अमेरिका में पाकिस्तान की पूर्व राजदूत रहीं सैयदा आबिदा हुसैन का मानना है कि अमेरिका को अब अफगानिस्तान में कोई दिलचस्पी नहीं रह गई है. उन्होंने कहा कि अमेरिका जिसने अफगानिस्तान में 'आतंक के खिलाफ युद्ध' में 20 साल बिता दिए, उसे अब ना तो अफगानिस्तान की परवाह है और ना ही पाकिस्तान की जरूरत है.
सैयदा ने डॉन वेबसाइट के साथ बातचीत में कहा कि अमेरिका की अब अफगानिस्तान में सबसे कम दिलचस्पी है. अफगानिस्तान से निर्यात होने वाले आतंक से अमेरिका को डर नहीं है इसलिए उसने इस युद्धग्रस्त देश के मामलों में रुचि खो दी है और ना ही उसे अब पाकिस्तान की किसी तरह जरूरत है.
73 वर्षीय सैयदा फिलहाल राजनीति में सक्रिय नहीं हैं. उनका मानना है कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संबंधों में तत्काल सुधार की गुंजाइश नहीं है. उन्होंने कहा कि चूंकि पाकिस्तान को अमेरिका से महत्वपूर्ण मदद नहीं मिल रही है, इसलिए उसे इस मामले में ज्यादा फोकस नहीं करना चाहिए. पाकिस्तान को रूस से नजदीकियां बढ़ानी चाहिए और चीन से उम्मीदें लगानी चाहिए. (व्लादिमीर पुतिन/getty images)
सैयदा का मानना है कि अमेरिका को इतिहास से सीखना चाहिए था कि कभी कोई बाहरी ताकत अफगानिस्तान को जीतने में सक्षम नहीं हो पाई है. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने काबुल को जीतने की भरपूर कोशिश की लेकिन वो आखिरकार सफल नहीं हो पाया. बता दें कि वे 1991 और 1993 के बीच अमेरिका में इस्लामाबाद की राजदूत रह चुकी हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
तालिबान के तथाकथित 'उदारवादी चेहरे' को लेकर भी सैयदा सकारात्मक हैं. उन्होंने कहा कि 'मुझे लगता है कि 'तालिबान 2.0' अपनी बातों को अमल में लाने में कामयाब होगा और दुनिया को उनसे बात करनी पड़ेगी. मुझे लगता है कि तालिबान का ये उदारवादी चेहरा दुनिया को मंजूर करना ही होगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
तालिबान ने इस बार महिलाओं के अधिकारों, मीडिया की आजादी और समावेशी सरकार की बातें की हैं. सैयदा हुसैन का मानना है कि तालिबान इस बार अपने द्वारा किए गए दावों पर खरा उतरने में कामयाब रहेगा. उन्होंने इसके अलावा पाकिस्तानी सरकार और तालिबान के बीच संबंधों पर भी अपनी बात रखी. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान को तालिबान राज से कोई दिक्कत होगी. मुझे ऐसा भी लगता है कि पाकिस्तान या अफगानिस्तान में अब किसी तरह का आतंकवाद भी नहीं पनपेगा. जो लोग तालिबान के खिलाफ हैं, केवल वही लोग अफगानिस्तान छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. बता दें कि सैयदा के पति फखर इमाम इमरान खान के मंत्रिमंडल के सदस्य हैं.
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पाकिस्तान की राजनीति के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वे इमरान खान की पीटीआई सरकार के महंगाई रोकने के प्रयासों से संतुष्ट नहीं हैं. उन्हें ऐसा लगता है कि अगर पीटीआई यूं ही असफल होती रही तो साल 2023 में होने वाले चुनावों में इमरान खान का जीतना बेहद ज्यादा मुश्किल होगा. (इमरान खान/Getty images)
उन्होंने कहा कि पीटीआई के पास अगली बार सरकार में आने का बेहतरीन मौका है अगर वे महंगाई पर कंट्रोल लगाते हुए लोगों को राहत देने का काम करें. इमरान खान का मुख्य मकसद अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाना होना चाहिए. मेरे हिसाब से विपक्षी पार्टियां पीटीआई के आगे नहीं ठहरती हैं अगर इमरान खान अर्थव्यवस्था को सुधारने की दिशा में कदम बढ़ाने लगें.
(इमरान खान/Getty images)