24 साल का कानून का छात्र मोहम्मद अल नज्जर हमास-इजरायल सीजफायर के पहले ही दिन राफा पहुंच गया. अंग्रेजी वेबसाइट EL PAIS के अनुसार यहां उसके बाप-दादा का घर था. इजरायली बमों की बौछार के बाद आठ महीने पहले उसके परिवार को यहां से भागना पड़ा था. अपने घर के मलबे पर खड़ा अल नज्जर फ्रस्टेशन में कहता है- कुछ नहीं बचा है, ये मेरा घर था, एक छह मंजिली इमारत, हमें राफा क्यों लौटना चाहिए, आंसू बहाने के लिए. कहां है हमारा वो घर जिसे बनाने में हमें 30 साल लगे. (फोटो- AP, 21 जनवरी को अपने घर के पास खड़ा मुराद मुकदाद नाम का शख्स)
7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमास के हमले के बाद शुरू हुई ये जंग गाजा पट्टी के लिए तबाहियों की बारिश लेकर आया. 15 महीने की ये जंग 22 लाख की आबादी वाले गाजा के 90 फीसदी लोगों को 'होमलेस' कर गई. संयुक्त राष्ट्र द्वारा किये गये एक विश्लेषण में कहा गया है कि इजरायली ऑपरेशन में गाजा की 66 फीसदी इमारतें ध्वस्त या बर्बाद हो गई. (फोटो-AP, राफा में तबाही की ड्रोन से ली गई तस्वीर)
यूएन सैटेलाइट सेंटर ने अपने अध्ययन में पाया कि गाजा में 52564 निर्माण पूरी तरह से ढह गये हैं. 18913 निर्माणों को गंभीर क्षति पहुंची है. जबकि 56710 स्ट्रक्चर को ठीक ठाक नुकसान हुआ है. वहीं 35591 ढांचे आंशिक रुप से नुकसानग्रस्त हुए हैं. वहीं यहां कुल मिलाकर 2 लाख 20 हजार घर डैमेज हुए हैं. (फोटो-AP, गाजा पट्टी के राफा में इजरायली बमबारी में तबाही का दृश्य)
इस तस्वीर को देखिए. ये एक सपने के बिखरने की कहानी है. राफा में नूर अबू अल जमर मलबे से अपने पंसदीदा पोशाक को उठाकर पत्रकारों को दिखा रही है. नूर जैसी हजारों लड़कियों के सामने अब कोई भविष्य नहीं है. एक अनुमान के अनुसार गाजा के मलबे को ही अगर पारंपरिक तरीके से हटाया जाए तो ऐसा करने में 10 साल से ज्यादा लग जाएंगे.
इजरायल हमास की इस जंग में गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 41 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें 6 हजार महिलाएं और 11 हजार बच्चे भी शामिल हैं. जबकि 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमास के हमले में 1200 इजरायली मारे गये थे. 21 जनवरी को फोटो एजेंसी AP की ओर से ली गई इस तस्वीर में मैनुल अस्लीम अपने घर के मलबे से गुजरते हुए भावुक हो गई है. (फोटो-AP)
ये तस्वीर एक युवा गाजन यूसुफ मुकदाद की है. जो राफा में इजरायली हमले में मलबे में तब्दील हो चुके अपने घर से जरूरत की चीजें हटा रहा है. जून 2024 में यूएन पर्यावरण प्रोग्राम (UNEP) ने अपने आकलन में पाया था कि इमारतों की तबाही से गाजा में 3 करोड़ 90 लाख टन मलबा पैदा हुआ है. गाजा पट्टी में अभी एक वर्ग मीटर की जमीन पर 107 किलो मलबा फैला हुआ है. (फोटो-AP)
UNEP के आकलन के अनुसार अगर इस मलबे को क्रेन, जेसीबी जैसी हैवी मशीनरी से हटाया जाता है तो इस मलबे को हटाने में 15 साल लग सकते हैं और इस काम में 4300 करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं. बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सड़कों का नेटवर्क खोलने में ही कम से कम 5 साल लग सकते हैं. (फोटो-AP, ड्रोन से ली गई गाजा पट्टी की तबाही की तस्वीर)
टूटी पानी की टंकियां, बिखरे मलबे और इन सबके बीच परंपरागत गाजन पोशाक में दिख रहा ये बुजुर्ग गाजा की हताश तस्वीर पेश करता है. अतिया अबु साइबान नाम का ये शख्स अब मलबे के बीच से तिनका तिनका उठाकर फिर से अपना आशियाना बना रहा है. (फोटो-AP)
गाजा पट्टी की सड़कें अब पगडंड़ियां बन चुकी हैं. हर घर एक टीला बन चुका है, मलबे का टीला. इजरायल-हमास के बीच घोषित हुए सीजफायर के बाद ये तस्वीर 20 जनवरी को ली गई है. इस तस्वीर में जंग की वजह से विस्थापित फिलीस्तीनी शांति स्थापित होने के बाद अपने घरों की और लौट रहे हैं. लेकिन यहां एक अंधकार भरा भविष्य इनका इंतजार कर रहा है.
कभी कारों की आवाजाही और बाजार जाने वाले राहगीरों की चहलकदमी से व्यस्त रहने वाली ये एक किलोमीटर लंबी सड़क अब सुनसान है. यहां न मार्केट का पता है और न ही दूसरी बुनियादी सिविक सुविधाएं दिख रही हैं. सीजफायर लागू हुआ तो लोग लौटने शुरू हुए. (फोटो-AP)