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विश्व

चीन की अब इस छोटे देश से तनातनी, फजीहत पर दी सफाई

 Chin-Malaysia
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वियतनाम, फिलिपींस, ब्रूने और ताइवान के बाद चीन का मलेशिया के साथ भी तनाव बढ़ गया है. अपने हवाई क्षेत्र में चीनी लड़ाकू विमानों के घुसने पर मलेशिया ने कड़ा विरोध जताया है. मलेशिया के विदेश मंत्री हिशामुद्दीन हुसैन ने बताया कि चीन के 16 लड़ाकू विमान बोर्नियो द्वीप पर सरवाक के तट से 110 किलोमीटर अंदर तक आ गए थे. चेतावनी दिए जाने के बावजूद वे सीमा से नहीं निकले. मलेशिया ने इस मसले पर चीन के राजदूत को तलब कर विरोध प्रकट किया है. मलेशिया के विदेश मंत्री हिशामुद्दीन हुसैन ने इसे 'मलेशियाई हवाई क्षेत्र और संप्रभुता के उल्लंघन' का मामला बताया है. 

(Photo Credit: Getty Images) 
 

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असल में, रॉयल मलेशियन एयरफोर्स की तरफ से फाइटर प्लेन भेजे जाने के बाद चीन के लड़ाकू विमान वापस लौटे. मलेशिया के विदेश मंत्री ने बयान जारी कर चीनी राजदूत तो तलब किया. मलेशिया के विरोध जताए जाने पर चीन ने कहा कि उसके लड़ाकू विमान नियमित ट्रेनिंग के तहत उड़ान पर थे. चीन ने कहा कि उसने न किसी देश को निशाना बनाया और न ही किसी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन किया है.   


(Photo Credit: Getty Images) 

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मलेशिया में चीन के राजदूत ओयांग युजिंग को 3 जून को तलब किया गया था. मलेशिया ने 31 मई की घटना को लेकर चीन के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया. मलेशिया ने चीन के राजदूत से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है.

(Photo Credit: Getty Images)

 

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यह घटना दक्षिण चीन सागर में बॉर्नियो के ऊपर की है जहां दोनों देशों के बीच दावे को लेकर विवाद है. बीजिंग दक्षिणी चीन सागर में मलेशिया के सीमावर्ती प्रांत सबा और सरवाक तक दावा करता रहा है. लेकिन दक्षिण पूर्व एशियाई देश दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध मानते हैं.

(Photo Credit: Getty Images) 

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रॉयल मलेशियन एयरफोर्स (RMAF) का कहना है कि मलेशिया के हवाई सरहद सरवाक में चीन के फाइटर जेट 31 मई को सुबह 11.53 बजे देखे गए. जब बार-बार बोलने पर भी चीन के विमान नहीं लौटे तो मलेशिया ने अपने फाइटर जेट भेजे. मलेशिया ने कहा कि यह घटना राष्ट्रीय संप्रभुता और उसकी हवाई सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है. मलेशिया ने चीनी एयरफोर्स के विमानों को इंटरसेप्ट करने के बाद अपने फाइटर जेट दौड़ा दिए. तब जाकर चीन के विमान लौटे. फजीहत होते देख चीन ने सफाई दी है कि उसके विमान नियमित ट्रेनिंग उड़ान पर थे. 

(Photo Credit: Getty Images) 
 

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मलेशिया में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि चीनी विमानों ने किसी नियम कानून का उल्लंघन नहीं किया है बल्कि नियमों के मुताबिक उनके विमान उड़ान भर रहे थे. उन्होंने कहा, "चीन और मलेशिया पड़ोसी हैं और उनके बीच का रिश्ता दोस्ताना है. चीन क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए मलेशिया के साथ द्विपक्षीय बातचीत जारी रखने का इच्छुक है."

(Photo Credit: Getty Images) 

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बीजिंग में, चीनी विदेश मंत्रालय ने आरोपों को खारिज कर दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने एक ब्रीफिंग में कहा, 'मेरी जानकारी में चीनी वायु सेना के विमान दक्षिण में नन्शा द्वीप समूह के ऊपर नियमित ट्रेनिंग की उड़ान पर थे. इसके जरिये किसी देश को निशाना नहीं बनाया गया.' वांग वेनबिन ने कहा, 'प्रशिक्षण के दौरान, चीन की वायु सेना ने अंतरराष्ट्रीय कानून का सख्ती से पालन किया और किसी अन्य देश के हवाई क्षेत्र में एंट्री नहीं मारी. चीनी पक्ष ने इस पर मलेशिया से बातचीत की है.  

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साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक चीनी सैन्य विमान पहले भी इस इलाके में नियमित उड़ान भरते रहे हैं. लेकिन इनमें फाइटर जेट शामिल नहीं होते थे. सोशल मीडिया पर कुछ क्षेत्रीय पर्यवेक्षकों ने चीनी युद्धाभ्यास की आलोचना की है. पर्यवेक्षकों का कहना है कि कोरोना की बिगड़ती स्थिति से मलेशिया जूझ रहा है. मलेशिया में लॉकडाउन है. ऐसे समय में चीन को ऐसे किसी भी कदम से बचना चाहिए. 
 

(Photo Credit: Getty Images) 
 

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सिंगापुर स्थित समुद्री सुरक्षा विश्लेषक कॉलिन कोह ने ट्विटर पर लिखा, 'चीन मलेशिया के कोरोना संकट से पूरी तरह वाकिफ है. मलेशिया में तीसरी बार लॉकडाउन लागू है. इस हालात में इस तरह का कदम न केवल मलेशिया के खिलाफ एक बड़ी धमकी के तौर पर देखी जाएगी बल्कि अवसरवादी भी मानी जाएगी.'

(Photo Credit: Getty Images)

 

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अभी तक दक्षिण चीन सागर के मसले पर मलेशिया और चीन के बीच बड़ी तल्खी देखने को नहीं मिली थी. अभी तक वियतनाम, फिलिपींस, ब्रूने और ताइवान के साथ चीन का तनाव दिखता था. लेकिन 31 मई की घटना के जरिये चीन ने मलेशिया से भी अपने रिश्ते खराब कर लिए.  

(Photo Credit: Getty Images) 

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