इजरायल ने मंगलवार रात में गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों पर हवाई हमले किए. सीमावर्ती इलाकों में फिलिस्तीनी एन्क्लेव से आग लगाने वाले गुब्बारे छोड़े जाने के बाद इजरायल ने ये हमले किए. इस ताजा हमला के चलते हमास-इजरायल में पिछले महीने 11 दिन के संघर्ष के बाद हुआ सीजफायर टूट गया.
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गाजा पट्टी में मंगलवार को हवाई हमले फिर से शुरू करने वालीं गुजराती मूल की 20 साल की नित्शा मुलियाशा इजरायल डिफेंस फोर्सेज टीम (IDF) का हिस्सा हैं. अहमदाबाद मिरर की एक रिपोर्ट के अनुसार, नित्शा मुलियाशा मूल रूप से राजकोट के मनावदार तालुका के एक गांव कोठाड़ी की रहने वाली हैं. इजरायल के तेल अवीव में रहने वालीं नित्शा मुलियाशा इजरायल की सेना में भर्ती होने वाली पहली गुजराती लड़की हैं.
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अपनी बेटी के इस ओहदे पर पहुंचने के बारे में बताते हुए नित्शा के पिता ज़ीवाभाई मुलियाशा ने इज़रायली शिक्षा प्रणाली को इसका श्रेय दिया, जिसके चलते उनकी बेटी इजरायली सुरक्षा बल का हिस्सा बनी हैं.
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जीवाभाई ने बताया कि इजरायल की स्कूली शिक्षा ने उनकी बेटी को इजरायल डिफेंस फोर्सेज की परीक्षा पास करने में मदद की. इजरायली शिक्षा के चलते ही नित्शा इजरायल डिफेंस फोर्सेज की परीक्षाओं की तैयारी बखूबी कर सकीं. इजरायली शिक्षा के चलते जीवाभाई की बेटी को उपयुक्त पाठ्यक्रम और करियर चुनने में मदद मिली.
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रिपोर्ट के मुताबिक, नित्शा को युद्ध के मैदान में आधुनिक हथियारों के इस्तेमाल और बहुआयामी युद्धाभ्यास का प्रशिक्षण दिया गया है. नित्शा के पिता जीवाभाई ने बताया, “इजरायली सेना के साथ उसका 2.4 साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद, उसे पांच साल या 10 साल की अवधि के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता होगी. इस दौरान वह योग्यता के अनुसार इंजीनियरिंग, मेडिकल या अपनी पसंद का कोर्स कर सकती है. सेना उसकी शिक्षा का पूरा खर्च उठाएगी.”
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जीवाभाई ने बताया, “नित्शा पिछले दो वर्षों में लेबनान, सीरिया, जॉर्डन और मिस्र के साथ सीमा पर तैनात रही हैं. फिलहाल वह गश डान में तैनात हैं जहां से इजरायली सेना हमास के हमले पर पलटवार कर रही है.”जीवाभाई ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी पर बहुत गर्व है और उन्हें उसकी बहुत याद आती है.
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संघर्षविराम समझौते के बावजूद हमास के ठिकानों पर फिर से इजरायली हमले की चर्चा है. प्रधानमंत्री नेफ्टाली बेनेट की नई सरकार ने यहूदी राष्ट्रवादियों को फ्लैग मार्च निकालने की अनुमति दी थी, जिसके बाद से इजरायल और फिलिस्तीन में तनाव फिर से बढ़ गया.
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असल में, हमास सहित फिलिस्तीन के कई चरमपंथी गुटों ने यहूदी राष्ट्रवादियों को मार्च निकालने की अनुमति देने का विरोध किया और चेतावनी दी थी कि अगर ऐसा हुआ तो दोनों पक्षों में फिर से तनाव भड़क जाएगा.
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इजरायली 1967 की जंग में मिली जीती और यरुशलम पर कब्जे की याद में मार्च निकालते हैं. इस मार्च को फिलिस्तीनी उकसावे का कार्यक्रम मानते हैं क्योंकि इजरायली कब्जे के बाद काफी संख्या में फिलिस्तीनियों को यरुशलम से बेदखल होना पड़ा था. फिलिस्तीन दो राष्ट्र समाधान के तहत यरुशलम को राजधानी बनाने की मांग करते हैं.
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15 जून को यहूदी राष्ट्रवादियों के मार्च निकालने से पहले फिलिस्तीनी चरमपंथी गुटों ने दक्षिणी इजरायल में आगे लगाने वाले गुब्बारे छोड़े जिससे कई जगह आग लग गई. आग लगाने वाले गुब्बाले उड़ाने पर जवाबी कार्रवाई करते हुए इजरायली सेना ने मंगललार को फिर से गाजा पट्टी में हवाई हमले किए. इजरायली सेना के हवाई हमले को अंजाम देने वालों में गुजरात की नित्शा भी शामिल थीं.
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