भारत और नेपाल के बीच जारी सीमा विवाद के बीच भारत और नेपाल के बीच 9 महीने से रुकी हुई द्विपक्षीय वार्ता होने जा रही है. ये वार्ता 17 अगस्त को होगी. हालांकि, यह बैठक दोनों देशों के बीच स्थापित निरीक्षण संयंत्र की होगी जोकि विदेश सचिव स्तरीय है.
नेपाली विदेश मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि कोरोना के कारण इस बार इसकी अगुवाई भारत की तरफ से नेपाल में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा करने वाले हैं जबकि नेपाली प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास वैरागी करेंगे.
नेपाल-भारत निरीक्षण संयंत्र नेपाल में भारत सरकार द्वारा संचालित विभिन्न परियोजना की समीक्षा करता है. माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद दोनों देशों के बीच लंबे समय से जारी गतिरोध के अंत होने की संभावना है. लंबे समय से दोनों देशों के बीच किसी भी प्रकार की द्विपक्षीय संवाद नहीं होने के कारण इसका सीधा असर कई परियोजनाओं पर पड़ रहा था.
पिछले साल 3 नवंबर को जब भारत ने जब अपना नया नक्शा जारी किया था उस नक़्शे का नेपाल ने यह कह कर विरोध किया था कि इसमें नेपाल के कालापानी को भी भारतीय भूभाग में दिखाया गया है. नेपाल ने भारत को डिप्लोमैटिक नोट लिख कर विरोध दर्ज कराया था और काठमांडू में रहे भारतीय राजदूत को तलब कर इसे ठीक करने की मांग की थी. हालांकि, भारत ने कहा कि उसने नेपाल की सीमाओं के साथ कोई भी छेड़छाड़ नहीं किया है.
नक्शा विवाद के 6 महीने बाद 8 मई को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बॉर्डर रोड आर्गनाइजेशन के द्वारा कैलाश मानसरोवर तक जाने के लिए बनाई गई सड़क का उदघाटन किया. नेपाल ने यह दावा किया कि इस सड़क का 14 किमी का क्षेत्र नेपाली भूभाग लिपुलेख से होकर गुजर रहा है. इसी के बाद नेपाल की तरफ से भारतीय भूभाग कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को समेटते हुए एक नया राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर दिया.
नक़्शे के संसद के द्वारा पारित करने के साथ ही दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और राजनीतिक विवाद इतना अधिक बढ़ गया था कि सभी तरह के संवाद बंद हो गए थे. अब उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक के बाद विदेश सचिव स्तरीय और उसके बाद फिर विदेश मंत्री स्तरीय वार्ता का दरवाजा भी खुल सकता है.