भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में तल्खी कायम है, लेकिन दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने की कवायद भी जारी है. भारत से व्यापारिक रिश्ते शुरू करने की इकॉनोमिक कॉर्डिनेशन कमेटी (ECC) के प्रस्ताव को प्रधानमंत्री इमरान खान की कैबिनेट की तरफ से स्थगित किए जाने से दोनों देशों का मनमुटाव सामने भी आया है. लेकिन नौकरशाहों का मानना है कि इस तरह के घटनाक्रम अस्थायी है, चीजें बेपटरी नहीं हुई हैं. (फाइल फोटो-भारतीय विदेश मंत्रालय)
समाचार पत्र डॉन ने पाकिस्तान में रेड जोन के सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य होने का भरोसा इसलिए भी है क्योंकि दोनों तरफ से इसे लेकर काफी प्रयास किए गए हैं. जिस तरह से दिल्ली में संसद के आसपास के इलाकों को लुटियन जोन कहा जाता है उसी तरह इस्लामाबाद के उस इलाके को रेड जोन कहा जाता है जहां मंत्रालयों के दफ्तर मौजूद हैं. (फाइल फोटो-PTI)
सूत्रों का कहना है कि पिछले सप्ताह भारत से चीनी और कपास के आयात को लेकर मचा बवाल सिर्फ कन्फ्यूजन की वजह से हुआ. असल में पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा था कि भारत से चीनी और कपास के आयात से फायदा होगा. लेकिन गड़बड़ी यह हुई कि वाणिज्य मंत्रालय की कमेटी ने आवश्यक नियमों का पालन नहीं किया. इकोनॉमिक कॉर्डिनेशन कमेटी को अपना विचार देने से पहले उसने विदेश मंत्रालय से संपर्क नहीं किया. (फाइल फोटो-PTI)
दूसरा कन्फ्यूजन यह हुआ कि वाणिज्य सलाहकार ने कहा कि पीएम पहले ही कारोबार शुरू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे चुके हैं. नतीजा यह हुआ कि कैबिनेट बैठक में विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने नाराजगी जाहिर की. लेकिन पाकिस्तानी रेड जोन के सूत्रों का कहना है कि इस मामले को वाणिज्य मंत्रालय ने ठीक से हैंडल नहीं किया. पाकिस्तानी अधिकारियों को इस बात से राहत है कि नई दिल्ली ने इस मसले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किए. हालांकि यह भी सच है कि मरान खान सरकार को विपक्ष और कट्टरपंथियों के विरोध के चलते झूकना पड़ा और भारत से कारोबार का फैसला वापस लेना पड़ा. (फाइल फोटो-PTI)
पाकिस्तान में उच्च सूत्रों का कहना है कि दोनों देशों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू करने की प्रक्रिया 2018 में शुरू हुई थी. नई दिल्ली और इस्लामाबाद में बैठे अफसरों ने तनाव कम करने और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए संपर्क साधना शुरू किया था. यह प्रक्रिया 2019 के अगस्त चली. लेकिन जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने से यह प्रक्रिया अचानक थम गई.
दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच रिश्तों को लेकर साल 2019 मुश्किल भरा रहा. हालांकि, प्रधानमंत्री इमरान खान सहित टॉप पाकिस्तानी अफसर यह कहते रहे हैं कि पाकिस्तान मसलों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए तैयार है, लेकिन जम्मू-कश्मीर की कीमत पर नहीं. पाकिस्तानी अफसरों के मुताबिक, यह कहना सरल नहीं है और दोनों पक्षों को अहसास है कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बातचीत मुमकिन होती है.
इसी तर्क ने भारत और पाकिस्तान को फिर से इस साल मार्च से रिश्तों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया शुरू करने को प्रेरित किया. सूत्रों का दावा है कि इसके तहत दोनों देशों के अधिकारी भारत और पाकिस्तान के बाहर मिले और चर्चा हुई. इस प्रक्रिया को कुछ प्रभावशाली देशों ने प्रोत्साहित किया, जिन्होंने दोनों पड़ोसियों से आग्रह किया है कि वे अपने कठिन समय में बातचीत को जारी रखें. इन बैठकों ने उन मुद्दों पर तनाव को कम करने और संवाद में मदद की, जो सार्वजनिक रूप से जाहिर थे. इसी क्रम में अभी अमेरिका ने भी भारत-पाकिस्तान में सीधी वार्ता की हिमायत की है.
जैसा कि उम्मीद की जा रही थी, 2018 से अगस्त 2019 तक कई चरण में वार्ता हुई थी. दूसरे चरण में पाकिस्तान ने कश्मीर के मसले पर जोर देना शुरू किया. इस्लामाबाद में भीतरी सूत्रों का दावा है कि भारतीय अधिकारी पाकिस्तान की सभी बातें सुनने को तैयार हैं और उन्होंने बड़े सकारात्मक तरीके से प्रतिक्रिया दी है. (फाइल फोटो-Getty Images)
हालांकि इसका खुलासा नहीं किया गया है कि भारत और पाकिस्तान के अधिकारी कहां मिले? लेकिन दावा किया जा रहा है कि इस वार्ता में दोनों देश स्थिति को सामान्य बनाने पर राजी हुए. यह भी दावा किया जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी कश्मीर जाएंगे और कई योजनाओं का ऐलान करेंगे. (फाइल फोटो-PTI)
इस बातचीत के दौरान भारतीय अधिकारियों ने सीमा पार आतंकवाद का मसला भी उठाया. पाकिस्तानी अधिकारियों ने भारत को आश्वासन दिया है कि वो किसी भी गैर सरकारी तत्व को किसी भी सशस्त्र गतिविधि में शामिल नहीं होने की नीति का सख्ती से पालन कर रहा है. (फाइल फोटो-PTI)
विभिन्न स्थानों पर चली कई दौर की बैठकों के नतीजे भी देखने को मिले. 2021 के शुरू में नियंत्रण रेखा पर भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर को फिर से बहाल किया गया. दोनों देशों के बीच सीजफायर को लेकर 2003 में करार हुआ था. इस फैसले से सभी हैरान थे लेकिन यह वास्तव में बातचीत का नतीजा था. आगे और नतीजे देखने को मिलेंगे. यही वजह है कि भारत पाकिस्तान को कोरोना वैक्सीन भेजने पर भी राजी हो गया है. भारत ने श्रीलंका जाने के लिए पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए अपने एयर स्पेस को खोलने की मंजूरी भी दी. दोनों देशों के पीएम के बीच पत्राचार भी हुआ. ये सारी घटनाएं इस बात की गवाह हैं कि दोनों देशों ने रिश्तों को सामान्य बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. (फोटो-PTI)
इस साल के अंत में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के पाकिस्तान जाने की भी चर्चा थी. पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने भी अतीत को भूलाते हुए रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की बात कही थी. पाकिस्तानी अधिकारियों का मानना है कि बैक चैनल के जरिये बातचीत से विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जा सकता है. (फोटो-PTI)