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विश्व

कश्मीर मामले में पाकिस्तान ने किया सऊदी अरब का इस्तेमाल

Pakistan India Saudi Arabia
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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को भारत का आंतरिक मामला बताकर अपने देश में फजीहत झेल चुके पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने दोनों देशों के बीच बातचीत के लिए सऊदी अरब को मध्यस्थ बनाए जाने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान भारत के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए सऊदी अरब को तीसरा पक्ष बनाने के कदम का स्वागत करेगा. 

(फोटो-AP)
 

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अरब न्यूज के मुताबिक, इस्लामबाद में एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में मंगलवार को शाह महमूद कुरैशी ने कहा, 'सऊदी अरब पाकिस्तान का दोस्त है और भारत के साथ उसके मजबूत व्यापारिक संबंध हैं. भारत सऊदी अरब से तेल का बड़ा आयातक है. अगर सऊदी अरब या कोई अन्य देश सूत्रधार की भूमिका निभाना चाहता है, तो हम पहल का स्वागत करेंगे.'

(फोटो-AP)

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इससे पहले, शाह महमूद कुरैशी ने अनुच्छेद 370 हटाने को भारत का आंतरिक मसला बताने पर अब सफाई पेश की थी. उनका कहना था कि जम्मू-कश्मीर से जुड़ा कोई भी मामला भारत का आंतरिक मुद्दा नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा, "मैं साफ करना चाहता हूं कि जम्मू-कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे में अंतरराष्ट्रीय विवाद माना गया है. संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह के जरिये ही इस विवाद का अंतिम समाधान हो सकता है. जम्मू-कश्मीर से जुड़ा कोई भी विषय भारत का आंतरिक मुद्दा नहीं हो सकता है."

(फोटो-AP)

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असल में, भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था. इस पर सबसे ज्यादा आपत्ति पाकिस्तान ने जताई थी. पाकिस्तान ने भारत के अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी समर्थन जुटाने की तमाम कोशिशें कीं लेकिन असफल रहा. यहां तक कि उसको इस्लामिक देशों का भी साथ नहीं मिला. सऊदी अरब ने भी 370 के मसले पर पाकिस्तान का समर्थन नहीं किया था. 

(फोटो-AP)

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फिलहाल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अभी सऊदी अरब से तीन दिन की यात्रा के बाद लौटे हैं. इमरान खान की यात्रा के दौरान पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं. 2018 के बाद यह पहली मर्तबा है जब पाकिस्तान को सऊदी अरब के साथ अपने रिश्ते पटरी पर आते दिख रहे हैं. प्रधानमंत्री इमरान खान की हालिया यात्रा के बारे में पूछे जाने पर शाह महमूद कुरैशी ने कहा भी कि इससे उन तत्वों को झटका लगा है जो दोनों देशों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश में लगे हुए थे. 

(फोटो-Getty Images)

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शायद यही वजह है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारत से रिश्तों को सुधारने के लिए सऊदी अरब का इस्तेमाल कर रहा है. शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच बातचीत के लिए पाकिस्तान तीसरे पक्ष को सूत्रधार बनाने को तैयार है. लेकिन यह भारत ही है जो हमेशा इससे दूर रहा है.

(फोटो-AP)
 

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इस बीच, प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि पाकिस्तान तब तक भारत के साथ बातचीत नहीं करेगा, जब तक नई दिल्ली जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के अपने फैसले को वापस नहीं लेती है. 

(फोटो-AP)

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इमरान खान ने लाइव प्रसारण सत्र के दौरान जनता से सवालों का जवाब देते हुए कहा कि जब तक भारत 5 अगस्त 2019 को उठाए गए कदमों (अनुच्छेद 370 को निरस्त) से पीछे नहीं लेता है...पाकिस्तानी सरकार भारत से बात नहीं करेगी.

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भारत हमेशा कहता रहा है कि जम्मू-कश्मीर उसका अभिन्न हिस्सा है और भारत अपनी समस्या को सुलझाने में सक्षम है. भारत, पाकिस्तान से लगातार कहता रहा है कि वह आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त वातावरण में पड़ोसी देशों से संबंधों की इच्छा रखता है.

(फाइल फोटो-PTI)

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Indo-Pak relations
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पांच अगस्त, 2019 को भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था. राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन के ऐलान के बाद भारत-पाक संबंध बिगड़ गए थे. भारत ने यह सुनिश्चित किया है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 से संबंधित मुद्दा पूरी तरह से देश का आंतरिक मामला है.

(फाइल फोटो-PTI)

Indo-Pak relations
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हालांकि, हाल ही में दोनों मुल्कों के रिश्तों में कुछ सुधार हुए हैं जब दोनों देश नियंत्रण रेखा पर शांति बहाल करने के लिए फरवरी में सहमत हुए थे. कहा जाता है कि भारत-पाकिस्तान के अधिकारियों ने तनाव कम करने के लिए बैक चैनल डिप्लोमेसी के माध्यम से बातचीत की है जिसमें संयुक्त अरब अमीरात (UAE)की अहम भूमिका रही है.

(फाइल फोटो-PTI)

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