मोरक्को के प्रधानमंत्री साद एडिन अल-ओथमानी ने इजरायल-फिलिस्तीन के बीच संघर्षविराम को चरमपंथी गुट हमास के लिए 'जीत' करार दिया है. मोरक्को के प्रधानमंत्री ने हमास नेता को व्यक्तिगत तौर पर मुबारकबाद भेजी है. उन्होंने हमास नेता को भेजे संदेश में सीजफायर को यहूदी देश पर जीत बताया है.
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वाईनेट न्यूज साइट की रिपोर्ट के अनुसार, मोरक्को के प्रधानमंत्री साद एडिन अल-ओथमानी ने शनिवार को हमास नेता इस्माइल हनीयेह को एक पत्र भेजा था. पत्र में उन्होंने फिलिस्तीनी लोगों द्वारा हासिल की गई जीत और संघर्षविराम समझौते के बाद अपनी "हार्दिक बधाई" दी है.
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टाइम्स ऑफ इजरायल के मुताबिक, मोरक्को ने पिछले साल ही इजरायल के साथ अपने रिश्ते सामान्य किए थे. अब मोरक्को के पीएम ने हमास को बधाई दी है. मोरक्को 2020 में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और बहरीन के बाद अमेरिकी मध्यस्थता में इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य करने वाला तीसरा अरब देश बन गया था. इसके बदले में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पश्चिमी सहारा में मोरक्को की संप्रभुता को मान्यता प्रदान की थी, जिसका उसे काफी दिनों से इंतजार था. इजरायल और मोरक्को भविष्य में एक दूसरे के देशों में दूतावास स्थापित करने की योजना बना रहे हैं.
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मोरक्को से पहले ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खुमैनी ने इजरायल के सीजफायर को फिलिस्तीन की जीत करार दिया था. उन्होंने इजरायल के साथ संघर्षविराम के प्रभावी होने के बाद गाजा पट्टी में फिलिस्तीनियों को मुबारकबाद भेजी थी. मोरक्को के पीएम की तरह ही खुमैनी ने इस युद्धविराम संधि को "यहूदी शासन पर जीत" करार दिया था. फिलिस्तीन का चरमपंथी संगठन सीजफायर को अपनी जीत के तौर पर देख रहा है. गाजा में फिलिस्तीनियों ने संघर्षविराम के ऐलान के बाद जश्न मनाया.
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फिलीस्तीनियों को संबोधित खुमैनी ने एक पत्र जारी किया. इसमें खुमैनी ने गाजा पर हमले को अंतरराष्ट्रीय अदालतों में इजरायल और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ मुकदमा चलाने का भी आग्रह किया. अपने पत्र में खुमैनी ने सभी मुस्लिम देशों से फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन में रैली करने का भी आग्रह किया. उन्होंने फिलिस्तीनी बलों को मजबूत बनाने, आर्थिक मदद मुहैया कराने या गाजा में नष्ट हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के जरिये मदद मुहैया कराने का आह्वान किया है. ईरान के सुप्रीम नेता ने कहा कि फिलिस्तीन को पहले से कहीं अधिक आर्थिक मदद मुहैया कराये जाने की जरूरत है.
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इजरायल से संघर्ष के दौरान दुनिया के कई मुस्लिम देश फिलिस्तीन के समर्थन में खड़े हुए. तुर्की और पाकिस्तान ने खास रूप से सक्रियता दिखाई. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने यरुशल स्थित अल-अक्सा मस्जिद में झड़प के बाद इजरायल को आतंकी देश करार दिया और फिलिस्तीनियों के समर्थन में आने के लिए मुस्लिम देशों का आह्वान किया. एर्दोगन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी संपर्क साधा और फिलिस्तीन की मदद का आह्वान किया. वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी तुर्की पहुंचे और फिलिस्तीन-इजरायल के बीच संघर्षविराम के लिए कूटनीतिक प्रयास किए.
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असल में, 10 मई को अल-अक्सा मस्जिद में इजरायली सुरक्षा बलों से फिलिस्तीनियों की झड़प और शेख जर्राह से अरब के लोगों की बेदखली को लेकर शुरू हुआ विवाद हवाई हमलों में तब्दील हो गया. हमास ने इजरायल पर रॉकेट दागे और जवाब में इजरायल ने हवाई हमले किए.
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इजरायल और हमास में 11 दिनों तक चले संघर्ष के बाद मिस्र की मध्यस्थता में शुक्रवार को सीजफायर का ऐलान किया गया था. इस संघर्ष के दौरान हमास और फिलिस्तीन के अन्य चरमपंथी गुटों ने इजरायल पर 4,300 से ज्यादा रॉकेट दागे थे. इसकी जवाबी कार्रवाई में इजरायल ने भी गाजा पट्टी पर हवाई हमले किए.
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हमास की तरफ से संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा था कि संघर्ष के दौरान कम से कम 243 फिलिस्तीनियों की जान चली गई. इनमें 66 बच्चे भी शामिल हैं. वहीं 1,910 फिलिस्तीन इजरायली हमले में घायल हो गए. हालांकि, फिलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आंकड़ा जारी करते हुए ये साफ नहीं किया कि इजरायली हमले का शिकार बनने वालों में कितने नागरिक और कितने चरमपंथी हैं. वहीं इजरायली सेना ने दावा किया है कि हमास के रॉकेट गाजा में गिरने से ही कई फिलिस्तीन मारे गए हैं. इजरायल पर हमास के हमले में 12 लोग मारे गए जिनमें एक पांच साल का लड़का और एक 16 साल की लड़की भी शामिल है.
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