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विश्व

15 अगस्त पर पीएम मोदी ने लद्दाख पर सुनाई थी खरी-खरी, अब क्या बोला चीन?

15 अगस्त पर पीएम मोदी ने लद्दाख पर सुनाई थी खरी-खरी, अब क्या बोला चीन?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस को लेकर दिए गए भाषण को लेकर अब चीन ने प्रतिक्रिया दी है. स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने अपने भाषण में सैन्य ताकत मजबूत करने के साथ कहा था कि देश की संप्रुभता सर्वोपरि है. चीन ने सोमवार को कहा है कि वह भारत के साथ मतभेद सुलझाने और आपसी विश्वास बढ़ाने को लेकर काम करने के लिए तैयार है.
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पीएम मोदी ने बिना चीन का नाम लिए लद्दाख में सैन्य संघर्ष का जिक्र किया था. पीएम मोदी ने कहा था, इतनी आपदा के बाद भी सीमा पर देश के सामर्थ्य को चुनौती देने की गंदी कोशिश हुई. लेकिन LoC से लेकर LAC तक देश की संप्रभुता पर जिस किसी ने भी आंख उठाई, देश की सेना ने हमारे वीर जवानों ने उसका उसी की भाषा में जवाब दिया है. भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरा देश एक जोश से भरा हुआ है. इस संकल्प के साथ हमारे वीर जवान क्या कर सकते हैं और देश क्या कर सकता है, ये लद्दाख में दुनिया ने देख लिया है.
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मोदी के भाषण पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, हमने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को सुना है. हम पड़ोसी हैं और एक अरब से ज्यादा की आबादी वाले उभरते हुए देश हैं.

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झाओ ने सोमवार को नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा, भारत-चीन के संबंधों के विकास से ना केवल दोनों देशों के लोगों के हितों की पूर्ति होगी बल्कि पूरे क्षेत्र और विश्व में शांति, स्थिरता और समृद्धि भी आएगी. दोनों पक्षों के लिए सही रास्ता यही है कि हम एक-दूसरे का सम्मान करें और एक-दूसरे को सहयोग करें ताकि आने वाले वक्त में हमारे हितों की पूर्ति हो सके. इसलिए चीन भारत के साथ अपने मतभेद सुलझाने, राजनीतिक विश्वास को बढ़ाने और दीर्घ अवधि के लिए द्विपक्षीय संबंधों के विकास पर काम करने के लिए तैयार है.
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पीएम मोदी के भाषण की चीनी मीडिया में भी चर्चा हो रही है. चीन की सरकारी मीडिया में कहा गया है कि मोदी के भाषण का विश्लेषण करने के बाद ही चीन को तय करना चाहिए कि अगला कदम क्या उठाना है.

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चीन की सरकार के मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में शंघाई इंस्टिट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के शोधकर्ता झाओ गेंचेंग ने लिखा, चीन और भारत के बीच 8 अगस्त को सैन्य स्तर की वार्ता के बाद भारत ने अपने रुख में कोई तब्दीली का संकेत नहीं दिया है. इसी के साथ, चीन भी अपने रुख पर कायम है. दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर टकराव अभी बना हुआ है, ऐसे में मोदी के अगले कदम से ही उनके असली इरादों का पता चलेगा.

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झाओ ने पीएम मोदी के भाषण को लेकर कहा कि इसकी व्याख्या दो तरह से की जा सकती हैं. उन्होंने लिखा है, एक तो ये है कि मोदी ज्यादा सख्त हो गए हैं और आर-पार के मूड में हैं. दूसरा ये कि भारत सरकार को लग रहा है कि चीन के खिलाफ अब तक उठाए गए कदम पर्याप्त हैं. इसलिए मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में जो कहा, वो उतना महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन उनका अगला कदम क्या होगा, ये ज्यादा अहम है.

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