पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भले ही कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को भारत का आंतरिक मसला मान रहे हों, लेकिन पाकिस्तान के थिंक टैंक अब भी अपने पुराने रवैये पर अड़े हुए हैं. माना जा रहा है कि भारत-पाकिस्तान के बीच बेपटरी हो चुके द्विपक्षीय रिश्तों को बहाल करने के लिए पीछे के दरवाजे से बातचीत की प्रक्रिया चल रही है. लेकिन पाकिस्तान के एक तबके में इस वार्ता को लेकर कई तरह की आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं. पाकिस्तानी पक्ष की 'रणनीतिक अस्पष्टता' के चलते दोनों देशों में संवाद की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी या नहीं, इसे लेकर अनिश्चिता का डर बना हुआ है.
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यह डर इसलिए भी कायम है क्योंकि पिछले दरवाजे से दोनों देशों के बीच क्या चर्चा हुई, इसका कोई विवरण उपलब्ध नहीं है. एक पाकिस्तानी थिंक टैंक का मानना है कि इस पूरी प्रक्रिया को लेकर भारत का इरादा स्पष्ट नहीं है. कश्मीर विवाद को सुलझाने में मदद करने वाली प्रक्रिया के बारे में निराशावाद कायम है.
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डॉन के मुताबिक इस्लामाबाद पॉलिसी इंस्टीट्यूट (IPI) के वेबिनार में यह चिंता जाहिर की गई. 'भारत-पाकिस्तान में पिछले दरवाजे से वार्ता' विषय पर चर्चा के दौरान विश्लेषकों ने दोनों देशों के रिश्तों में अनिश्चिता को लेकर अपनी आशंका जाहिर की. जारी बयान में बताया गया कि थिंक टैंक ने आगे बढ़ने से पहले भारतीय इरादों का पता लगाने पर जोर दिया.
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इस चर्चा में पाकिस्तान के पूर्व रक्षा सचिव और सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल आसिफ यासीन मलिक, संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की पूर्व स्थायी प्रतिनिधि और ब्रिटेन, अमेरिका की राजदूत रहीं डॉ. मालिहा लोधी, भारत में तैनात रहे पूर्व दूत और जर्मनी में राजदूत अब्दुल बासित ने ये चिंताएं जाहिर की हैं.
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Interesting discussion in webinar on PAkistan-India relations hosted by Islamabad Policy Institute this afternoon Joined by Amb Abdul BAsit and moderated by Gen Asif Yasin pic.twitter.com/OWCwvCm3Ig
— Maleeha Lodhi (@LodhiMaleeha) April 30, 2021
असल में, भारत-पाकिस्तान में बैक चैनल के जरिये बातचीत किए जाने की बात कही जा रही है. दोनों देशों के बीच शांति वार्ता शुरू करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात बड़ी भूमिका निभा रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत-पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच वार्ता का आयोजन दुबई में किया गया था जिसमें UAE की भूमिका थी.
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पिछले दरवाजे से बातचीत का अब तक नतीजा यह रहा है कि नियंत्रण रेखा (LoC) पर सीजफायर का ऐलान किया गया है. लंबे अंतराल के बाद भारत-पाकिस्तान स्थायी सिंधु आयोग की बैठक का आयोजन हुआ. भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच संदेश का आदान-प्रदान हुआ है. इस्लामाबाद में आयोजित सिक्योरिटी डायलॉग में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा ने भारत को लेकर शांति प्रक्रिया की दिशा में आगे बढ़ने का संकेत दिया. इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने अतीत को दरकिनार करते हुए शांति बहाली की प्रक्रिया पर जोर दिया था.
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बहरहाल, जनरल आसिफ यासीन मलिक ने इस बातचीत के दौरान कश्मीर का राग अलापा. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान का शांति को लेकर रुख अलग-अलग है. भारत के साथ शांति समझौता कश्मीर की कीमत नहीं हो सकता है.
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डॉ. मलिहा लोधी ने मोदी सरकार द्वारा सभी मुद्दों पर बात करने की तत्परता के बारे में पाकिस्तान में व्यक्त किए जा रहे आशावाद को साझा नहीं किया. हालांकि मलिहा लोधी भी कश्मीर मुद्दे के ईर्द-गिर्द घुमती रहीं. उन्होंने कहा, यह पता लगाया जाना चाहिए कि वास्तव में इसका क्या मतलब है जब वे कहते हैं कि भारत सभी मुद्दों पर बात करने के लिए तैयार है. खैर भारत हमेशा सभी मुद्दों पर बात करने के लिए तैयार रहता है. लेकिन क्या वह कश्मीर मसले पर बात करना चाहेगा.
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राजदूत अब्दुल बासित ने कहा कि पाकिस्तान से बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने का भारतीय कदम रणनीतिक है. इसलिए, पाकिस्तानी वार्ताकारों ने वार्ता में भाग लिया. बासित ने पाकिस्तान को सुझाव दिया कि उन्हें हर कदम पर और अधिक चौकस होने की जरूरत है. "अगर हम ऐसी स्थिति में निवेश (वार्ता प्रक्रिया) करते हैं, जहां हम औपचारिक वार्ता, संरचनात्मक बातचीत के एक और दौर के लिए सहमत होते हैं, तो यह हमें कहीं नहीं ले जाएगा. इस स्तर पर जोर इस बात पर होना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर का रोडमैप क्या होगा.
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अब्दुल बासित ने कहा कि भारत को विवाद से निपटने के बारे में गंभीरता दिखाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हुर्रियत नेतृत्व की रिहाई और उनके लिए विदेश यात्रा की अनुमति इसका एक संकेत हो सकता है कि भारत इस मुद्दे को हल करने के लिए तैयार है. कश्मीर मुद्दे के समाधान के बिना असल शांति हासिल नहीं की जा सकती.
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