फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस्लामिक अलगाववाद के खिलाफ कई कदम उठाने का ऐलान किया था. मैक्रों ने इस्लामिक कट्टरपंथ पर रोक लगाने के तहत वर्जिनिटी के मुद्दे पर भी बातचीत की. उन्होंने कहा कि फ्रांस जैसे देश में शादी के लिए वर्जिनिटी सर्टिफिकेट जारी करने की जरूरत नहीं हो सकती है.
कुछ धार्मिक समूहों में शादी से पहले लड़कियों की कथित शुद्धता जांच करने के लिए वर्जिनिटी टेस्ट कराया जाता है और सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. बांग्लादेश जैसे देशों ने तो इस पर बैन लगा दिया है, हालांकि, अमेरिका में ये गैर-कानूनी नहीं है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन कई बार ऐसे वर्जिनिटी टेस्ट को अवैज्ञानिक, मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला और इस प्रक्रिया से गुजरने वाली महिलाओं के लिए खतरनाक करार दे चुका है. फ्रांस के डॉक्टरों और मुस्लिम नारीवादियों ने भी वर्जिनिटी सर्टिफिकेट जारी किए जाने का विरोध किया है. हालांकि, कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं और मैक्रों पर मुद्दे के राजनीतिकरण करने का आरोप लगा रहे हैं.
फ्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड डारमेनिन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैक्रों का अलगाववाद नियंत्रित करने वाला बिल संसद में अगले महीने पेश हो सकता है और इसमें वर्जिनिटी सर्टिफिकेट की समस्या पर भी ध्यान दिया जाएगा. फ्रांस के गृह मंत्री ने कहा, कुछ डॉक्टर्स अब भी धार्मिक रीति-रिवाजों से शादी कराने के लिए महिलाओं का वर्जिनिटी टेस्ट करने और सर्टिफिकेट जारी करने की हिमाकत कर रहे हैं. जबकि मेडिकल काउंसिल भी इसकी निंदा करते हैं. हम ना केवल इस पर आधिकारिक तौर पर बैन लगाएंगे बल्कि ऐसा करने वालों के लिए सजा भी तय करेंगे.
फ्रांस के एक अन्य मंत्री ने मार्लेन सिप्पा ने दोहराया कि इस तरह के वर्जिनिटी टेस्ट महिलाओं की गरिमा और उनके नागरिक अधिकारों पर गंभीर हमला है. न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस के गृह मंत्री ने पिछले महीने कहा था कि जो डॉक्टर्स वर्जिनिटी सर्टिफिकेट जारी करते हैं, उन्हें एक साल की जेल और 15,000 यूरो का जुर्माना भरना पड़ सकता है.
फ्रांस की एक गायनकोलॉजिस्ट घादा हातेम ने फ्रांस इंटर से बताया कि साल भर में अब तक उनके पास वर्जिनिटी सर्टिफिकेट जारी करने के तीन मामले आ चुके हैं. उन्होंने कहा कि कई महिलाएं ऐसी हैं जो सर्टिफिकेट ना लेने पर घरेलू हिंसा का शिकार तक हो सकती हैं.
सोशल मीडिया पर कई लोग मैक्रों को निशाने पर लेने लगे हैं और उन पर धार्मिक आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगा रहे हैं. खुद को मुस्लिम महिलाओं की आवाज बताने वाले संगठन लल्लाब ने अपने बयान में कहा कि वर्जिनिटी टेस्ट अपमानजनक और भेदभाव करने वाला है. लेकिन हमें ये समझ में नहीं आता है कि महिलाओं के अधिकारों के नाम पर इसका राजनीतिक एजेंडा क्या है.
नॉर्थ अफ्रीकन समुदाय की नता राजेल ने कहा, फ्रांस के गृहमंत्री डारमेनिन पर खुद रेप का केस चल रहा है इसलिए महिलाओं की चिंता करने की उन्हें जरूरत नहीं है. राजेल ने कहा, ये साफ है कि हमें इस तरह की चीजों के खिलाफ लड़ना चाहिए लेकिन सर्टिफिकेट बैन करके नहीं. इससे किसी की मदद नहीं होने वाली है क्योंकि कई महिलाओं के लिए ये बहुत जरूरी है. महिलाओं के मुद्दे का दोहन करके विशेष समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है.