अमेरिका की मध्यस्थता में आर्मीनिया-अजरबैजान के बीच रविवार को हुआ युद्धविराम समझौता टूटता नजर आ रहा है. आर्मीनिया और अजरबैजान ने सोमवार को एक-दूसरे पर सीजफायर का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर दोनों देश करीब एक महीने से जंग लड़ रहे हैं. ये पिछले दो हफ्तों में तीसरा समझौता था. इससे पहले, रूस की मध्यस्थता में हुए दो समझौते भी इस जंग को खत्म करने में असफल रहे.
अमेरिकी की मध्यस्थता में हुए समझौते के कुछ ही घंटे बाद ही अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि आर्मीनिया की सेना ने तेर्तार और लाचिन इलाके में गोलीबारी की है. हालांकि, नागोर्नो-काराबाख के रक्षा मंत्रालय ने इसे खारिज किया और कहा कि अजेरी सेना ने आर्मीनिया के सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए. आर्मीनिया के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि अजेरी की तरफ से स्थानीय समयानुसार सुबह 9.10 बजे सीजफायर का उल्लंघन हुआ.
नागोर्नो-काराबाख आधिकारिक तौर पर अजरबैजान का हिस्सा है लेकिन यहां कब्जा आर्मीनिया का है. इस इलाके में आर्मीनियाई ज्यादा हैं. आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच संघर्ष 27 सितंबर को शुरू हुआ था और तमाम कोशिशों के बावजूद ये जंग खत्म होती नहीं दिख रही है.
दुनिया की महाशक्तियां इस संघर्ष को बड़े युद्ध में तब्दील होने से रोकने की कोशिश कर रही हैं. टर्की अजरबैजान का मजबूती से समर्थन कर रहा है जबकि आर्मीनिया के साथ रूस का सुरक्षा समझौता है. इस संघर्ष की वजह से टर्की और उसके नाटो सहयोगियों के बीच भी तकरार बढ़ी है. ऐसे में, ये जंग कभी भी खतरनाक मोड़ ले सकती है.
वॉशिंगटन में रविवार को अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो की आर्मीनिया-अजरबैजान के विदेश मंत्रियों के साथ हुई वार्ता में सीजफायर को लेकर सहमति बनी थी. इस संघर्ष को सुलझाने के लिए गठित किए गए मिंस्क ग्रुप के प्रतिनिधियों ने भी इस वार्ता में हिस्सा लिया. इस संगठन का कमान फ्रांस, रूस और अमेरिका के हाथों में है. संगठन ने कहा कि 29 अक्टूबर को उसके उपाध्यक्ष और विदेश मंत्री जेनेवा में फिर से मुलाकात करेंगे.
इस वार्ता को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्विटर पर लिखा, 'आर्मीनियाई पीएम निकोलस पशिनान और अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव को बधाई, जो आधी रात को संघर्ष विराम का पालन करने के लिए सहमत हुए. इससे कई लोगों की जानें बचाई जा सकेंगी.'
नागोर्नो-काराबाख के 974 सैनिक मारे गए हैं, वहीं, अजरबैजान के 65 नागरिकों की मौतें हुई हैं. हालांकि, अजरबैजान ने अपने सैनिकों को लेकर कोई आंकड़ा नहीं दिया है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले हफ्ते कहा था कि इस लड़ाई में करीब 5000 लोगों के मारे जाने की आशंका है. आर्मीनिया के प्रधानमंत्री पशिनान ने फेसबुक पेज पर लिखा कि आर्मीनिया की तरफ से सीजफायर का पालन जारी है.
नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर 1991-94 के दौरान भी भीषण जंग छिड़ी थी. उस वक्त करीब 30,000 लोगों की जानें गई थीं. आर्मीनिया इस इलाके पर अपना दावा पेश करता है जबकि अजरबैजान का कहना है कि आर्मीनिया ने उसकी जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा किया है और उसे वो जमीन लौटानी होगी.