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विश्व

भारत को संयुक्त राष्ट्र में मिली बड़ी जीत, पाकिस्तान को झटका

UN General Assembly
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मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के अध्यक्ष चुने गए हैं. वह यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली के 76वें सत्र के अध्यक्ष होंगे. मालदीव को कुल 143 वोट मिले जबकि अफगानिस्तान को कुल 48 वोट पड़े. शाहिद अब्दुला सितंबर में अपना कार्यभार संभालेंगे. शाहिद अब्दुल्ला की जीत पर भारत ने बेहद खुशी जाहिर की है. अब्दुल्ला शाहिद यूएनजीए के अध्यक्ष वोल्कन बोज्किर की जगह लेंगे जिन्होंने हाल में कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान की तरफदारी की थी.

(फोटो-Getty Images)
 

UN General Assembly
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कश्मीर पर बयान देने के बाद भारत ने वोल्कन बोज्किर को आड़े हाथों लिया था. महासभा के मौजूदा अध्यक्ष और तुर्की के पूर्व विदेश मंत्री वोल्कन बोज्किर ने पाकिस्तान से कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में जोरशोर से उठाने की हिमायत की थी, जिस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा था कि संयुक्त राष्ट्र के अध्यक्ष का इस तरह का बयान देना अवांछनीय है. इससे उनका कद घटता है. अब वोल्कन बोज्किर का जाना और मालदीव के अब्दुल्ला शाहिद का यूएनजीए का अध्यक्ष चुना जाना भारत के लिए राहत की बात है जबकि पाकिस्तान के लिए इसे झटके के तौर पर देखा जा रहा है. 

(फोटो-ट्विटर/@AmbMudallali)

UN General Assembly
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यही वजह है कि अब्दुल्ला शाहिद की जीत का विशेष रूप से नई दिल्ली में स्वागत किया गया, जहां भारतीय राजनयिक पर्दे के पीछे से मालदीव के पक्ष में प्रचार में मदद कर रहे थे. जब मालदीव ने एक साल पहले 76वीं महासभा के अध्यक्ष पद के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा की थी, तब से ही भारत उनके प्रचार में जुटा हुआ था. 

(फोटो-Getty Images)

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अब्दुल्ला शाहिद की संयुक्त राष्ट्र में जीत भारत के लिए अच्छा माना जा रहा है. उम्मीद की जा रही है कि सितंबर 2022 तक संयुक्त राष्ट्र में शाहिद के रहने से उनका भारत के साथ समन्वय अच्छा रहेगा. भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 2022 तक सदस्य रहेगा. लिहाजा, संयुक्त राष्ट्र में मालदीव और भारत में अच्छा समन्वय रहेगा.  

(फोटो-Getty Images)

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भारत और मालदीव में राजनयिक स्तर पर काफी नजदीकी है. द हिंदू ने सूत्रों के हवाले से पुष्टि की है कि मालदीव संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप-स्थायी प्रतिनिधि नागराज नायडू को शाहिद के निजी सचिव के तौर पर नियुक्त करने के लिए भारतीय मिशन से चर्चा कर रहा है.

(फोटो-@MVPMNY)

UN General Assembly
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ऐसा पहली दफा है, जब मालदीव का प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र महासभा का अध्यक्ष बनने जा रहा है. मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ने इस जीत को "शानदार" और "मालदीव के लिए सम्मान" करार दिया है. तो पूर्व राष्ट्रपति और मालदीव के स्पीकर मोहम्मद नशीद ने कहा कि यह छोटे द्वीप और जलवायु के लिहाज से संवेदनशील देशों के लिए एक "महान दिन" है.

(फोटो-Getty Images)

UN General Assembly
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भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “यह मालदीव की स्थिति के रूप में खुद (अब्दुल्ला शाहिद) के कद का एक प्रमाण है. हम बहुपक्षवाद और इसके (संयुक्त राष्ट्र) आवश्यक सुधारों को मजबूत करने के लिए उनके साथ काम करने को लेकर आशान्वित हैं."

(फोटो-AP)

 

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भारत की कश्मकश!

असल में, दिसंबर 2018 में ही मालदीव ने अपनी ओर से अध्यक्ष पद के लिए अब्दुल्ला शाहिद का नाम प्रस्तावित किया था. उस दौरान कोई भी प्रत्याशी इस कतार में नहीं था. भारत ने इस चुनाव में मालदीव को समर्थन देने का निर्णय लिया था. तब उस वक्त वे अकेले ही इस चुनाव में हिस्सा लेने जा रहे थे. लेकिन जनवरी में भारत के लिए अजीबोगरीब स्थिति तब पैदा हो गई जब अफगानिस्तान के विदेश मंत्री जालमी रसूल भी इस लड़ाई में उतर गए. 

(फोटो-AP)

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भारत ने अफगानिस्तान की सरकार को यह स्पष्ट कर दिया था कि उनके विदेश मंत्री जालमी रसूल का समर्थन करने में असमर्थ है. क्योंकि भारत ने नवंबर 2020 में ही सार्वजनिक रूप से मालदीव के लिए अपने समर्थन का ऐलान कर दिया था जबकि अफगानिस्तान ने इस साल जनवरी में अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया था. 

(फोटो-Getty Images)

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संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी की अफगानिस्तान की तरफ से घोषणा ने एशिया प्रशांत में एक अजीबोगरीब खींचतान की स्थिति पैदा कर दी थी. भारत के लिए असहजता की स्थिति इसलिए हो गई क्योंकि उसके दोनों देशों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं.

(फोटो-Getty Images)

UN General Assembly
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सूत्रों का कहना है कि अफगानिस्तान की तरफ से संयुक्त राष्ट्र आमसभा के अध्यक्ष के पद के लिए उम्मीदवार उतारना हैरान करने वाला था. मालदीव के लिए भी यह महत्वपूर्ण था क्योंकि अभी तक उसके यहां से कोई भी इस पद पर अध्यक्ष नहीं चुना गया है. सूत्रों ने कहा, 'मालदीव और अफगानिस्तान दोनों के भारत के साथ गहरे संबंध हैं और दोनों उम्मीदवार भारत के मित्र हैं. हालांकि, चूंकि भारत ने पहले ही मालदीव को ऐसे समय में अपना समर्थन देने का वादा किया था जब कोई अन्य उम्मीदवार मैदान में नहीं था, लिहाजा भारत ने मालदीव के पक्ष में मतदान किया.'

(फोटो-Getty Images)
 

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