मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने गुरुवार को हुए कुआलालंपुर समिट
में जिहाद, दमनकारी प्रशासन और नव-उदारवाद को मुस्लिम दुनिया की सबसे बड़ी
समस्या करार दिया. इस समिट में तमाम इस्लामिक देशों ने हिस्सा लिया.
हालांकि, सऊदी अरब के विरोध की वजह से पाकिस्तान ने आखिरी पलों में इससे
दूरी बना ली.
(मलेशिया के पीएम महातिर मोहम्मद)
तीन दिवसीय कुआलालंपुर समिट को संबोधित करते हुए महातिर ने दुनिया भर में मुस्लिमों की तकलीफ पर दुख जाहिर किया और कहा कि मुस्लिम केवल इस्लामोफोबिया और हिंसा ही नहीं बल्कि खराब प्रशासन से भी जूझ रहे हैं.
(कुआलालंपुर समिट की तस्वीरें)
उन्होंने कहा, आज हमने दुनिया में अपना सम्मान खो दिया है. आज हम ना तो मानव ज्ञान के स्रोत हैं और ना ही किसी मानव सभ्यता के मॉडल. 18वीं सदी से लेकर आधी 20वीं सदी तक मुस्लिम देशों पर यूरोपीय ताकतों का प्रभुत्व रहा. लेकिन अब जब हम आजाद हैं तो हमने स्वतंत्र देशों के तौर पर बहुत कुछ किया नहीं है. यहां तक कि हममें से कुछ तो औपनिवेशिक युग के स्तर की गुलामी की हद तक पहुंच गए हैं.
महातिर ने कहा, "यहां तक कि कुछ छोटे मुस्लिम देशों में ठीक तरह से सरकारें नहीं चल रही हैं. चाहे हम अथॉरिटेरियन हो या नहीं, अच्छा प्रशासन इतना असंभव नहीं है. हमें दमनकारी होने की जरूरत नहीं है."
उन्होंने कहा, उभरता इस्लामोफोबिया कुछ हद तक ऐसे लोगों की वजह से भी पनप रहा है जो अपने धर्म की रक्षा के लिए मरने के लिए तैयार हैं. महातिर ने चेतावनी देते हुए कहा कि आतंक की कुख्यात घटनाओं से इस्लाम के बारे में वैश्विक धारणा खराब ही हुई है.
मलेशियाई पीएम ने कहा, हम भले ही जिहाद करने का दावा करें लेकिन इसका नतीजा
मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचार में बढ़ोतरी के रूप में सामने आता है. हम
अपने ही देशों से बाहर निकाले जाते हैं, एसाइलम देशों से खारिज होते हैं और
वहां हमें दमन और आलोचना का शिकार होना पड़ता है. हमने इस्लाम को लेकर इस
हद तक डर पैदा कर दिया है कि इस्लामोफोबिया की जगह बन गई है.
बता दें कि मुस्लिम दुनिया की समस्याओं को उठाने के लिए मलेशिया के नेतृत्व में आयोजित किए गए इस समिट से सऊदी अरब खफा है जो इसे इस्लामिक सहयोग संगठन के समानांतर मंच बनाने की कोशिश के तौर पर देख रहा है.
समिट को लेकर काफी दिनों से तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि यह इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) का प्रभाव कम करने के लिए आयोजित की जा रही है. यह भी कहा गया कि सऊदी अरब इस बात को लेकर नाराज है कि इस समिट में उसके दुश्मनों ईरान और कतर के नेताओं को संबोधित करने के लिए बुलाया गया है. गुरुवार को जहां समिट में कतर के शेख तमीम बिन हमद-अल थानी और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने हिस्सा लिया वहीं सऊदी अरब के किंग सलमान आमंत्रण मिलने के बावजूद बैठक में नहीं पहुंचे.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी समिट से ऐन मौके पर बाहर हटने का ऐलान कर दिया था. इसके बाद महातिर के कार्यालय की तरफ से एक बयान जारी किया गया था जिसमें कहा गया कि यह पहल किसी भी तरह का मुस्लिम गुट बनाने की कोशिश नहीं है जैसा कि आलोचक दावा कर रहे हैं.
महातिर ने कहा था, हम बहुत छोटे हैं. मैंने सऊदी के सामने यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि हम किसी भी तरह से इस्लामिक सहयोग संगठन जैसे मंच को चुनौती देने के लिए बहुत ही छोटे देश हैं.