UEFA यूरो 2020 के सेमीफाइनल में ब्रिटेन के डेनमार्क पर विजयी परचम लहराते ही फैंस ने पूरे लंदन को लाल और सफेद रंग से रंग दिया. 7 जुलाई को वेम्बली स्टेडियम (लंदन) में खेले गए मुकाबले में इंग्लैंड ने डेनमार्क को 2-1 से मात दी और इसी के साथ 2018 के सेमीफाइनल में क्रोएशिया के हाथों मिली हार का सदमा भी खत्म हुआ. इंग्लैंड 55 साल बाद किसी बड़े टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाने में कामयाब हुआ है. हालांकि, इस जीत के उत्साह ने कोविड के खतरे को और बढ़ा दिया है.
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90 हजार दर्शकों की क्षमता वाले वेम्बली स्टेडियम में कोरोना प्रतिबंधों के चलते 60 हजार दर्शकों के बैठने का ही इंतजाम किया गया था. इंग्लैंड ने जैसे ही यूक्रेन के खिलाफ जीत दर्ज कर सेमीफाइनल में जगह बनाई, स्टेडियम के टिकेट महंगे हो गए. कई लोग टिकट एफॉर्ड नहीं कर पाए, लेकिन देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों की भीड़ इकट्ठा होने से कोई नहीं रोक सका.
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जैस-जैसे यूरो 2020 अपने समापन की ओर बढ़ रहा है और मैच देखने वाले फैंस की भीड़ उमड़ रही है, कोरोना संक्रमण को लेकर चिंताएं काफी बढ़ गई हैं. डेल्टा वेरिएंट पहले ही यूरोप में कोरोना इंफेक्शन के मामलों को बढ़ाने का काम कर रहा है. यूरो 2020 के दौरान लंदन और सेंट पीटर्सबर्ग ये दोनों ही शहर कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से काफी प्रभावित हुए हैं.
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महामारी विशेषज्ञ एंटोइन फ्लाहॉल्ट ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हम इस रास्ते से पूरे यूरोप में डेल्टा वेरिएंट फैलाने का काम कर रहे हैं. पूरे रूस में कोरोना से बढ़ते मामलों और मौतों के बीच सेंट पीटर्सबर्ग में क्वार्टरफाइनल मुकाबला कराया गया. अब दोनों सेमीफाइनल्स की तरह फाइनल मुकाबला भी लंदन में खेला जाएगा, जहां करीब 60 हजार लोग एक साथ बैठकर मैच देखेंगे.
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ब्रिटेन में डेल्टा वेरिएंट के मामले तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं. इसके बावजूद प्रशासन का ऐसा ढीला रवैया बड़े खतरे को बढ़ावा दे सकता है. इंग्लैंड-जर्मनी के बीच खेले गए मुकाबले में भी वेम्बली स्टेडियम में करीब 42,000 लोग एकसाथ बैठे थे और कई ऐसी तस्वीरें भी सामने आई जहां दर्शकों ने मास्क तक नहीं पहना था.
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दर्शकों में इसे लेकर काफी उत्साह है कि इंग्लैंड की टीम अपने ही प्रशंसकों की आंखों के सामने यूरो कप के फाइनल में इतिहास रचे. इसे लेकर फ्लाहॉल्ट ने वेम्बली (लंदन) में होने वाले मुकाबलों को किसी दूसरी जगह शिफ्ट किए जाने का सुझाव भी दिया था.
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जेनेवा यूनिवर्सिटी में इंस्टिट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ के डायरेक्टर फ्लाहॉल्ट ने कहा था कि इन सभी मुकाबलों को कोरोना से कम प्रभावित शहरों में शेड्यूल किया जाना कोई मुश्किल काम नहीं है. ये मुकाबले ऐसी जगह होने चाहिए जहां कोरोना का खतरा बहुत ज्यादा न हो.
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यूरोप में WHO की सीनियर इमरजेंसी ऑफिसर कैथरीन स्मॉलवुड ने इसे लेकर सवाल भी खड़े किए थे. उन्होंने पूछा था कि लोग वहां कैसे पहुंच रहे हैं? क्या वे लोगों से खचाखच भरी बस में ट्रैवल कर रहे हैं? क्या इस दौरान सभी लोग कोविड से जुड़ी गाइडलाइंस का पालन कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि इस तरह लोगों को भीड़ इकट्ठा होने से वायरस का ट्रांसमिशन और ज्यादा बढ़ेगा.
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डेनमार्क के अधिकारियों ने बताया कि कोपेनहेगन में बेल्जियम के खिलाफ मैच के दौरान तीन फैंस डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित थे, जिसके चलते 4000 फैंस से टेस्ट कराने का आग्रह किया गया. इसके अलावा फिनलैंड की हेल्थ ऑथोरिटीज ने भी करीब 100 लोगों को संक्रमित पाया जो सेंट पीटर्सबर्ग में रशिया के खिलाफ अपनी टीम को सपोर्ट करने पहुंचे थे.
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लंदन में यूरो 2020 फाइनल के जश्न की तैयारी अकेले इंग्लिश फैंस नहीं कर रहे हैं. यहां करीब 270 देशों से आए और 300 भाषाएं बोलने वाले फैंस भी मौजूद हैं. ये वो लोग हैं जो न सिर्फ यहां रहते हैं, बल्कि ब्रिटेन को अपना घर भी कहते हैं. सेमीफाइनल में इंग्लैंड की जीत से रोमानिया की दो फैंस काफी ज्यादा खुश थीं. 'इट इज़ कमिंग होम' भी इंटरनेट पर काफी ट्रेंड कर रहा है. इंग्लैंड की दो फैंस ने अपने चेहरे पर पेंट से स्लोगन भी लिखवा रखा था. इन सब चीजों से यूरो कप फाइनल के प्रति फैंस की दीवानी को साफ समझा जा सकता है.
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