अमेरिकी राष्ट्रपति के शीर्ष सलाहकार डॉ. एंथनी फाउची कोरोना महामारी की शुरुआत से ही चर्चा के केंद्र में रहे हैं. उन्हें कभी तारीफ मिली तो कई बार आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी उनकी कम ही बनी. ईमेल के मसले पर एक बार फिर ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन के सांसदों ने डॉ फाउची को घेरना शुरू कर दिया है.
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अमेरिका में कंजर्वेटिव न्यूज चैनलों ने डॉ. फाउची को झूठा बताना शुरू कर दिया है और आरोप लगाया है कि संक्रामक बीमारियों के देश के सबसे बड़े सलाहकार ने चीन के वुहान लैब लीक थ्योरी में अमेरिकियों को गुमराह किया. डॉ. फाउची पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने वुहान लैब से कोरोना वायरस लीक होने के मामले में चीन का बचाव किया. रिपब्लिकन नेताओं ने इस मामले में जांच की मांग की है.
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🚨 BREAKING → Just sent a letter to Democrats demanding they call Fauci to testify before Congress.
— Steve Scalise (@SteveScalise) June 3, 2021
We now know his emails contain evidence on COVID's origins and the Wuhan lab.
Democrats are out of excuses to keep covering for Fauci and China. Americans deserve answers. NOW. pic.twitter.com/MqV3bNmkbm
असल में, अप्रैल 2020 में स्वास्थ्य मामलों से जुड़ी एक संस्था के अधिकारी ने सार्वजनिक रूप से वैज्ञानिक आधार पर लैब-लीक थ्योरी को खारिज करने को लेकर ईमेल भेजकर डॉ फाउची का आभार जताया था. इस पर डॉ. फाउची ने भी शुक्रिया कहा था. ईको-हेल्थ अलायंस के प्रमुख पीटर डैसजैक ने पिछले साल अप्रैल में डॉ. फाउची को ईमेल भेजा था. इसमें उन्होंने लैब-लीक थ्योरी को नकारने के लिए डॉ एंथनी फाउची की सराहना करते हुए उन्हे साहसी बताया है. इसके जवाब में फाउची ने लिखा शुक्रिया लिखा.
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यह ईमेल सामने आने के बाद राष्ट्रपति जो बाइडन के सलाहकार डॉ. फाउची पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसी ईमेल को लेकर उनसे सवाल किया जा रहा है कि क्या डॉ फाउची ने तब चीन का समर्थन किया था, जब वुहान की एक लैब से करोना वायरस के लीक होने की आशंका को वो खारिज कर रहा था.
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द वॉशिंगटन पोस्ट, बजफीड न्यूज और सीएनएन ने फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन एक्ट के तहत जनवरी से जून 2000 के बीच डॉ फाउची के हजारों निजी ईमेल हासिल किए हैं. ये मेल कोरोना वायरस को लेकर हुई उनकी बातचीत के बताए जा रहे हैं. इनमें एक मेल में लैब से वायरस के लीक होने की बात से इनकार किया गया है. उस समय इसमें साइंस संबंधी कई चर्चाएं थीं. लेकिन ट्रंप सहित कई रिपब्लिकन ईमेल में वायरस की बात छिपाने का आरोप लगा रहे हैं.
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अमेरिका में जब कोरोना वायरस की उत्पत्ति की नए सिरे से मांग को लेकर हलचल बढ़ी तो संसद में रिपब्लिकन नेताओं ने डॉ. फाउची के इस्तीफे की मांग भी उठाई. मिसौरी के रिपब्लिकन सांसद सेन जोश हॉले ने डॉ फाउची के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा, 'अब हम जो जानते हैं, उसे देखते हुए कोई को कैसे भरोसा कर सकता है कि उन्हें (डॉ. फाउची) को सार्वजनिक पद पर रहना चाहिए.'
Anthony Fauci’s recently released emails and investigative reporting about #COVID19 origins are shocking. The time has come for Fauci to resign and for a full congressional investigation into the origins of #COVID19 - and into any and all efforts to prevent a full accounting
— Josh Hawley (@HawleyMO) June 4, 2021
बहरहाल डॉ. फाउची के ईमेल्स के राज सामने आने के बाद रिपब्लिकन को राष्ट्रपति जो बाइडन के खिलाफ एक नया मुद्दा मिल गया है. डॉ. फाउची ने इस संबंध में सवालों का जवाब नहीं दिया है. वह लगातार अपना बचाव कर रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें हजारों ईमेल मिलते हैं और किसी थ्योरी से इनकार नहीं किया जा सकता है.
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डॉ. फाउची ने गुरुवार को सीएनएन के साथ इंटरव्यू में कहा, 'मैं अब भी मानता हूं कि यह वायरस जानवरों से पैदा हुआ है और फिर यह मानवीय संपर्क में आया. लेकिन मैं वायरस की उत्पत्ति को लेकर खुले दिमाग से सोच रहा हूं कि इसकी उत्पत्ति अन्य वजहों से भी हुई हो सकती है.'
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पिछले साल 1 फरवरी को स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक शोधकर्ता क्रिस्टियन एंडरसन ने डॉ फाउची को कोरोना वायरस की उत्पत्ति के बारे में चल प्रयासों के बारे में एक ईमेल किया था. लैब से लीक की बात से खारिज किए जाने पर क्रिस्टियन एंडरसन ने कोरोना की उत्पत्ति को लेकर और काम करने पर जोर दिया था. उन्होंने एक रिसर्च जर्नल में प्रकाशित शोध में कोरोना के लैब से लीक होने की संभावना से इनकार नहीं किया था. उस समय कई विशेषज्ञों ने वायरस के लैब से लीक होने की बात को खारिज कर दिया था. लेकिन एक रिपोर्ट के सामने आने के बाद फिर से इस मामले में जांच किए जाने की मांग उठी है.
राष्ट्रपति रहते हुए ट्रंप ने हमेशा डॉ फाउची और उनकी लोकप्रियता को नजरअंदाज किया. ट्रंप ने महामारी को हमेशा हल्के में लिया और डॉ फाउची की सिफारिशों का मजाक उड़ाया. माना जा रहा है कि नए घटनाक्रम के बाद ट्रंप फिर से डॉ. फाउची पर हमलावर हो सकते हैं.
ट्रंप ने जारी एक बयान में कहा, 'बहुत से सवाल है जिनका जवाब डॉ फाउची को जरूर देना चाहिए.' उन्होंने कहा, "डॉ. फाउची को गेन ऑफ फंक्शन' रिसर्च के बारे में क्या पता था, और उन्हें यह कब पता चला?" गेन ऑफ फंक्शन शोध में रोगजनकों में ऐसे बदलाव किए जाते हैं, जिनसे वो ज्यादा संक्रामक हो जाते हैं. इसका उद्देश्य ये पता लगाना होता है कि ये किस तरह म्यूटेट हो सकते हैं.
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कोरोना वायरस के लैब से लीक होने को लेकर कोई साक्ष्य नहीं है. मगर वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के बाद बाइडन ने खुफिया अधिकारियों को इसे लेकर 90 दिनों के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है. वहीं बाइडन के आदेश पर चीन ने नाराजगी जताते हुए अपना पुराना रुख दोहराया है कि कोरोना वुहान के लैब से लीक नहीं हुआ. उसका कहना था कि चीन को बदनाम करने के लिए लैब से वायरस लीक होने का प्रोपेगैंडा किया जा रहा है.
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