चीन से नेपाल की घनिष्ठता और वहां के राजनयिकों का नेपाली प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति समेत दूसरे नेताओं से मिलने को लेकर आलोचना के बाद ओली सरकार ने नियमों में बदलाव करने का फैसला किया है. अब चीन या किसी अन्य देश के डिप्लोमैट नेपाल के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या फिर अन्य नेताओं से सीधे नहीं मिल पाएंगे. उन्हें प्रोटोकॉल का पालन करना होगा.
बता दें कि बीते दिनों चीनी एम्बेसेडर हो हाउ यांकी ने नेपाल में राजनीतिक संकट के बीच प्रधानमंत्री ओली और राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से सीधे मुलाकात की थी. विपक्षी नेताओं ने चीनी डिप्लमैट से ओली की घनिष्ठता और आंतरिक राजनीति में उसके हस्तक्षेप को लेकर सवाल उठाए थे.
नेपाल की जनता और मीडिया ने भी वहां की राजनीति में खासतौर पर चीनी प्रभाव को लेकर ओली सरकार पर हमला बोला था जिसके बाद अब वहां की सरकार ‘डिप्लोमैटिक कोड ऑफ कंडक्ट' में बदलाव करने जा रही है. अब किसी भी दूसरे देश के डिप्लोमैट को तय चैनल के जरिए ही मुलाकात करनी होगी. इस फैसले को चीन को हद में रहने के संकेत दिए जाने के तौर पर भी देखा जा रहा है.
नेपाल में ‘डिप्लोमैटिक कोड ऑफ कंडक्ट' के लिए साल 2016 में ही प्रस्ताव लाया गया था लेकिन इसे बाद में ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. अब इसे लागू करने की तैयारी चल रही है. नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने भी इसकी पुष्टि की है और कहा कि नियमों में बदलाव किए जा रहे हैं.