संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में श्रीलंका के मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर मंगलवार को हुई वोटिंग से भारत दूर रहा. हालांकि, यूएनएचआरसी में श्रीलंका के मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे पर लाए गए प्रस्ताव को कुल 47 सदस्य देशों में से 22 का समर्थन मिला. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है. जाहिर है कि श्रीलंका के लिए यह एक बड़ा झटका है.
कहा जा रहा है कि भारत के इस फैसले को लेकर विपरीत स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. चीन, पाकिस्तान और रूस ने श्रीलंका के पक्ष में मतदान किया है. इस वोटिंग को लेकर श्रीलंका ने भारत से पहले ही संपर्क किया था लेकिन भारत की तरफ से कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया था. पहले से ही अटकलें थीं कि भारत बीच का रास्ता अपनाएगा और मतदान में हिस्सा नहीं लेगा. अभी तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने वाला है और श्रीलंका में तमिलों का मुद्दा दक्षिण भारत के चुनाव में अहमियत रखता है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पास हुए प्रस्ताव में श्रीलंका में तमिलों के मानवाधिकार उल्लंघन का भी मुद्दा शामिल था. एक तरफ, श्रीलंका की सरकार लगातार अपील कर रही थी कि भारत प्रस्ताव के खिलाफ वोट करे तो दूसरी तरफ, तमिल नेशनल एलायंस ने भारत से प्रस्ताव को समर्थन देने की मांग की थी. तमिल नेशनल एलायंस ही उत्तरी और पूर्वी श्रीलंका के गृह युद्ध से प्रभावित तमिलों का प्रतिनिधित्व कर रहा है. श्रीलंका की सरकार ने वोटिंग से पहले कहा था कि भारत ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने का आश्वासन दिया है. हालांकि, भारत की तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई थी.
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबर ने तीन दिन पहले ही ट्वीट कर कहा था कि भारत को तमिलों के समर्थन में श्रीलंका के खिलाफ मतदान करना चाहिए. चिदंबरम तमिलनाडु के ही हैं लेकिन अभी सत्ता से बाहर हैं. बीजेपी नेता सुब्रम्णयम स्वामी ने वोटिंग से बाहर रहने पर मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है. स्वामी ने ट्वीट कर कहा, ''मोदी सरकार को वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब: ''कैसे अपने दोस्तो को खोएं और दुश्मनों को बढ़ावा दें.'' यह किताब अमेरिकी लेखक डेल कॉर्निगी की किताब: ''हाउ टू विन फ्रेंड एंड इन्फ्लुएंस द पीपल'' के जवाब में होगी. हमने नेपाल, भूटान, श्रीलंका को खो दिया है और चीन, पाकिस्तान को बढ़ावा दिया है.''
Modi's govt should write a book a global best seller: "How to lose friends and encourage enemies" to counter Dale Carnegie's "How to win friends and influence the people". We have lost Nepal, Bhutan, Sri Lanka and encouraged China[Depsang] and Pakistan[Army joint exercise]
— Subramanian Swamy (@Swamy39) March 23, 2021
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में हुए मतदान से पहले भारतीय प्रतिनिधिदल ने एक बयान जारी कर कहा था, 'श्रीलंका में मानवाधिकार के सवाल को लेकर भारत की राय दो बातों पर आधारित है- एक श्रीलंका में तमिलों की बराबरी, न्याय, गरिमा और शांति के लिए समर्थन और दूसरा श्रीलंका की एकता, स्थिरता और क्षेत्रीय अखंडता को सुनिश्चित करना. हमारा हमेशा से ये मानना रहा है कि ये दोनों लक्ष्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और इन दोनों की एक साथ पूर्ति के साथ ही श्रीलंका की प्रगति सुनिश्चित होगी.'
बयान में कहा गया, भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय की इस मांग का समर्थन करता है कि श्रीलंका की सरकार से 13वें संविधान के मुताबिक प्रांतीय परिषदों के चुनाव कराने और उनके सुचारू रूप से काम करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पूरी करे. भारत ने कहा कि श्रीलंका तमिलों की महत्वाकांक्षा को तवज्जो दे और बुनियादी आजादी के साथ सभी नागरिकों के मानवाधिकारों को सुनिश्चित करे.
इस प्रस्ताव के खिलाफ कुल 11 देशों ने मतदान किया. चीन और पाकिस्तान ने भी श्रीलंका की सरकार को समर्थन देते हुए प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग की. वहीं, भारत समेत 14 देश मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र में श्रीलंका को लेकर लाए गए प्रस्ताव के लिए ई-वोटिंग का भी इस्तेमाल किया गया. कोरोना महामारी की वजह से इस सत्र का आयोजन भी वर्चुअली ही किया गया था.