आर्मीनिया-अजरबैजान के बीच युद्ध के बाद हुए समझौते के तहत आर्मीनियाई लोगों ने अपने गांवों को खाली कर दिया और घरों में आग लगा दी. करीब डेढ़ महीने तक चली लड़ाई के बाद दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था.
समझौते के तहत नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र के कुछ हिस्से को अजरबैजान को दे दिया जाएगा. हालांकि, यह इलाका पहले अजरबैजान का ही हिस्सा था, लेकिन कई दशकों से इस पर आर्मीनियाई लोग रह रहे थे.
अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, घरों को खाली करने के दौरान आर्मीनिया के लोग दुख में डूबे थे और बच्चे रो रहे थे. रूस की मध्यस्थता से हुए समझौते के तहत अर्मीनिया कालबाजार और अघदम जिलों को 20 नवंबर तक अजरबैजान को वापस सौंप देगा. जबकि एक दिसंबर तक लचिन जिले को सौंपना होगा. 1990 के दशक में हुए युद्ध के बाद से ही इस पर आर्मीनिया के लोगों का कब्जा था.
शनिवार को चरेकटर नाम के गांव के लोगों ने छह घरों में आग लगा दी. शुक्रवार को भी 10 घरों को जला दिया गया था. एक ग्रामीण ने कहा कि यह मेरा घर है, मैं इसे तुर्कों के लिए नहीं छोड़ सकता. आर्मीनिया के लोग अक्सर अजरबैजान के लोगों को तुर्क कहकर संबोधित करते हैं. उन्होंने कहा कि हर कोई अपना घर जला रहा है, हमें मध्यरात्रि तक घर खाली करने को कहा गया है.