस लक्ज़री क्रूज़ पर पूरी दुनिया के लोग रोमांस के सफर पर थे. इस बात से बेखबर कि उनकी मौज-मस्ती पर एक भयानक हादसा घात लगा चुका है.
शुक्रवार 13 जनवरी को ये क्रूज़ शिप इटली के सिसिली आइलैंड से शाम करीब 7 बजे रवाना हुआ था.
करीब दो घंटे बाद क्रूज़ पर सवार करीब 3200 पर्यटक खाने-पीने में मस्त थे.
क्रूज़ शिप उस वक्त इटली के गिग्लियो द्वीप के पास था. तभी कोस्टा कॉन्कॉर्डिया को लगा एक ज़ोरदार झटका और फिर क्रूज़ की रंगीन महफिलों में अंधेरा छा गया.
लेकिन जल्दी ही सबको पता चल गया कि कोस्टा कॉन्कॉर्डिया नाम की ये क्रूज़ शिप भी टाइटैनिक की तरह डूबने वाला है.
इस क्रूज़ पर ज़्यादातर हनीमून के लिए निकले जोड़े ही सवार थे.
क्रूज़ पर सवार यात्री लाइफ जैकेट पहनकर उस कोने की ओर भागने लगे, जहां से उन्हें जान बचाने के लिए बोट्स मिल सकती थीं.
इस हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है इसका पता तो जांच के बाद ही चल पाएगा लेकिन इतना जरूर है कि इस जहाज में सवार लोगों के लिए बस ढाई घंटे का वक्त ही उनके लिए दूसरे जन्म जैसा था.
फिलहाल इस हादसे के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है कि कोस्टा कॉनकॉर्डिया के कप्तान फ्रैंसिस्को शेटिनो को.
आरोप है कि जहाज़ का कैप्टन उस वक्त समुद्र तट पर खड़े अपने दोस्त को सलामी देने के लिए क्रूज़ को किनारे की तरफ ले आया और इसी चक्कर में कोरल रीफ से टकरा गया क्रूज़.
क्रू मेंबर ने सिर्फ एक समझदारी का काम किया. उन्होंने हादसे की सूचना इटली के कोस्ट गॉर्ड्स तक पहुंचा दी थी, लिहाज़ा वक्त रहते बचाव का काम शुरू हो गया.
100 साल पहले टाइटेनिक नाम का जहाज भी दुर्घटनाग्रस्त होकर समंदर में डूब गया था.
इटली के क्रूज शिप कोस्टा कॉन्कॉर्डिया के यात्रियों की आंखों में भी टाइटेनिक के डूबने का मंजर घूम गया.
एक पल में ये जहाज़ अपना रास्ता भटका और एक ज़ोरदार टक्कर के बाद समंदर में जा समाया.
कुदरत के खूबसूरत नजारों का अहसास महज ढाई घंटों में ही एक खौफनाक मंजर में बदल गया.
सवाल उठता है कि क्या जहाज यूं ही अपने रास्ते से भटक गया था, या इसके पीछे कुछ और वजह थी.
करीब 2 दिन की मशक्कत के बाद क्रूज़ पर सवार ज़्यादातर यात्रियों और क्रू मेंबर्स को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.
लेकिन इस आपाधापी में समंदर में समा गए करीब 2 दर्ज़न लोग, जिनमें से 6 की लाशें सामने आईं और बाकी जाने कहां हैं. समंदर के किस कोने में, और ज़िंदा भी हैं या नहीं, ये भी किसी को पता नहीं.
समंदर की लहरों का सीना चीरने वाला जहाज़ बड़ी ही खामोशी से अपना सफर तय कर रहा था लेकिन अफसोस 7 दिन तक चलने वाला हसीन ख्वाबों का सफर 7 घंटे भी ना चल सका.
कोस्टा को 3000 करोड़ की चलती फिरती ऐशगाह कहें तो शायद गलत नही होगा. पांच मंजिला बने इस जहाज़ में कदम रखते ही एक नई दुनिया का अहसास होता था.
500 केबिन, दुनिया भर के ज़ायक़े का खाना परोसने के लिए क्रूज़ पर पांच रेस्तरां, 13 बार और दिल बहलाने के लिए क्लब, कैसीनो, डिस्को थेक और 3 लेवल वाला थिएटर भी इस क्रूज़ पर मौजूद था.
कोस्टा कॉन्कॉर्डिया. यही नाम है समंदर के सीने पर पूरी शान से ग्लैमर बिखेरते रहे इस क्रूज़ शिप का. अमेरिका की कार्निवल कॉर्पोरेशन कंपनी ने इटली की क्रूज़ बिल्डिंग कंपनी को 19 जनवरी 2004 को ये शिप बनाने का ऑर्डर दिया था.
करीब डेढ़ साल की मेहनत के बाद 2 सितंबर 2005 को लगभग 3 हज़ार करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ कॉन्कॉर्डिया क्लास का ये पहला क्रूज़ शिप.
स्विमिंग पूल से लेकर साइबर कैफे और बच्चों के लिए हाई-फाई प्ले स्टेशन से लैस ये क्रूज़ 14 जुलाई 2006 को अपने पहले सफर पर रवाना हुआ और तभी हुआ था एक अपशगुन.
क्रूज़ कोस्टा कॉन्कॉर्डिया की लॉन्चिंग के वक्त चेक रिपब्लिक की सुपर मॉडल ईवा हर्ज़िगोवा ने शैंपेन की बोतल खोलने की रस्म अदा की, लेकिन तब शैंपेन की बोतल ठीक से खुली नहीं. नाविकों ने इसे अपशगुन माना था.
कोस्टा कॉन्कॉर्डिया लॉन्च होने के करीब 2 साल बाद ही हादसे का शिकार हो गई.
22 नवंबर 2008 को इटली के पलेर्मो शहर के पास तूफानी हवा की चपेट में आकर ये बंदरगाह के लंगर से टकरा गया. गनीमत सिर्फ इतनी रही कि इस टक्कर से सिर्फ क्रूज़ को थोड़ा नुकसान हुआ, इस पर सवार यात्री और क्रू मेंबर्स बाल-बाल बच गए. लेकिन, 2012 की पहली यात्रा इस क्रूज़ के लिए बेहद खौफनाक साबित हुई.
कोस्टा को 3000 करोड़ की चलती फिरती ऐशगाह कहें तो शायद गलत नही होगा.
पांच मंजिला बने इस जहाज़ में कदम रखते ही एक नई दुनिया का अहसास होता था.
500 केबिन, दुनिया भर के ज़ायक़े का खाना परोसने के लिए क्रूज़ पर पांच रेस्तरां, 13 बार और दिल बहलाने के लिए क्लब, कैसीनो, डिस्को थेक और 3 लेवल वाला थिएटर भी इस क्रूज़ पर मौजूद था.
कोस्टा कॉन्कॉर्डिया. यही नाम है समंदर के सीने पर पूरी शान से ग्लैमर बिखेरते रहे इस क्रूज़ शिप का.
कोस्टा जब डूब रहा था उस वक्त क्रूज़ में 202 भारतीय भी सावर थे. कौन हैं ये हिंदुस्तानी, .कहां गए ये 202 हिंदुस्तानी.
अमेरिका की कार्निवल कॉर्पोरेशन कंपनी ने इटली की क्रूज़ बिल्डिंग कंपनी को 19 जनवरी 2004 को ये शिप बनाने का ऑर्डर दिया था.
करीब डेढ़ साल की मेहनत के बाद 2 सितंबर 2005 को लगभग 3 हज़ार करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ कॉन्कॉर्डिया क्लास का ये पहला क्रूज़ शिप.
952 फीट लंबी और 116 फीट 6 इंच ऊंची कोस्टा कॉन्कॉर्डिया क्रूज़ शिप का वजन है एक लाख 14 हज़ार पांच सौ टन.
3700 यात्रियों और 1100 क्रू मेंबर्स को ढोने में सक्षम इस क्रूज़ शिप में 1500 केबिन हैं, जिनमें से 505 केबिन के साथ बॉल्कनी भी है और इनमें भी 55 केबिन ऐसे हैं, जो सीधे क्रूज़ के लक्ज़री स्पा से जुड़े हैं.
जो खबरें आ रही हैं उनमें सभी भारतीयों को बचा लिया गया है. और इटली की सरकार ने इन सबको एक आइलैंड पर रिसॉर्ट में रखा है.
ऐसा माना जा रहा है कि ये क्रूज मूंगे की चट्टान से टकरा गया था.
टक्कर इतनी ज़ोरदार थी कि 290 मीटर लंबी इस क्रूज की पेंदी में 70 से सौ मीटर लंबी दरार पड़ गयी जिसकी वजह से जहाज में तेजी से पानी भरने लगा.
फिलहाल सबको चिंता है क्रूज़ का ऑयल टैंक खाली करने की, जिसमें करीब ढाई हज़ार टन ईंधन भरा है.
अगर तेल का रिसाव शुरू हुआ तो हादसे की ये डरावनी तस्वीर और भी बदरंग हो जाएगी.
3000 करोड़ का ये टाइटेनिक देखते ही देखते समंदर की गहराइयों में समा गया.
शुक्रवार 13 जनवरी को ये क्रूज़ शिप इटली के सिसिली आइलैंड से शाम करीब 7 बजे रवाना हुआ था.
इटली की इस लक्ज़री क्रूज़ पर पूरी दुनिया के लोग रोमांस के सफर पर थे. इस बात से बेखबर कि उनकी मौज-मस्ती पर एक भयानक हादसा घात लगा चुका है.
समंदर के सीने पर रोमांस का सफर. 13 तारीख, शुक्रवार को रंगीनियत को लगी तबाही की नज़र और फिर मच गया 'कोस्टा कॉन्कॉर्डिया' पर कोहराम. 4229 लोगों ने साक्षात देखा टाइटैनिक 2012.
समंदर की लहरों का सीना चीरने वाला जहाज़ बड़ी ही खामोशी से अपना सफर तय कर रहा था लेकिन अफसोस 7 दिन तक चलने वाला हसीन ख्वाबों का सफर 7 घंटे भी ना चल सका.